जपियो जिन अर्जन देव गुरु फिर संकट गरभ ना आएओ
Agra (Uttar Pradesh, India)। शहीदों के सरताज और शांति के पुंज सिखों के पंचम गुरु गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी गुरुपर्व ऐतिहासिक स्थान गुरुद्वारा माईथान पर श्रद्धा पूर्ण वातावरण में मनाया गया। कार्यक्रम के आरंभ में 40 दिन से हो रहे सुखमनी साहिब की पाठ की संपूर्णता हुईं। इस दौरान सामाजिक दूरी का पालन किया गया। कोरानावायरस से देश को बचाने की अरदास की गई। इस बार मीठे पानी की छबील नहीं लगाई गई। घरों में रहकर अरदास की गई।
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परमात्मा का हाथ तो कुछ नहीं हो सकता
इस मौके पर हजूरी रागी अंकित सिंह, बादल सिंह ने पंचम गुरु की बानी का कीर्तन करते हुए कहा- गुरु अर्जुन देव जी की शहादत का वर्णन इतिहास में कहीं और नहीं है, इसलिए इन्हें शहीदों का सरताज कहते हैं। अपने दूसरे शब्द में ‘तती वाहो ना लगई सतगुरु रखे आप’ का कीर्तन करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति पर कैसा भी दुख हो यदि उसके सिर पर परमात्मा का हाथ हो तो उसे कुछ नहीं हो सकता है। जपियो जिन अर्जन देव गुरु फिर संकट गरभ ना आएओ।
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गुरु को तप्त तवे पर बैठाया
हैड ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने कथा करते हुए बताया कि जब जहांगीर तख्त पर बैठा तो गुरु जी की शहादत अवश्य लग रही थी, क्योंकि जहांगीर का मन गुरु घर के प्रति पहले ही मैला था। गुरु जी जानते थे कि ओह गरीब मोहे भावे का आदर्श पेश करने वाले को अब तत्ती तवियो पर भी बैठना पड़ेगा और गुरु जी पांच दिन तसिए देकर शहीद किया था। जहांगीर का मन डरता था कि व्यासा से उठी सिक्खी की लहर दिल्ली से आगरा को ही नहीं बहा दे।
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देश को बचाने की अरदास
साथ ही इस अवसर पर इस महामारी से सम्पूर्ण देश को बचाने के लिए अरदास की गई। इस अवसर केंद्रीय संस्था के प्रधान कंवल दीप सिंह, समन्वयक बंटी ग्रोवर, गुरमीत सेठी, देवेन्द्र सिंह जोड़ा उपस्थित रहे।