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छोटी सी जिंदगी में बहुत कर गए सर्वज्ञ शेखर गुप्त, साहित्यकारों ने किया याद

साहित्य

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Agra, Uttar Pradesh, India. वरिष्ठ साहित्यकार हरिमोहन सिंह कोठिया ने कहा है कि साहित्यसेवा के क्षेत्र में सर्वज्ञ शेखर जैसे समर्पित साहित्यसेवी विरले ही पैदा होते हैं, जिनकी कलम ने जीवन पर्यंत समाज व राष्ट्र को दिशा प्रदान की।

श्री कोठिया ने यह बात नागरी प्रचारिणी सभा के सभागार में स्मृति शेष सर्वज्ञ शेखर गुप्त की द्वितीय पुण्य तिथि पर संस्थान संगम द्वारा आयोजित “बहुत याद आते हैं सर्वज्ञ”  कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए की। उन्होंने कहा कि सर्वज्ञ शेखर बहुत कुछ लिखना चाहते थे, लेकिन वे अपनी छोटी से जिंदगी में बहुत कुछ कर गए। उनके अधूरे कार्यों को पूरा किए जाने की महती आवश्यकता है।

गजलकार डॉ. अशोक रावत ने कहा कि सर्वज्ञ जी देश की ज्वलंत समस्याओं पर प्रखर आलेख लिखते रहे। उनका अभाव निरंतर बना हुआ है। डॉ. शशि तिवारी ने सर्वज्ञ शेखर को साहित्य के साथ-साथ समाज सेवा में अग्रणी बताया और कहा कि उनकी अभी देश व समाज को अभी बहुत आवश्यकता थी ।

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साहित्यसेवी सर्वज्ञ शेखर गुप्त को श्रद्धांजलि देते साहित्यकार हरिमोहन सिंह कोठिया एवं अन्य।

नागरी प्रचारिणी सभा की उपाध्यक्ष डॉ. कमलेश नागर ने कहा कि आत्म विश्वास के धनी सर्वज्ञ शेखर जी कुशल लेखक थे। देवेश वाजपेई ने कहा कि प्रतिभावान साहित्यकार सर्वज्ञ शेखर में त्वरित लेखन का अद्भुत गुण था। डॉ. शशि गुप्ता ने कहा कि सर्वज्ञ शेखर जी के सारगर्भित लेखन में बहुत कुछ छिपा रहता था। डॉ. चंद्र शेखर शर्मा ने उन्हें सच्चे राष्ट्र भक्त के रूप में श्रद्धांजलि दी। सुशील सरित ने “राम रमैया गाए जा” भजन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का संचालन संस्थान संगम के संपादक अशोक अश्रु विद्यासागर ने किया तथा आभार व्यक्त किया चंद्र शेखर गुप्त ने।

ये भी रहे उपस्थित

कार्यक्रम में डॉ. मधु भारद्वाज, डा. परमानंद शर्मा, प्रेम सिंह राजावत, रमा वर्मा श्याम, ज्योत्सना सिंह, चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. असीम आनंद, डॉ. रमेश आनंद, विजय कुमार गोयल, अलका अग्रवाल, रामेंद्र शर्मा रवि, राज कुमारी चौहान, विनय बंसल, विजया तिवारी, राज कुमार जैन, ब्रजेश शर्मा, अजय शर्मा, पद्मावती पदम, अनिल अरोड़ा संघर्ष, इंदल सिंह इंदु, एस के बग्गा, ज्योति प्रसाद, डॉ. महेश धाकड़ उपस्थित रहे। करुणेश परिवार के चंद्रशेखर गुप्त, संजय गुप्त, आदर्श नंदन गुप्त, शरद गुप्त, अभिनव, अभिजात्य तथा प्रतीक उपस्थित थे।

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Dr. Bhanu Pratap Singh