बल्देव, मथुरा। बलदेव पब्लिक स्कूल में नर्सरी की चार वर्षीय बच्ची से कथित दुराचार की जो दुखद और चौंकाने वाली सूचना फैली थी, उसकी गहराई से हुई पुलिस जांच, चिकित्सकीय परीक्षण तथा सीसीटीवी फुटेज आदि के विश्लेषण से एकदम यह स्पष्ट हुआ है कि बच्ची के साथ रेप तो दूर उसे किसी ने छुआ तक नही है। बच्ची को अन्य एक बच्चे के साथ खेलते समय कुर्सी व मेज़ पलटने से हल्की चोट लगी। मां ने खून के छींटे देख आवेश में अनहोनी की आशंका जताते हुए गांव की महिलाओं को रेप की बात बता दी जिससे ये भ्रम फैला। अब समस्या ये है कि मां अपने बयान से कैसे पीछे हटे?
दिनांक 15 अप्रैल, 2025 को छात्रा विद्यालय बस से पूरी तरह सुरक्षित ढंग से स्कूल पहुंची। कक्षा में साइड की कुर्सी पर बैठी और अपनी उम्र के अन्य बच्चों के साथ सामान्य रूप से खेलने लगी।
लगभग 11 बजे, सीसीटीवी में स्पष्ट रूप से दिखता है कि खेलते समय उसका एक सहपाठी धक्का देता है जिससे वह पास रखी छोटी मेज व कुर्सी पर गिर जाती है।
उससे कुछ मिनट पहले भी एक अन्य बालक के साथ उसका हल्का-फुल्का झगड़ा दिखता है, जिसमें वह बच्चा उसे पेट के नीचे मुक्का जैसा मारता है।
फुटेज में यह भी साफ़ देखा गया कि बच्ची स्वयं उठकर अपनी कुर्सी पर बैठती है, पूरे समय किसी भी पुरुष या संदिग्ध व्यक्ति का कक्षा में प्रवेश नहीं होता और न ही बच्ची शौचालय की ओर जाती है।
पूरा स्कूल समय सीसीटीवी में रिकॉर्ड है और पुलिस ने फुटेज की फोरेंसिक जांच भी करवाई है। स्पष्ट रूप से यह सिद्ध हुआ है कि फुटेज के किसी भी सेकंड में कोई कट,जो संपादन या छेड़छाड़ नहीं की गई है।
सीसीटीवी के दृश्य और डॉक्टरों की रिपोर्ट से यह संभावना प्रकट होती है कि बच्ची को चोट गिरने से लगी। संभव है कि घर पर कपड़े बदलते समय जब खून की एक-दो बूंद दिखी तो मां स्वाभाविक रूप से विचलित हो गई हों और अनजाने में यह मान बैठीं कि कोई अमानवीय घटना हुई है।
स्कूल के समय के बाद, बच्ची अन्य बच्चों के साथ हंसते-खेलते बस में सवार हुई। वह घर पहुंचने पर बस से सामान्य ढंग से उतरी। इसकी पुष्टि भी बस के सवार बच्चों ने है। बस 40 मिनट में 3 बजे उसके घर के पास पहुंची।
पुलिस द्वारा गठित चिकित्सकों के पैनल ने बच्ची का परीक्षण किया। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि स्पर्म का कोई अंश नहीं मिला। डॊक्टरों की रिपोर्ट कहती है कि केवल एक सामान्य आंतरिक कोई छोटी चोट की बात सामने आई है, जो गिरने से होना पूरी तरह संभावित है।
इस मामले में जानकार व पुलिस यह आशंका भी जता रही है कि बच्ची के उसके घर पर खेलते समय चोट लगी हो और बच्ची की मां आशंकित हुई हो।
गहराई से की गई पुलिस जांच, फुटेज विश्लेषण, बस सीट की रासायनिक जांच और चिकित्सकीय परीक्षण आदि जांचों के आधार पर यह स्पष्ट है कि किसी दुराचार की घटना न तो घटी है और न ही इसके कोई प्रमाण है।
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति थी, जहां एक छोटी सी चोट ने बड़ी आशंका का रूप ले लिया और स्थिति अनजाने में गलत दिशा में चली गई।
स्कूल प्रबंधन की ओर से सभी मीडिया प्रतिनिधियों, अभिभावकों व सामाजिक संगठनों से अनुरोध किया गया है कि इस संवेदनशील मामले को सनसनी के बजाय तथ्यों के आधार पर देखें और बालिका के हित में आगे किसी भ्रामक प्रचार से बचें।
एसएसपी महोदय स्वयं विद्यालय की फुटेज देख चुके हैं। कोई भी अभिभावक या नागरिक विद्यालय में जाकर फुटेज देख सकता है और संतुष्ट हो सकता है।
साभार सहित
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