सबको सोने के लिए अलग-अलग तरह के वातावरण की जरूरत होती है। किसी को लाइट बंद करके नींद आती है तो कोई लाइट चालू करके ही सो पाता है। कोई सर्दी के दिनों में भी पंखा चलाकर सोना पसंद करता है, तो कोई गर्मी के दिनों में चादर ओढ़कर। कुछ लोगों को बिल्कुल शांत माहौल में सोने की आदत होती है तो कुछ गाना सुनते हुए या टीवी ऑन करके ही सो पाते है।
नेशनल सर्वे के अनुसार 61 प्रतिशत अमेरिकन लोग रात में टीवी ऑन करके ही सो पाते हैं। नेशनल स्लीप फाउंडेशन और जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन के कंबाइंड स्टडी के अनुसार हर 9 में से 1 व्यक्ति सोने से तक किसी न किसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं।
भारत को लेकर इस तरह के सर्वे नहीं मिलते हैं लेकिन यहां भी कई लोगों में टीवी चालू करके सोने की आदत होती है। लेकिन आप जानते नहीं स्लीपिंग एड की तरह आपकी मदद करने वाले यह इंटरटेनमेंट डिवाइस आपके जान को जोखिम में डाल रहे हैं।
टीवी चालू करके सोने से होता है मोटापा
JAMA Internal Medicine पब्लिश 2019 की स्टडी के अनुसार बेडरूम में टीवी चालू करके सोना वजन बढ़ाने, ओवरवेट और मोटापे से संबंधित हो सकता है। इसके अध्ययन के लिए खोजकर्ताओं ने 43,000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया। जिसमें यह पाया गया कि टीवी चालू रखकर सोने से वजन बढ़ने के अलावा और भी बहुत कुछ हो सकता है क्योंकि इसमें से निकलने वाली ब्लू रे (नीली रोशनी) सेहत के लिए जहर का काम करती है।
डिवाइस से निकलने वाली रोशनी करती है आंखों को डैमेज
Webmd के अनुसार डिवाइस से निकलने वाली हाई एनर्जी ब्लू रे रेटिना को खराब करने का काम करती है। इतना ही नहीं लंबे समय तक इस रोशनी के संपर्क में रहने से दिखाई देना भी बंद हो सकता है।
ब्लू लाइट से बढ़ता है कैंसर का खतरा
ब्लू लाइट एक्सपोजर कुछ कैंसर के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग रात में टीवी या लैपटॉप का उपयोग करते हैं, या इसे ऑन करके सोते हैं उनमें स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
नीली रोशनी से बिगड़ता है मेंटल हेल्थ
रात में ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस इस्तेमाल करने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा बाकि लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है क्योंकि डिवाइस से निकलने वाली रोशनी से आपका दिमाग सोने के बाद भी अलर्ट मोड पर रहता है। इससे ब्रेन को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है और ज्यादा थकान के कारण यह तनावग्रस्त हो जाता है।
ब्लू लाइट से खराब होती त्वचा
अध्ययनों से पता चला है कि उच्च ऊर्जा वाली नीली रोशनी के संपर्क में आने से डीएनए डैमेज होने लगता है। इसके साथ ही कोशिका और ऊतक के नष्ट होने के अलावा त्वचा के खराब होने का खतरा होता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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