सितंबर से त्योहारों के महीने शुरू हो रहे हैं | हम सभी जानते हैं गणेश पूजन से इसकी शुरुआत हो जाती है। गणेश उत्सव पहले महाराष्ट्रीयन लोगों का बड़ा देव पूजन आयोजन होता था परंतु अब पूरे भारतवर्ष में हिंदू सनातन अपनी पूर्ण आस्था के साथ गणेश उत्सव व दुर्गा उत्सव मनाते हैं और इन देव प्रतिमाओं को यमुना जी में प्रवाहित करते हैं। इसके पीछे उनकी आस्था के साथ अनेक वैज्ञानिक तथ्य है। एक कॉमन तर्क यह हैं कि हिंदू अपने इष्ट को खंडित व अनादर होने की दशा में अपने को पाप का भागी मानते हैं। आज जिस तरह पर्यावरण को क्षति पहुंचाई गई है तथा जिसके चलते यमुना नदी में जल स्तर शून्य हो गया है। ऐसे में आप व हम सभी हिंदू मूर्तिपूजक को यह सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर वह कौन सा उपाय किया जाए जिससे हमारी आस्था भी बरकरार रहे और देव प्रतिमा का अनादर न हो, उन्हें खंडित होने के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त रखते हुए जीवनदायिनी यमुना को भी बचाया जा सके| अतः हमारी संस्था लोकस्वर अपने कुछ सुझाव यहाँ रख रही है।
प्रथम
1.गणेश पूजन व नवरात्र पूजन के लिए शहर के कुंभकारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस के स्थान पर पीली मिट्टी प्रयोग करने के निर्देश दिए जाएं | एन.जी.टी ने पीओपी से मूर्ति बनाने पर रोक लगा रखी है।
- पीली मिटटी कुम्भकारों को उपलब्ध कराई ळऔर मूर्ति बनाने की ट्रेनिंग दी जाय ।
- कुंभकार किसी भी दशा में 4 फुट से अधिक ऊंचाई की मूर्ति न बनाएं |
- मूर्तियों को रंगने में केमिकल रंगों के बजाय पानी के रंगों का प्रयोग किया जाए |
द्वितीय
- आगरा शहर में 100 वार्ड हैं। मूर्तियों का विसर्जन यमुना नदी में करने के स्थान पर प्रत्येक वार्ड में ही इनके विसर्जन की व्यवस्था होनी चाहिए |
- इसके लिए प्रत्येक वार्ड के पार्षद को जिम्मेदारी सौंपी जाए कि वह हर वार्ड में विसर्जन के लिए एक बड़ी टंकी बनवाकर उसे रखने की व्यवस्था करें |
- इन टंकियों को आसपास के क्षेत्र की पवित्र नदियों से जल ला कर भरा जाए |
- मूर्ति विसर्जित किए गए इस जल को बगीचे में डाला जाना चाहिए, मिट्टी को बगीचे में डालने से उस बगीचे की मिट्टी और भी अधिक उपजाऊ होगी |
- इसके साथ साथ मिट्टी की मूर्ति अपने घर वह आस-पास के पार्क तथा स्कूल के मैदान आधे में भी विसर्जित की जा सकती है |
- आगरा शहर में कई टंकी मैन्यूफैक्चरर्स है, उन्हें इस प्रयास में शामिल किया जा सकता है |
- लगभग 50 लायंस क्लब की शाखाएं, 12 रोटरी क्लब, 20 भारत विकास परिषद की शाखाएं और लगभग 50 महिला संगठन हैं। इन सभी को इस अभियान से जोड़ा जा सकता है।
तृतीय
- सरकार व नगर निगम मिट्टी की प्रतिमाओं को एकत्र करके उन्हें विधि-विधान से यमुना में विसर्जित कराएं जिसमें सड़कों पर प्रदूषण कम होगा ।
- सड़कों पर जाम से कमी आएगी ।
- कैलाश घाट से दशहरा घाट तक उचित आकार व उचित संख्या में 10x10x10 का गड्ढा खुदवाया जाए जो उस इलाके का नागरिक साइज प्रमाणित करें क्योंकि अभी गड्ढा उचित संख्या वह साइज में नहीं होता है |
- लाउडस्पीकर की वॉइस की ध्वनि तीव्रता को नियंत्रित किया जाए व उन्हें धीमी आवाज पर बजाने के लिए प्रेरित किया जाए |
- उत्सव के दिन यातायात प्लान बनाए जाए।
- नगर निगम सदन में प्रस्ताव लाकर इन उत्सवों को धूमधाम से ईको फ्रेंडली बनाएं जैसे – पार्कों में गड्डा कराएं
- ऐसे कुंभकार का सम्मान करें करें जो मिट्टी की प्रतिमा बनाकर लोगों को उसे खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं|
- समाज को जागरूक करने का प्रयास NGO को जोड़कर किया जाए |
- प्लास्टर ऑफ पेरिस को पूर्णता प्रतिबंधित करने के लिए महाराष्ट्रीयन, बंगाली , हिंदू , संस्था व इनके सम्मानित गुरुओं से भी इस संबंध में सहायता दी जाए |.
- विसर्जन कुण्ड पर बेरीकेडिंग की जाये ताकि भक्त यमुना की ओर न बढ़े।
- स्वयंसेवक लगा करO.P. की देव प्रतिमाओं को अलग चबूतरे पर रखें । बाद मे उसका पर्यावरण दृष्टिकोण से निस्तारण किया जाये।
- मुख्यमंत्री जी प्रदेश के सभी मेयर साहिबान से मिलकर इसे पूरे प्रदेश में अमल में लाएं
राजीव गुप्ता, अध्यक्ष, लोकस्वर आगरा
संपर्कः 9837097850
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