ब्रजभाषा काव्य रचना में हास्य-व्यंग्य के स्थापित रचनाकार श्री देवकीनन्दन कुम्हेरिया की आज पुण्यतिथि है। 2020 में आज के ही दिन उनका निधन हुआ था। मथुरा (गोवर्धन) के बड़ा बाजार निवासी श्री कुम्हेरिया ने ब्रज रस माधुरी, पत्नी-पुराण, गिर्राज-वंदना तथा हम फागुन में ससुरार गए जैसीं अपनी लगभग एक दर्जन कृतियों से माँ सरस्वती के भंडार में योगदान दिया। कुम्हेरिया जी लगभग 60 वर्षों तक कवि-सम्मेलनों के मंच पर सक्रिय रहे। प्रारंभ में आपने कई समाचार पत्रों के लिए गोवर्धन से समाचार प्रेषण का कार्य भी किया।
साहित्यिक सेवाओं के लिए श्री कुम्हेरिया जी को साहित्य-मण्डल नाथद्वारा द्वारा ब्रजभाषा-विभूषण की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्हें श्री पीतलिया-स्मृति सम्मान तथा सूर श्याम सेवा मण्डल द्वारा महाकवि सूर सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान भी समय-समय पर प्राप्त हो चुके थे।
प्रारंभ से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे श्री कुम्हेरिया ने आपातकाल तथा मीसा का जोरदार विरोध किया था जिसके कारण उन्हें 19 माह की अवधि जेल में काटनी पड़ी थी। बाद में मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा इसके लिए उन्हें लोकतंत्र सेनानी के रूप में सम्मानित भी किया गया था।
कुम्हेरिया के प्रशंसकों की भी ब्रज और ब्रज के बाहर अच्छी खासी संख्या थी। पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया, राम निवास शर्मा ‘अधीर’, अशोक अज्ञ, राधा गोविंद पाठक, डॉ. नटवर नागर, उपेन्द्र त्रिपाठी ‘गरलकण्ठ’, श्रीकृष्ण ‘शरद’, डॉ.अनिल गहलौत, संतोष कुमार सिंह आदि साहित्यकार उनके न सिर्फ अच्छे मित्र हैं, बल्कि उनकी रचनाओं को ब्रजभाषा के अमूल्य निधि मानते हैं।
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