बड़ा फैसला: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए गुजरात सरकार ने बनाई कमेटी – Up18 News

बड़ा फैसला: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए गुजरात सरकार ने बनाई कमेटी

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गुजरात सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी का गठन कर दिया है. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने का रास्ता साफ कर दिया है. गुजरात सरकार ने यह फैसला विधानसभा चुनाव से पहले किया है. हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है.

गौरतलब है कि बीजेपी ने सत्ता में आने के लिए जो मुद्दे जनता के सामने रखे थे उनमें रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 की समाप्ति और देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करना शामिल था.

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 समाप्त हो चुका है, अब यूसीसी का मुद्दा बचा हुआ है. बीजेपी के मानना है कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए.

बीजेपी चाहती है ये व्यवस्था

बीजेपी चाहती है कि धर्म के आधार पर अलग-अलग व्यवस्था न हो. शादी, तलाक और संपत्ति जैसे मुद्दों पर एक जैसी व्यवस्था हो. इसके लिए केंद्रीय स्तर पर फिलहाल कोई प्रयास तो नजर नहीं आ रहा, लेकिन बीजेपी शासित राज्य इस संबंध में जरूर निर्णय ले रहे हैं. उत्तराखंड पहले ही राज्य में यूसीसी लागू करने को लेकर कमेटी गठित कर चुका है.

आखिर क्या है यूसीसी

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए ‘एक देश एक नियम’ का आह्वान करता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि ‘राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा.’

बाबा साहब आम्बेडकर ने बताया था जरूरी

यह कोड विवाह, तलाक, रखरखाव, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता है. यूसीसी इस विचार पर आधारित है कि आधुनिक सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं है. डॉ. बीआर आम्बेडकर ने संविधान का प्रारूप तैयार करते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड वांछनीय है, लेकिन फिलहाल यह स्वैच्छिक रहना चाहिए, और इस प्रकार संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 35 को भाग IV में ‘राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतोंद’ के एक भाग के रूप में जोड़ा गया था. भारतीय संविधान में अनुच्छेद 44 के रूप में.