shilpa jain

World Women Day एक स्त्री अकेले ही काफी है घर को स्वर्ग बनाने के लिए

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए

हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए

पर एक स्त्री अकेले ही काफी है

घर को स्वर्ग बनाने के लिए।

8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। महिला दिवस इस देश के और विश्व की सभी महिलाओं को मुबारक।

आंचल में ममता लिए हुए

नैनों में आंसू लिए हुए

सौंप दे जो सारा जीवन

फिर क्यों हो उसका आहत मन।

नारी इस विश्व की नींव है। सिर्फ एक दिन पूरे वर्ष में उसको सम्मान करने का दिन नहीं होना चाहिए। नारी हर पल सम्मान की पात्र है क्योंकि एक नारी ही है जो दोनों कुल को रोशन करती है। इसीलिए मेरे विचार से सिर्फ एक दिन के लिए बहुत सम्मान की पात्र नहीं है। हर एक पल वह सम्मान की पात्र है। आज की महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर चल ही नहीं रही बल्कि उनसे आगे निकल रही हैं। भले वह अध्यात्म का क्षेत्र हो, राजनीतिक क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या अन्य कोई भी क्षेत्र हो। आज की महिलाओं ने अपने हुनर और मजबूत इच्छाशक्ति से उस हर क्षेत्र की चुनौती को चकनाचूर कर दिया है जो उनकी तरक्की में बाधा पहुंचाने का काम करती थी। अतः विश्व की महिलाओं को सबका नमन।

एक जमाना था जब महिलाओं को कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं था। सिर्फ खाली घर तक ही वह सीमित थी। व्यवसाय हो या राजनीतिक क्षेत्र हो, कहीं भी उनका योगदान नहीं था, किन्तु आज की महिला का रूप बिल्कुल अलग है। इसके लिए सरकार को भी बहुत धन्यवाद है क्योंकि बहुत सारी ऐसी योजनाएं बनाएं जिनसे महिलाएं आगे बढ़कर अपनी काबिलियत को दुनिया के सामने रख पाई। प्रत्येक लड़की जिसका जन्म होता है उसे विरासत में महिला की विशेषता मिलती है। महिला शब्द करुणा, दया और ममता का पर्यायवाची है। नारी एक समान शब्द नहीं है। इस शब्द को देवत्व प्राप्त है। वैदिक काल से नारी देव तुल्य है। जब भी घर में बेटी का जन्म होता है तब कहा जाता है कि लक्ष्मी आई हैय़ बेटे के जन्म में कभी यह नहीं कहा जाता कि कुबेर आए हैं या विष्णु आए हैं। सदा बेटी के लिए ही यह शब्द का उपयोग किया जाता है । जब भी घर में दुल्हन आती है तो कहा जाता है लक्ष्मी हमारे घर में आई हैं। यह सम्मान केवल नारी को प्राप्त है। मां सरस्वती जो विद्या की देवी है जो विवेक की देवी है, वह भी एक नारी है। मां लक्ष्मी जिनकी पूरी संसार पूजा करता है, अपने घर में सदा वास करने की प्रार्थना करता ,है वह भी एक नारी है। मां दुर्गा जिन्होंने राक्षसों का वध किया, वह भी एक नारी है और एक पुरुष को जन्म देने वाली भी नारी है। अतः नारी के लिए शब्दकोश में विशेषताएं कम पड़ जाती हैं। महिलाओं की जितनी भी अनुमोदना की जाए वह कम है।

आज का दिवस महिलाओं को समर्पित है क्योंकि महिला ने हमेशा से एक श्रमिक के रूप में, एक मां के रूप में और एक अच्छे नागरिक के रूप में अपनी भूमिका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन किया है। नारी में अपरिमित शक्ति है और क्षमताएं हैं। बस इसका एहसास हम महिलाओं को होना चाहिए। अपने अद्भुत साहस अथक परिश्रम तथा दूरदर्शिता बुद्धिमता के आधार पर नारी ने विश्व में अपना पहचान बनाया है और उसमें कामयाब रही है। युग निर्माण में इनका बहुत योगदान है। इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, पीटी ऊषा, मीरा कुमार ऐसी अनगिनत महिलाएं हैं जिन्होंने भारत का नाम रोशन किया है। ईश्वर प्रदत शक्ति हर एक महिला के पास है भले वह महिला सिर्फ खाली घर ही क्यों ना संभाल रही हो। घर संभालना अपने आप में एक बहुत बड़ा कार्य है। यह अन्य सभी कार्यों से सबसे ऊंचा है क्योंकि घर से ही हम अपने बच्चों को संस्कार देते हैं और वह बच्चे आगे चलकर देश के लिए कुछ ना कुछ करते हैं तो उसके पीछे कहीं ना कहीं माता का विशेष योगदान होता है। आजकल की तो आधुनिक माता अपने गर्भ से ही अपने बच्चों को ऐसा संस्कार दे रही हैं जो अवर्णनीय है। गर्भ के अंदर से संस्कार देना सिर्फ एक नारी के ही हाथ में है।

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एक सफल पुरुष बनाने में भी एक स्त्री यानि एक माता का ही हाथ होता है। महिला को अपनी शक्ति समझने की जरूरत है। क्योंकि प्रायः देखा गया है कि एक महिला ही दूसरे महिला से प्रतिस्पर्धा रखती है, जो उचित नहीं है। अगर प्रत्येक महिला एक दूसरे का सहयोग करें उनका सम्मान करें तो महिला का समाज में सर्वोपरि स्थान होगा। आज शर्म की बात है कि सरकार द्वारा बेटी बचाओ योजना चला रही है, एक बेटी जो दोनों कुल को रोशन करती है उसके जन्म पर इतना अफसोस, यह एक सोचनीय विषय है। अभी सोच को बदलने की जरूरत है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण कदम महिलाओं को ही उठाना है, क्योंकि ईश्वर द्वारा गर्भधारण करने की क्षमता महिलाओं को ही प्राप्त है। एक महिलाओं को इतनी महान शक्ति प्राप्त है, जिससे वह अभिज्ञ है। थोड़ा विचार कीजिए, इतनी बड़ी शक्ति महिला के पास है। अपने शरीर से एक दूसरे शरीर का निर्माण करना अद्भुत है। अतः किसी भी प्रकार से हम महिलाओं को अपनी क्षमताओं पर अपनी शक्तियों पर संदेह नहीं रखना चाहिए। हिम्मत से, विवेक से परिवार का अपने भरण-पोषण करते हुए देश और समाज के लिए कुछ ना कुछ अवश्य योगदान देना चाहिए।

ईश्वर द्वारा महिलाओं को एक अद्भुत शक्ति प्रदान की गई है और वह है संकल्प शक्ति। अगर एक महिला कुछ ठान ले तो देवता भी उसकी विचारधारा नहीं बदल सकते हैं। अतः अपनी सोच सदा उत्तम रखें, द्वेष की भावना न रखें, हमेशा मन में यही विचार हो कि मेरे द्वारा कैसे दूसरों का कल्याण हो। परिवार की धुरी है महिला। अगर महिला ही कमजोर हो जाएगी, अगर उसकी संकल्प शक्ति कमजोर हो जाएगी तो उसका परिवार तितर-बितर हो जाता है। अतः महिला को सशक्त होने की आवश्यकता है। सर्वमंगल के माध्यम से मैं विश्व की सभी महिलाओं को सम्मान करती हूँ और उनसे आशा रखती हूँ कि वह इस देश की प्रगति में, समाज की प्रगति में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी।

 एक रानी की तरह सोचिए

 रानी असफलता से नहीं डरती

 क्योंकि वह सफलता की एक सीढ़ी है।

कुछ लोग कहते हैं औरत का कोई घर नहीं होता

लेकिन मेरा यकीन है कि

औरत के बिना कोई घर, घर नहीं होता।

शिल्पा जैन

ज्योतिषवेत्ता, आगरा