बीजेपी आईटी सेल प्रमुख ने न्यूज़ पोर्टल ‘द वायर’ के ख़िलाफ़ दर्ज कराया केस

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख ने न्यूज़ पोर्टल ‘द वायर’ के ख़िलाफ़ दर्ज कराया केस

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अमित मालवीय ने ‘द वायर’ पर उनके और सोशल मीडिया कंपनी ‘मेटा’ (फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी) के बारे में ‘फ़ेक न्यूज़’ प्रकाशित करने का दावा करते हुए संस्था पर धोखाधड़ी और जालसाज़ी करने का आरोप लगाया है.

एफ़आईआर दर्ज होने के बाद अभी तक ‘द वायर’ की तरफ़ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

दूसरी ओर ‘द वायर’ ने इस मामले में अपने ही एक पूर्व कन्सल्टेन्ट देवेश कुमार पर एक स्टोरी में मनगढ़ंत ब्यौरा पेश करने का आरोप लगाते हुए पुलिस से उनकी शिकायत की है. हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई मुक़द्दमा दर्ज नहीं किया है.

अमित मालवीय ने पुलिस को जो शिकायत की है, उसमें कहीं देवेश कुमार का ज़िक्र नहीं है.

इस शिकायत में ‘द वायर’ के संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु के अलावा डिप्टी एडिटर और कार्यकारी न्यूज़ प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, ‘द वायर’ की मालिक संस्था ‘फ़ाउंडेशन फ़ॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म’ और अन्य अज्ञात लोगों पर धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज़ पेश करने का आरोप लगाया गया है.

अमित मालवीय ने अपने ट्विटर हैंडल पर शुक्रवार को ‘द वायर’ की विभिन्न स्टोरी में लगाए गए आरोपों पर अपना पक्ष रखा. इसमें उन्होंने कहा कि ‘द वायर’ ने उनके ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाते हुए इसी महीने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम से जुड़ी कई फ़ेक स्टोरी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की हैं.

क्या है पूरा मामला?

न्यूज़ पोर्टल ‘द वायर’ ने अक्टूबर महीने में मेटा से जुड़ी कई रिपोर्टों की एक सीरीज़ प्रकाशित की थी.

इसमें दावा किया गया था कि मेटा की ‘एक्सचेक सूची’ या ‘क्रॉस चेक’ योजना के ज़रिए अमित मालवीय को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.

वायर की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इन विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए अमित मालवीय, मेटा के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित उस तरह के किसी भी कॉन्टेंट को हटा सकते थे जो उन्हें सरकार या बीजेपी विरोधी लग सकती थी.

इन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि अमित मालवीय ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपनी पार्टी बीजेपी के ख़िलाफ़ लगने वाले सैकड़ों पोस्ट को मेटा के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म से हटवा दिया.

‘द वायर’ का दावा था कि मेटा से मिले दस्तावेज़ों के आधार पर इन रिपोर्ट को लिखा गया था.

शुरू में द वायर अपनी स्टोरी पर अड़ा रहा और उसका दावा था कि उसके सोर्स पुख़्ता हैं. लेकिन मेटा के कम्युनिकेशन हेड एंडी स्टोन ने ऐसे स्रोत के होने से इंकार कर दिया था.

अमित मालवीय का आरोप है कि ‘द वायर’ ने ‘अपनी बात साबित करने’ और ‘बीजेपी सहित उनकी छवि ख़राब करने’ के लिए मेटा के एक कथित इंटरनेल ईमेल का हवाला दिया था जो कि उनके अनुसार झूठा था.

बाद में ‘द वायर’ ने इस विवाद के बाद संबंधित कहानी को वापस ले लिया और इसके लिए माफ़ी भी मांगी.
मालवीय ने एक और आरोप लगाते हुए कहा कि ‘द वायर’ पहले ‘टेक फॉग’ नामक ऐप को लेकर भी एक फ़ेक न्यूज़ प्रकाशित कर चुका है.

उनके अनुसार इस ऐप के बारे में दावा किया गया था कि बीजेपी सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट रोकने के लिए इस ऐप का सहारा लेती है. उन्होंने बताया, “इस स्टोरी को ग़लत और मनगढ़ंत होने के कारण बाद में हटा दिया गया था.”

इसके बाद गुरुवार को किए एक ट्वीट में मालवीय ने लिखा, ”अपने वकीलों से विचार करने के बाद मैंने ‘द वायर’ के ख़िलाफ़ आपराधिक और सिविल मामले दर्ज कराने का फ़ैसला लिया है. मैं न केवल आपराधिक मामले दर्ज करवाऊंगा, बल्कि जाली दस्तावेज़ बनाकर मेरी छवि ख़राब और धूमिल करने के लिए इन्हें सिविल कोर्ट में भी घसीटूंगा.”

उन्होंने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके आरोप लगाया, “यह स्पष्ट है कि ‘द वायर’ और कुछ अज्ञात लोगों ने मेरी प्रतिष्ठा ख़राब और धूमिल करने के इरादे से एक आपराधिक साज़िश रची और मेरा नाम जानबूझकर एक स्टोरी में डाला और मुझे फंसाने के लिए झूठे सबूत गढ़े.”

मालवीय ने कहा कि उनके पास क़ानूनी उपाय खोजने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है.

‘द वायर’ ने माँगी माफ़ी

अमित मालवीय के आरोपों के बाद सिद्धार्थ वरदराजन ने अंग्रेज़ी दैनिक द हिंदू को बताया, ”पहली बार प्रकाशित ख़बर में ‘द वायर’ के कंसल्टेंट देवेश कुमार के दिए ब्यौरे पर दावे किए गए थे.”

उन्होंने कहा कि ‘द वायर’ ने इसके लिए माफ़ी मांगी और आंतरिक संपादकीय प्रक्रिया को और बेहतर करने को स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि ‘द वायर’ ने मेटा से जुड़ी सभी कहानियों को अब वापस ले लिया है.

अख़बार के अनुसार ‘द वायर’ ने शनिवार को जारी एक बयान में माफ़ी मांगते हुए लिखा, “पत्रकार स्टोरीज़ के लिए स्रोतों पर यक़ीन करते हैं और उन्हें मिलने वाले कॉन्टेंट को वेरिफ़ाई करने का पूरा प्रयास भी करते हैं.”

न्यूज़ पोर्टल ने अपना बचाव करते हुए कहा, ”टेक्नोलॉजी से जुड़े साक्ष्य कहीं ज़्यादा जटिल होते हैं और सामान्य मेहनत से धोखाधड़ी हमेशा पकड़ में नहीं आती. हमारे साथ यही हुआ है.”

इस बयान में यह भी कहा गया है, ”किसी भी प्रकाशन संस्था की ज़िंदगी में ऐसा मौक़ा भी आ सकता है, जब उसे मिलने वाली सूचना ग़लत हो. नैतिकता की परीक्षा यही है कि प्रकाशन संस्थान अड़ा रहता है या सच बोलता है. जब हमें अहसास हुआ कि हमें धोखे वाली जानकारी मिली थी, तो हमने बाद वाला विकल्प चुना.”

”द वायर पर इस पूरे कॉन्टेंट को लाने वाले शख़्स ने किसी और के कहने पर हमें धोखा दिया या अपनी मर्ज़ी से काम किया, इसका फ़ैसला न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिए आने वाले वक़्त में होगा. लेकिन ये ज़ाहिर है कि ‘द वायर’ को बदनाम करने की साज़िश हुई है. इसके अलावा हमें कुछ और नहीं कहना.”

Dr. Bhanu Pratap Singh