गौर, बस्ती, (राहिल खान)। जिले के गौर थाना क्षेत्र के मीरापुर गांव में एक गंभीर मामले ने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। गांव के निवासी नरेन्द्र कुमार मिश्र ने पुलिस अधीक्षक बस्ती को शिकायती देने के बाद बस्ती न्यायालय में वाद दाखिल कर थानाध्यक्ष गौर और अन्य पुलिस कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
शिकायत में कहा गया है कि थानाध्यक्ष गौर ने अभियुक्त सुरभि उपाध्याय के साथ मिलीभगत कर नरेन्द्र मिश्र और उनके परिवार को उत्पीड़न का शिकार बनाया है। नरेन्द्र कुमार मिश्र ने अपने शिकायती पत्र में बताया कि 16 मई 2025 को रात करीब 7:45 बजे सुरभि उपाध्याय, जो उनके बेटे सचिन मिश्रा की पत्नी हैं जिससे तलाक का मामला मा. न्यायालय में चल रहा है और वर्तमान में प्रत्यूष त्रिपाठी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही हैं, ने उनके घर पर गंभीर और संज्ञेय अपराध की घटना को अंजाम दिया। इस घटना की लिखित शिकायत 17 मई 2025 को थानाध्यक्ष गौर को दी गई थी, जिसे पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड डाक और मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से भी भेजा गया। लेकिन थानाध्यक्ष गौर ने कथित तौर पर सुरभि के साथ सांठ-गांठ और प्रलोभन के चलते कोई कानूनी कार्यवाही नही की, नरेन्द्र मिश्र के अनुसार, 3 जून 2025 को शाम करीब 5 बजे थानाध्यक्ष गौर ने उपनिरीक्षक राजेन्द्र गौड़, एक हेड कांस्टेबल और एक महिला कांस्टेबल को उनके घर भेजा।
उपनिरीक्षक राजेन्द्र गौड़ ने दावा किया कि थानाध्यक्ष के आदेश पर वे आए हैं और सुरभि जल्द ही सामान लेने आएगी। इसके बाद सुरभि एक गाड़ी (UP32 XN2080) से उनके घर पहुंची और नरेन्द्र व उनके परिवार को गालियां दीं, जान से मारने की धमकी दी, दरवाजा तोड़ने की कोशिश की और प्लास्टिक की तीन कुर्सियां तोड़ दीं। इस दौरान थानाध्यक्ष गौर और अन्य पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और कथित तौर पर सुरभि को बलपूर्वक घर में घुसाने की कोशिश की, जो गांव वालों के विरोध के चलते नाकाम रही।
नरेन्द्र ने बताया कि उनके बेटे सचिन ने सुरभि के खिलाफ बस्ती के परिवार न्यायालय में वैवाहिक वाद (संख्या 156/2025) दायर किया है, जो विचाराधीन है। वहीं, सुरभि ने सचिन और नरेन्द्र सहित परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ लखनऊ के गाजीपुर थाने में मुकदमा (अ.सं. 55/2025) दर्ज कराया है, जिसमें दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत काल्पनिक आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा, प्रत्यूष त्रिपाठी के पत्नी के तहरीर पर अम्बेडकर नगर के महिला थाने में भी सुरभि और प्रत्यूष त्रिपाठी के खिलाफ एक अन्य मुकदमा (अ.सं. 45/24) दर्ज है।
नरेन्द्र ने यह भी दावा किया कि न्यायालय ने थानाध्यक्ष गौर को उनके घर में सुरभि को घुसाने या सामान ले जाने की अनुमति नहीं दी है, फिर भी पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से कार्रवाई की। नरेन्द्र ने अपने पत्र में पुलिस रेगुलेशन और B.N.S./B.N.S.S. के तहत थानाध्यक्ष गौर और अन्य पुलिसकर्मियों पर गंभीर आपराधिक कृत्य का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि सुरभि द्वारा दी गई धमकियों, गाली-गलौज और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना को पुलिस ने नजरअंदाज किया और कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय, पुलिस ने कथित तौर पर सुरभि का पक्ष लिया। नरेन्द्र ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि थानाध्यक्ष गौर, उपनिरीक्षक राजेन्द्र गौड़, वृजलाल और सुरभि उपाध्याय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाए।
नरेन्द्र ने दावा किया कि उनके पास घटना का आंशिक ऑडियो और वीडियो सबूत के तौर पर उपलब्ध है, जो जांच में सहायक हो सकता है। नरेन्द्र ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि पुलिस की मिलीभगत और निष्क्रियता के कारण उनके परिवार को लगातार अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में अभी तक थानाध्यक्ष गौर या पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा रोष है और वे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।
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