हाईकोर्ट के आदेश पर 11 माह बाद प्रशासन ने पूर्ण कराई कानूनी कार्रवाही
यशोदा की हुई ‘सृष्टि’, लंबे संघर्ष के बाद हुई मां की जीत
आगरा: आखिरकार दस साल बाद एक पालनहार को मां का कानूनी दर्जा मिल ही गया हालांकि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में प्रशासन को 11 महीने का समय लगा। तब जाकर गोद की प्रक्रिया पूरी कराई गई। शुक्रवार को पालनहार मां को दत्तक ग्रहण का कानूनी आदेश सौंपा गया। कानूनी आदेश मिलने के बाद पालनहार मां की खुशी का ठिकाना ना रहा। इस लड़ाई में हमराह बने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस का धन्यवाद देते नहीं थक रही थी। उसे पूरा भरोसा हो गया कि अब उसकी बेटी को कोई उससे जुदा नहीं करेगा।
लावारिस मिली थी ‘श्रृष्टी’
दस साल पहले किन्नर को एक बच्ची झाड़ियां में लावारिस अवस्था में मिली थी। वह रो रही थी। किन्नर उसे उठा लाया और एक महिला यशोदा को जबरन दे दिया। कहा पाल सको तो पाल लेना नहीं तो फेंक देना। यशोदा ने बच्ची को सीने से लगा लिया। उसकी देखभाल की इलाज कराया और अपनी बेटी की तरह पालन पोषण किया। जब वह सात वर्ष की हो गई तो किन्नर उसे दोबारा मांगने आ गया। मना करने वह उसका अपहरण करके ले गया। किसी तरह पुलिस ने फर्रुखाबाद से मुक्त कराया। बाल कल्याण समिति ने भी बच्ची पालनहार को सौंप दी लेकिन कुछ माह बाद ही बच्ची को मां से छीनकर बाल गृह में निरुद्ध करा दिया।
मिलने पर लगा दी पाबंदी
पालनहार की बच्ची से मिलने पर पाबंदी भी लगा दी गई। पालनहार मां ने हर दर पर गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुना। धरना भी दिए। यशोदा ने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से मदद मांगी। नरेश पारस मामले को बाल आयोग तक ले गए। बाल आयोग ने भी बच्ची सुपुर्द की देने को कहा लेकिन जिम्मेदारों ने उनकी बात को नहीं माना। अंत में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट में दमदार पैरवी के बाद बच्ची को यशोदा के सुपुर्द करने के आदेश दिए। आदेश मिलने के एक घंटे के भीतर बाल कल्याण समिति को श्रृष्टि यशोदा के सुपुर्द करनी पड़ी।
हाईकोर्ट ने सीडब्ल्यूसी का फैसला बताया दुर्भाग्यपूर्ण
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बाल कल्याण समिति का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट भी लापरवाही में तैयार की गई है। बाल कल्याण समिति के फैसले की हर जगह निंदा हुई थी। यशोदा तथा नरेश पारस को बेटी के हक के लिए बहुत लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी।
11 महीने से था आदेश का इंतजार
29 जनवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर सृष्टि को पालनहार मां के सुपुर्द किया गया था। कानूनी रूप से गोद लेने के लिए यशोदा ने आवेदन भी किया लेकिन आदेश जारी होने में 11 महीने का समय लग गया। शुक्रवार को सुपुर्दगी का प्रशासनिक आदेश मिला। सृष्टि अब इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रही है। पिछले महीने उसका जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया।
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