एक रिपोर्ट के मुताबिक 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली 384 ढांचागत परियोजनाओं की लागत 4.52 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ चुकी है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश प्रस्ताव वाली 1,529 परियोजनाओं में से 384 परियोजनाएं अपनी निर्धारित लागत से अधिक हो चुकी हैं। इनके अलावा 662 परियोजनाएं देरी से भी चल रही हैं।
मंत्रालय ने सितंबर 2022 के लिए जारी अपनी रिपोर्ट में कहा, “कुल 1,529 परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर कुल 21,25,851.67 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान था लेकिन अब इन परियोजनाओं के पूरा होने पर कुल खर्च 25,78,197.18 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। यह दर्शाता है कि इन परियोजनाओं की लागत 4,52,345.51 करोड़ रुपये बढ़ चुकी है जो मूल लागत का 21.28 प्रतिशत अधिक है।”
यह रिपोर्ट कहती है कि इन ढांचागत परियोजनाओं पर सितंबर 2022 तक कुल 13,78,142.29 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे जो कि कुल अनुमानित लागत का 53.45 प्रतिशत है।
देर से चल रही परियोजनाओं की संख्या 662 रही है। एक से 12 महीने की देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या 133 है जबकि 129 परियोजनाएं पांच साल से अधिक देरी से चल रही हैं। इन परियोजनाओं की औसत देरी 42.08 महीने दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक ढांचागत परियोजनाओं में होने वाले विलंब की प्रमुख वजह में भूमि अधिग्रहण में होने वाली देरी, वन एवं पर्यावरणीय मंजूरी और ढांचागत समर्थन का अभाव शामिल है। इसके अलावा महामारी के दौरान कोरोनावायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की भी इस देरी में अहम भूमिका रही है।
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