मंगलवार को पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत विजयादशमी व दशहरा का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन भगवान श्री राम ने रावण को परास्त किया था। जिसके बाद इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत का दिन मानकर दशहरे के रुप में मनाया जाता है।
रावण की दूध से अभिषेक और श्रृंगार कराया जाता है
इस दिन पूरे देश में रावण के साथ साथ उनके भाई कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को बनाकर उनका दहन किया जाता है। पर क्या आ जानते है यूपी में एक शहर में रावण का मंदिर है। और इस मंदिर में आज के दिन यानि की विजयदशमी के दिन पूरे विधि विधान से रावण की दूध से अभिषेक और श्रृंगार कराया जाता है। इतना ही नहीं इसके बाद रावण की पूजा की जाती है।
कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया
हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित मंदिर की। इस मंदिर के पुजारियों और शास्त्र विद्धानों के अनुसार रावण को जब भगवान श्री राम ने युद्ध में मारा था तो उनका ब्रह्म बाण रावण की नाभि में लगा था। बाण लगने के बाद रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया।
जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ…
यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो। क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और नही होगा। रावण का यही स्वरुप पूजनीय है इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण की पूजा की जाती है।
सन 1868 में कानपुर में यह मंदिर बनाया गया था। तबसे आज तक इस मंदिर में रावण की आज के दिन पूजा की जाती है। लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते है। मंदिर खुलने पर रावण की पूजा अर्चना बड़े धूम धाम से की जाती है।
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