आर्थिक पैकेज से फुटवियर उद्योग को आशा के साथ भारी निराशा

आर्थिक पैकेज से फुटवियर उद्योग को आशा के साथ भारी निराशा

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लाइको शूज के निदेशकों न कहा- तत्काल राहत की जरूरत, तीन माह का वेतन कैसे देंगे

आई ट्रिक फुटवियर कंपनी के सीईओ आशीष जैन ने बोले- हमारा सारा पैसा फँस चुका है

Agra (Uttar Pradesh, India)। लाइको शूज के निदेशक राजकुमार जैन और सुनील कुमार जैन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फुटवियर उद्योग के लिए घोषित आर्थिक पैकेज से आशा के साथ निराशा जाहिर की है। आर्थिक पैकेज में एमएसएमई उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का ऋण बिना गारंटी के देने की घोषणा की गई है। इसे चार साल में लौटाना है। सरकार का यह बड़ा कदम है। लेकिन इसका लाभ आगे जाकर मिलेगा। लॉकडाउन के कारण तत्काल राहत की जरूरत है, जिसका कोई प्रावधान नहीं है। सरकार फुटवियर उद्योग में कार्यरत स्टाफ को कम से कम तीन माह का वेतन दे। भले ही एक-दो साल के लिए हमें बिना ब्याज के ऋण के रूप में दे, तभी फैक्ट्री चल सकेंगी, अन्यथा काम कर पाना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। फुटवियर उद्योग में भुखमरी की नौबत आ जाएगी।

राजकुमार जैन, निदेशक, लाइको ग्रुप

स्टाफ को तीन माह की सैलरी दी जाए

वित्त मंत्री ने घोषणा की है जिन एमएसएमई इकाइयों में 100 से कम श्रमिक काम करते हैं और सैलरी 15 हजार रुपये तक है, उनके पीएफ का अंशदान सरकार जमा करेगी। जैन बंधुओं का कहना है कि जिन इकाइयों में सौ से अधिक सैकड़ों और हजारों श्रमिक काम करते हैं उनके लिए आर्थिक पैकेज में कोई घोषणा नहीं है। कुल मिलाकर सरकार के आर्थिक पैकेज से अधिसंख्य जूता कारखानों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है, जबकि इन्हें तत्काल मदद की जरूरत है। जूता कारखानों से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। जरूरत इस बात की है कि इनकी लॉकडाउन अवधि की सैलरी की व्यवस्था सरकार करती। बंदी के कारण श्रमिक आधारित फुटवियर इकाइयां छह माह तक सैलरी देने में असमर्थ हैं। इस कारण आगरा में भयानक स्थिति हो सकती है।

आशीष जैन,सीईओ,आई ट्रिक फुटवियर कंपनी

आर्थिक पैकेज से तत्काल कोई लाभ नहीं-आशीष जैन

आई ट्रिक फुटवियर कंपनी के सीईओ आशीष जैन ने बताया कि फुटवियर कंपनियां मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई में अपनी 60-80 फीसदी टर्नओवर करती हैं। इसी अवधि में खाड़ी देशों और यूरोप में जूता निर्यात होता है। इसी समय कारखाने बंद हैं, जबकि उत्पादन के लिए कच्चा माल खरीद लिया था। सारा पैसा वहां फँस गया है। हर किसी की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है। वित्तमंत्री की घोषणा से तत्काल कोई लाभ नहीं है। साथ ही स्टाफ और कांट्रैक्ट लेबर के लिए कोई राहत नहीं है। अगर केन्द्र सरकार ने इस ओर ध्यान न दिया तो फुटवियर उद्योग के सामने भुखमरी की स्थिति होगी।

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