बच्‍चे के बेहतर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिये बरतें ये सावधानियां.. – Up18 News

बच्‍चे के बेहतर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिये बरतें ये सावधानियां..

HEALTH

 

मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से, शोध व अध्ययनों के आधार पर सामने आए कुछ विश्लेषण बच्चों के साथ व्यवहार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हैं। इन पर बच्चे का वर्तमान और साथ ही भविष्य भी निर्भर करता है।

जिस बच्चे को मारा जाता है, उसका कौशल ख़त्म हो जाता है, वह भीरू बन जाता है

माता-पिता अपने बच्चों में अनुशासन, अच्छा व्यवहार, एक अच्छी समझ व उनकी पढ़ाई के लिए अक्सर पिटाई का माध्यम अपनाते हैं। उन्हें बच्चों को किसी बात को समझाने के लिए पिटाई करना आसान लगता है। उन्हें लगता है कि इससे उनके बच्चों में अच्छे काम के लिए सजगता पैदा होगी परंतु ऐसा नहीं है। माता-पिता के ऐसे व्यवहार से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य सहित समग्र विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे अपना कौशल, ख़ूबियां खोने लगते हैं।

एक शोध के अनुसार बच्चे को मारने-पीटने से उनके निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर भी असर पड़ता है और इसी कारण वे भविष्य में स्वयं के व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर दुविधा की स्थिति में रहते हैं।

यह उनके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है। बच्चों की बार-बार पिटाई करने से उनकी सोच में नकारात्मकता विकसित होती है, जैसे ‘मैं बहुत अच्छा/अच्छी नहीं हूं!’, ‘कोई मुझे प्यार नहीं करता’, ‘मैं किसी काम का/की नहीं हूं’, ‘मुझे किसी के साथ कुछ भी साझा नहीं करना चाहिए।’ यह आगे चलकर उनकी क्षमता पर सवाल खड़े कर सकता है और भविष्य में उन्हें प्रगति करने से रोक सकता है। वो कुछ भी कार्य करते हैं तो उसमें अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की चिंता बनी रहती है, वे विचलित रहते हैं और उनमें ग़लतियां करने का डर हमेशा बना रहता है। इस कारण वे भावनात्मक रूप से ख़ुद को अकेला पाते हैं और हमेशा भयभीत रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय होता आया है और इसीलिए वे बहुत अधिक ग़ुस्से या हताशा में रहते हैं। भविष्य में किसी काम को लेकर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, उनकी सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इस कारण उनका बौद्धिक विकास नहीं हो पाता।

जिस बच्चे की तारीफ़ नहीं की जाती वह ख़ुद को पसंद करना छोड़ देता है

सच्ची प्रशंसा करना बहुत आवश्यक है। इससे काम के प्रति उत्साह बढ़ता है। बच्चों के लिए तो यह विकास की औषधि ही है। प्रशंसा से बच्चे प्रोत्साहित होते हैं और उनमें चुनौतियों को स्वीकारने की क्षमता विकसित होती है। धैर्य के साथ कठिन से कठिन कार्यों को करने का दृष्टिकोण तैयार होता है, इसलिए उनकी सराहना करना, उन्हें प्रेरित करना उनमें नया आत्मविश्वास पैदा करेगा। बच्चों के कठिन क्षणों में उनमें आत्मविश्वास जगाना बहुत ज़रूरी है, उन्हें ऐसे समय में भी अच्छाई देखने की क्षमता विकसित करनी होगी। उन्हें विश्वास दिलाएं कि वे बड़ी हिम्मत के साथ मुश्किल का सामना करने में सक्षम हैं।

जिस बच्चे पर भरोसा नहीं किया जाता है, वह विद्रोही बन जाता है और कुछ काम न करने की ठान लेता है

कई माता-पिता बच्चे पर विश्वास नहीं करते। उन्हें लगता है कि वह शरारत या ग़लती करेगा ही। वे बच्चे को ‘सही रास्ते’ पर रखने के लिए दंडात्मक प्रक्रिया अपनाते हैं, हमेशा ऊंची आवाज़ में ही उससे बात करते हैं। ऐसा करके उन्हें लगता है कि बच्चा नियंत्रण में रहेगा। परंतु उन्हें यह नहीं पता कि ऐसा करने से बच्चा विद्रोही बन सकता है और कुछ काम न करने की ठान सकता है। इसलिए समझना होगा कि हर काम करना सिखाने के बजाय बच्चे में काम के प्रति लगन और निष्ठा बनने दें। अपनी शक्ति दिखाने की जगह, उसकी शक्ति के विकास में मदद करें।

जिस बच्चे का मज़ाक़ बनाया जाता है, उसका आत्मविश्वास ख़त्म हो जाता है

माता-पिता के साथ बच्चों का रिश्ता विश्वास और सुरक्षा पर टिका होता है क्योंकि बच्चे भी अपने माता-पिता को देखते हैं कि वे उनकी बातों को मान्यता देना चाहते हैं या नहीं। जब माता-पिता बच्चे की क्षमता पर भरोसा करते हैं और ऐसा बच्चों को भी सिखाते हैं कि वे ख़ुद पर भरोसा करना सीखें। जब अपने माता-पिता के द्वारा वे स्वयं को सम्मानित होता देखते हैं तो उनको ख़ुद पर एक सकारात्मक विश्वास होता है। यदि बच्चों को डांट पड़ती है या उनकी क्षमता पर माता-पिता भरोसा नहीं दिखाते, तो बच्चे भावनात्मक रूप से विकास नहीं कर पाते और इसके परिणामस्वरूप वे आसानी से नई चुनौतियों का सामना करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाते।

जिस बच्चे को ताना मारा जाता है वह कोशिश करना छोड़ देता है

हमेशा तंज़ करके बात करने या ताना मारने से बच्चे अपनी ज़रूरतों, पसंद और नापसंद को दबाते हैं और ख़ुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाते। इस कारण उनके निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित नहीं हो पाती है। भविष्य में वे नई चीज़ों को सीखने, नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लायक़ ख़ुद को तैयार नहीं कर पाते हैं। जब आप बच्चों को हर छोटी-छोटी बात पर डांटेंगे या ताना देंगे, तो वे कोई भी नई चीज़ करना चाह भी रहे होंगे तो डांट या असफल होने पर ताने मिलने के डर से ख़ुद को संकुचित करने लगेंगे और उनमें हार मानने, किसी कार्य को करने से पहले ही हिम्मत न जुटा पाने की प्रवृत्ति पैदा होगी। इसलिए बच्चों को स्वतंत्रता देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों को नई ज़िम्मेदारियां देना, उनके साथ बैठकर बात करना, उन्हें ख़ुद की ग़लतियों से सीखने के लिए प्रेरित करना, सीखने के लिए नए अवसर देना और उनका सम्मान करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। तभी आपके बच्चे ख़ुद को निखारने के लिए आगे बढ़ सकते हैं। बच्चे खुलकर जिएं इसके लिए माता-पिता का उचित व्यवहार बहुत आवश्यक है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh