jama masjid

ज्ञानवापी और भोजशाला की तरह जामा मस्जिद आगरा का होगा एएसआई सर्वे? श्रीकृष्ण विग्रह केस में प्रार्थनापत्र में दिए प्रमाण, कोर्ट ने दिया ये आदेश

RELIGION/ CULTURE
  • पढ़िए वे प्रमाण जिनसे सिद्ध हो रहा कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे हैं श्रीकृष्ण लला
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को प्रतिवादी बनाये जाने का आदेश, अगली सुनवाई 29 मार्च, 2024 को
  • प्रभु श्रीकृष्ण के प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह को वर्ष 1669-70 से लगातार पैरों से कुचला जा रहा

 

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India. के लघुवाद न्यायालय में विचाराधीन योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह केस संख्या- 659/2023, “श्री भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि” में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वैज्ञानिक सर्वे के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया।

बता दें कि इसी तरह के प्रार्थनापत्र पर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला मंदिर का वैज्ञानकि सर्वे करने का आदेश दिया है।  इसे मुस्लिम पक्ष कमाल मौलाना मस्जिद कहता है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले वागदेवी (देवी सरस्वती) का मंदिर हुआ करता था। मान्यता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण वर्ष 1669 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर करवाया था। ज्ञानवापी मस्जिद, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है।

 वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 1670 ईसवी में मुगल शासक औरंगजेब के आदेशानुसार मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिए गए थे। इसका उल्लेख औरंगजेब के शासनकाल में लिखी मासिर-ए-आलमगीरी पुस्तक के 13 वें अध्याय में किया गया है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जहाँआरा, शाहजहां की बड़ी बेटी थी, जिसे मुगलकाल में बेगम साहिबा की पदवी प्राप्त थी। उस समय जामा मस्जिद को बेगम साहिब की मस्जिद कहा जाता था। जामा मस्जिद परिसर में फारसी भाषा का एक शिलालेख है जिसमें लिखा है कि जामा मस्जिद को बेगम ने बनवाया था।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने 13 फरवरी, 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के समक्ष एक RTI फाइल की थी जिसमें यह जानकारी मांगी गई कि जामा मस्जिद का आज तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किसी भी प्रकार का उत्खनन अथवा शोध कार्य किया गया है या नहीं। जवाब 27 फरवरी, 2024 को प्राप्त हुआ। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बताया कि आज तक जामा मस्जिद का किसी भी प्रकार का उत्खनन अथवा शोध कार्य नहीं किया गया है। अतः ऐसी स्थित में यह आवश्यक हो गया है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का वैज्ञानिक सर्वे माननीय न्यायालय के आदेशानुसार किया जाए।

केस  के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रार्थना पत्र में हमने मांग की है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का GPR सर्वे, उत्खनन, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी आदि वैज्ञानिक विधि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जाए। इसकी एक शोध रिपोर्ट माननीय न्यायालय में दाखिल की जाए। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का मूल ढाँचा अभी भी जमीन के कई फीट नीचे दबा है, जिसका सत्य ASI के सर्वे द्वारा ही बाहर आएगा।

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श्रीकृष्ण विग्रह केस की सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश श्री मृत्युंजय श्रीवास्तव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को प्रतिवादी बनाये जाने का आदेश जारी किया। सुनवाई की अगली तिथि 29 मार्च 2024 नियत की गई है। कामरेड भाजनलाल का 26 फरवरी के आदेश द्वारा विपक्षी बनाये जाने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था जिस पर रिवीजन फाइल किया गया है, जिस पर सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल है।

पढ़िए मूल प्रार्थनापत्र के बिंदु

न्यायालय श्रीमान लघुवाद न्यायाधीश महोदय, आगरा

मूल वाद संख्या- 569 सन्-2023

श्री भगवान श्री कृष्णलला विराजमान आदि बनाम उ० प्र० सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड आदि प्रार्थना-पत्र अर्न्तगत आदेश 26 नियम 10-क सी०पी०सी० सहपठित आदेश

39 नियम 7 सी०पी०सी० सहपठित धारा 151 सी०पी०सी०

महोदय !

वादीगण निम्नलिखित निवेदन करते है कि-

  1. यह कि वर्ष 1669-70 ई० में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश के द्वारा मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के प्रभु श्रीकृष्ण व साथ में अन्य विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (बेगम साहिब) की मस्जिद की सीढियों के नीचे मस्जिद की सीढियों पर चढते उतरते पैरों से कुचलकर सनातन धर्म और सनातन धर्मावलंबियों को अपमानित करने के उद्देश्य से हमेशा के दबवा दिये थे।
  2. यह कि जामा मस्जिद (बेगम साहिब) की मस्जिद की सीढियों के नीचे प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रहों को दबाये जाने का उल्लेख औरंगजेब के शासनकाल में लिखी पुस्तक ‘मासिर-ए-आलमगीरी के पाठ-13 में मिलता है जिसके मुख्य अंश निम्नलिखित है-

“The idols, large and small, set with costly jewels, which had been set up in the temple, were brought to Agra, and buried under the steps of the mosque of the Begam Sahib.”

  1. यह कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविधालय के शोध छात्र सलीम अंसारी ने मास्टर ऑफ फिलोसोफी की थीसिस वर्ष 2015 ई० में प्रोफेसर मोहम्मद अफजल खान की देखरेख में पूरी की, जिसका शीर्षक “Studying Mughal Architecture Under Shah Jahan Mosques of Agra” इस शोध में सलीम अंसारी ने जहाँआरा को बेगम साहिब बताया है। जिसके मुख्य अंश निम्न है-

“His elder daughter, Jahan Ara was a pious lady of the harem, popularly known as the Begam Sahiba.”

“Therefore, in that situation Jahan Ara, whose title was Begum Sahiba, requested her father to allow her this noble and blissful work to do.”

  1. यह कि जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है जिसका प्रारंम्भिक नोटिफिकेशन संख्या- UP 1412- M, 18-11-1920 व फाइनल नोटिफिकेशन संख्या- UP 1645- M/1133, 22-12-1920 है।
  2. यह कि भारतीय पुरातत्व विभाग के आगरा-सर्किल की बेबसाइट www.asiagracircle.in/some-other.html पर जामा मस्जिद के निर्माण जहाँआरा द्वारा किया गया बताया गया है, जिसका वर्णन निम्नलिखित है-

“The Jami Masjid is situated to the west of the Minari Bazar, adjoining the Agra Fort Railway station. It was constructed by Jahanara, the eldest daughter of Shah Jahan in A.D. 1644-48 at a cost of 5 lakh rupees. Built a red sand stone, the masjid consists of a large forecourt and a tank, situated on a highly elevated basement. To each quoin of the mosque, an octagonal pavkion surmounted by a cupola is attached. It has three entrances with flights of steps. The quibla and which are shaped liked a reversed ballon, decorated with bands of white marble them. Inscription- A persian inscription on the face of the entrance states that the mosque was executed under Begum at a cost of five lakh rupees in five years.”

  1. यह कि वादी अजय प्रताप सिंह, एडवोकेट ने दिनाँक 13-02-2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के समक्ष एक आर०टी०आई० संख्या- ALSOI/R/E/24/00149 दायर कर निम्नलिखित सूचना माँगी थी-

The monument which is protected under ASI of Agra Circle as Jami Masjid, Agra City and Distrcit- Agra with Preliminary notification number- UP1412-M:18-11-1920 and Final notification number- UP1645-M/1133:22-12-1920. Please provide the following information about the monument as mentioned above-

 

(1)- Is any excavation/research conducted by ASI about the monument? Yes or No?

(2)- If Yes, Please provide the complete details of the excavation/research conducted by ASI,

  1. यह कि उपरोक्त आर०टी०आई० संख्या ALSOI/R/E/24/00149 का जवाब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा दिनाँक 27-02-2024 को प्राप्त हुआ जोकि निम्नलिखित है-

“1 & 2- No excavation/research conducted by ASI, Agra Circle, Agra.”

  1. यह कि उपरोक्त ऐतिहासिक, शोध व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पुस्तकों/अभिलेखों से यह साबित होता है कि जहाँआरा को मुगल काल में बेगम साहिबा की पदवी मिली हुई थी और जहाँआरा ने ही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था जिसे उस काल में बेगम साहिब की मस्जिद कहते थे। जामा मस्जिद (बेगम साहिब) की मस्जिद की सीढियों के नीचे वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण व अन्य प्राण प्रतिष्ठित विग्रह वर्तमान में दबे है।
  2. यह कि वाद में प्रभु श्रीकृष्ण एक अवयस्क है और अवयस्क के हितों की रक्षा करना माननीय न्यायालय का दायित्व है। प्रभु श्रीकृष्ण के प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह वर्ष 1669-70 ई० से वर्तमान समय तक जामा मस्जिद की सीढियों के नीचे दबे है जिनको प्रतिदिन चढ़ते-उतरते लगातार पैरों से कुचला जा रहा है जो कि प्रभु श्रीकृष्ण का अपमान है व साथ ही सनातन धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनाओं पर लगातार कुठाराघात हो रहा है।

अयोध्या के रामलला के बाद मथुरा के श्रीकृष्ण लला कोर्ट में, मंदिर को dismantle कर मस्जिद बनाने, मूर्तियों को आगरा की जामा मस्जिद में दबाने का प्रमाण औरंगजेब की डायरी मआसिर-ए-आलमगीरी में उपलब्ध

Dr. Bhanu Pratap Singh