श्रीराम कथा के मुख्य यजमान हैं धनकुमार जैन-शालिनी जैन
तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य सुना रहे कथा
कथा सुनने कोठी मीना बाजार मैदान पर आ रहे हजारों श्रद्धालु
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Agra, Uttar Pradesh, India. तुलसी पीठाधीश्वर, पदमविभूषण, जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज कोठी मीना बाजार मैदान पर श्रीराम कथा सुना रहे हैं। हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन आ रहे हैं। रामकथा के मुख्य आयोजक इटावा से भाजपा सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया हैं।श्रीराम कथा के मुख्य यजमान जाने-माने साराफ व्यवसायी धनकुमार जैन- शालिनी जैन हैं। हमने शालिनी जैन से रामकथा के महिला पात्रों के बारे में बातचीत की। वे कहती हैं कि रामायण से हमें विषम परिस्थितियों में भी पतिव्रत धर्म के पालन की सीख मिलती है। परिजनों के प्रति पूर्ण समर्पण का सार्थक संदेश मिलता है। रामायण में देवी अहिल्या, अनुसुइया तथा शबरी के प्रसंगों से भक्ति का संदेश मिलता है।
शालिनी जैन बताती हैं कि श्रीराम की पत्नी माता सीता से हमें सहनशीलता की सीख मिलती है। माता सीता अपने पति भगवान राम के प्रत्येक सुख-दुख में सहभागी रहीं। रावण की अशेक वाटिका में रहने के दौरान भी अपने पतिव्रत धर्म का पालन किया। माता सीता के कारण ही अहंकारी रावण का वध हुआ। स्त्री चरित्र के जितने भारतीय आदर्श हैं, वे सब माता सीता के ही चरित्र से ही उत्पन्न हुए हैं।
उन्होंने बताया कि माता सीता की तीनों बहनों- माण्डवी, श्रुतिकीर्ति तथा उर्मिला तो राजभवन में रह कर भी अपने पतियों का सामीप्य प्राप्त नहीं कर सकीं। भरत और शत्रुघ्न राजभवन के स्थान पर नंदीग्राम में रहकर शासन कर रहे थे। इस तरह राजा दशरथ की चारों पुत्रवधुओं ने चौदह वर्ष तक त्यागमय और तपस्या का जीवन व्यतीत किया। तीनों बहनों से ससुराल में आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने अपने पतियों से कभी कोई शिकायत नहीं की। आजकल तो ससुराल में जरा सा कष्ट आता है तो बहू मायके प्रस्थान कर जाती है।
शालिनी जैन बताती हैं कि रावण की पत्नी मंदोदरी से हमें यह सीख मिलती है कि पति अगर गलत मार्ग पर अग्रसर है तो उसे सही मार्ग का भान कराएं। मंदोदरी ने सीता हरण का विरोध किया था। अपने पति दशकंधर को सलाह दी थी कि सीता को राम को सौंपकर संधि कर लें। अहंकार के वशीभूत रावण ने पत्नी की सलाह नहीं मानी और उसके कुल का सर्वनाश हो गया। मेघनाद की पत्नी सुलोचना ने पतिव्रत धर्म के पालन का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
मुख्य यजमान, प्रमुख सराफा कारोबारी और समाजसेवी धनकुमार जैन ने बताया कि राम कथा क्यों सुननी चाहिए
रामायण में मंथरा ने खलनायिका की भूमिका निभाई। उससे हम यह सीख सकते हैं कि परिवार में विच्छेद कराने वाली सलाह देने वाले को स्वयं से दूर कर देना चाहिए। दासी मंथरा ने कैकेयी के कान भरे और परिणाम यह हुआ कि राम को 14 वर्ष का वनवास हो गया। आज हर घर में मंथरा हैं जो परिवार को नाश कर रही हैं। अगर कोई मां अपनी बेटी को ससुराल को तोड़ने की सलाह देती है तो वह मंथरा ही है।
शालिनी जैन ने बताया कि कैकेयी पति परायण, साहसी तथा विदुषी थी। कैकेयी श्रीराम को अपने पुत्र भरत से अधिक स्नेह करती थी। फिर भी वह मंथरा की बातों में आ गई और राम को वनवास में भेज दिया। कैकेयी से यह सीख मिलती है कि किसी का बातों में न आएं। अपने आसपास के लोग ही परिवार में विभेद कराते हैं, जिनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। दुष्टों का संग अच्छे-अच्छों की मति खराब कर देता है। इसलिए दुष्टों (मंथरा) की संगति से बचें।
वे बताती हैं कि रावण की बहन शूर्पणखा से यह सीखें कि परपुरुष के प्रति गलत विचार न लाएं। अगर लाए तो हाल बुरा होता है। राम और लक्ष्मण के प्रति गलत विचार के कारण ही शूर्पणखा की नाक काटी गई। शूर्पणखा ने अपने भाई रावण के मन में प्रतिशोध की ज्वाला प्रज्ज्वलित कर दी। रावण भी सुंदर स्त्रियों का भूखा था। अंततः परिणाम क्या हुआ, हम सब जानते हैं।
शालिनी जैन ने कहा कि यह सब ज्ञान स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज दे रहे हैं। कोठी मीना बाजार मैदान आगरा पर आकर रामकथा का श्रवण करें और अपना तथा अपने परिवार को सुखी बनाएं। परिवार सुखी होगा तो समाज और देश भी सुखी बनेगा। आज हर कोई खुशी को तलाश रहा है, जो रामकथा के श्रवण से मिलती है। रामकथा खुशी, प्रेम, आनंद, ज्ञान, पत्रिवता और शक्ति देनी वाली है।
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