शिवपाल यादव ने की समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत

शिवपाल यादव ने की समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत

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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष शिवपाल यादव ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की वकालत की है। उनका कहना है कि राम मनोहर लोहिया ने तो 1967 के चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था। शिवपाल ने इसके लिए पूरे देश में आंदोलन चलाने का ऐलान किया है।
प्रसपा के अध्‍यक्ष शिवपाल यादव जल्‍द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, यूपी के राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से ये कयास लगाए जा रहे हैं। शिवपाल भी लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं जिनसे उनकी बीजेपी से नजदीकियों के बारे में संकेत मिलते रहते हैं।
लखनऊ में 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित एक सेमिनार में शिवपाल यादव ने कहा कि अब समान नागरिक संहिता लागू करने का सही समय आ गया है। भीमराव आंबेडकर और लोहिया दोनों ने समाजवाद की खुलकर पैरवी की थी। साथ ही संविधान सभा में समान नागरिक संहिता की वकालत भी की थी।
जल्‍द पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात
शिवपाल के इस बयान के बाद प्रसपा के प्रवक्‍ता दीपक मिश्रा ने बताया कि वह समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग को लेकर जल्‍द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालकृष्‍ण आडवाणी और शांता कुमार सिंह से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी से मुलाकात का समय भी मांगा जा चुका है। आपको बता दें कि शिवपाल यादव अपने भतीजे और सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले शिवपाल ने सीएम योग आदित्‍यनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद से उनके बीजेपी में जाने की अफवाह तेज है।
सभी प्रादेशिक और राष्ट्रीय कमेटियां भंग
शिवपाल यादव ने तत्काल प्रभाव से प्रसपा की सभी प्रादेशिक और राष्ट्रीय कमेटियां भंग कर दी हैं। साथ ही सभी पदाधिकारियों के पद खत्म कर दिए हैं। कानपुर- बुंदेलखंड क्षेत्र के जिलों में भी पदाधिकारी हटाए गए हैं।
इसे शिवपाल यादव के अगले राजनीतिक कदम की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। शिवपाल ने पिछले दिनों कहा था कि वह ‘उचित समय’ जल्द आने वाला है, जिसका सबको इंतजार है।
धर्म और राजनीति दोनों में लागू होती है यह नीति: शिवपाल
शिवपाल सिंह यादव ने इटावा के ताखा ब्लाक में एक गांव में चल रही भागवत में कहा था कि जब व्यक्ति अपने और पराये की पहचान भूल जाता है तब घर में महाभारत होती है। धर्म और राजनीति दोनों में यह नीति लागू होती है। साइकिल चुनाव चिह्न से लड़ने वाले प्रत्याशियों में उनकी जीत सबसे बड़ी हुई है।
-एजेंसियां