golwalkar guru ji

कश्मीर को पाकिस्तान में जाने से RSS के सरसंघचालक ‘गुरुजी’ ने ही बचाया था

NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE लेख

Agra, Uttar Pradesh, India. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (श्रीगुरुजी) की आज पुण्यतिथि है। श्रीगुरुजी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वे संन्यासी योद्धा थे। अगर कश्मीर आज भारत के साथ है तो यह श्रीगुरुजी का ही प्रभाव है।  हिन्दू जागरण मंच बृज प्रांत के संयोजक राजेश खुराना ने श्रीगुरूजी की पुण्य तिथि पर कश्मीर का भारत में विलय की कहानी लाइव स्टोरी टाइम के साथ साझा की। जानते हैं कश्मीर को भारत में विलय कराने में श्रीगुरुजी का क्या योगदान है?

आजादी मिलते ही सभी रिसायतों को भारत में विलीनीकरण  कर रहे थे केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल। उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर रिसायत को भारत में शामिल करने के लिए रिसायत के दीवान मेहरचंद महाजन के पास संदेश भेजा कि वे कश्मीर नरेश हरि सिंह को तैयार करें। बड़ी मुश्किल थी। मेहरचंद महाजन को नहीं लगता था कि महाराजा हरि सिंह उनकी बात सुनेंगे। अंत में उन्होंने श्रीगुरुजी के पास संदेश भिजवाया कि वे कश्मीर-नरेश से बात करें। उन्होंने श्रीगुरुजी और कश्मीर नरेश की भेंट तय कर दी।

श्रीगुरुजी 17 अक्तूबर, 1947 को विमान से श्रीनगर पहुँचे। 18 अक्टूबर को श्रीगुरुजी और कश्मीर नरेश के बीच भेंट हुई। उस समय 16 वर्षीय युवराज कर्ण सिंह जांघ की हड्डी टूटने के कारण वहीं लेटे हुए थे। दीवान मेहरचन्द महाजन भेंट के समय उपस्थित थे। कश्मीर-नरेश ने श्रीगुरुजी से कहा- मेरी रियासत पूरी तरह से पाकिस्तान पर अवलम्बित है। सभी मार्ग सियालकोट और रावलपिंडी की तरफ से हैं। रेल सियालकोट की ओर से है। हवाई अड्डा लाहौर का है। अतः हिन्दुस्तान के साथ मेरा सम्बन्ध किस तरह बन सकता है?

श्रीगुरुजी ने कश्मीर नरेश को समझाया – आप हिन्दू राजा हैं। पाकिस्तान में विलय करने से आपको और आपकी हिन्दू प्रजा को भीषण संकटों से गुजरना होगा। यह ठीक है कि अभी हिन्दुस्तान से रेल के रास्ते और हवाई मार्ग का कोई सम्पर्क नहीं है, किन्तु इन सबका प्रबन्ध शीघ्र ही हो जायेगा। आपका और जम्मू-कश्मीर रियासत का भला इसी में है कि आप हिन्दुस्थान के साथ विलीनीकरण कर लें।  दीवान मेहरचन्द महाजन ने कश्मीर-नरेश से कहा  कि गुरुजी ठीक कह रहे हैं। आपको हिन्दुस्थान के साथ रियासत का विलय करना चाहिए।  इसके बाद ही जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ। कश्मीर-नरेश ने श्रीगुरुजी को तूस की शाल भेंट की थी।

श्रीगुरुजी के बारे में

जन्मः 19 फरवरी, 1906, रामटेक, महाराष्ट्र

नामः माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

माता-पिताः   लक्ष्मीबाई उपाख्य ‘ताई’- सदाशिव राव उपाख्य ‘भाऊ जी’ ।

प्रसिद्ध नामः श्रीगुरुजी

शिक्षाः हिस्लाप कॉलेज, काशी हिन्दी विश्वविद्यालय

आरएसएस में आएः 1938

सरसंघचालकः 1940

पुस्तकः बंच ऑफ थॉट (हिन्दी में विचार नवनीत), वी आर ऑवर नेशनहुड डिफाइंड

विचारः ‘भारतीय’ वही है जिनकी दृष्टि व्यापक है और भारतीय धर्मों के मानने वाले सभी मानते हैं कि ईश्वर एक ही है उसे पाने के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं।

निधनः 5 जून, 1973, नागपुर, महाराष्ट्र

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