ravan puja

रावण के वंशज मदन मोहन शर्मा बने दशानन, कन्या पूजन किया, लोगों ने उतारी आरती

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. आगरा में लोगों को जागरूक करने के लिए रावण के वंशजों ने आज अनोखा कार्य किया। रावण वंशजों ने रावण का रूप धारण कर कन्या पूजन किया। रावण की आरती उतारी। हवन कर लोगों से अपील की कि रावण का पुतला दहन न करें।

लोगों से आगे आने का आह्वान

लंकापति दशानन रावण महाराज पूजा आयोजन समिति ने शिव तांडव स्त्रोत के रचयिता प्रकाण्ड विद्वान महाराज दशानन एवं महादेव जी की पूजा अर्चना हवन कर आरती की। इसके बाद लंकापति रावण ने कन्या पूजन किया। लोगों को नारी सम्मान करने के लिए प्रेरित किया। पुतला दहन का विरोध कर देशवासियों से कुप्रथा को मिटाने के लिए आगे आने का आह्वान किया गया। रावण का स्वरूप डॉ. मदन मोहन शर्मा ने धारण किया। उन्होंने कहा कि रावण ने राम को लंका विजय की आशीर्वाद दिया था और इसी कारण राम जीत पाए।

राम को लंका विजय का आशीर्वाद दिया था

सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोगों  ने कैलाश स्थित रामलाल वृद्ध आश्रम बद्धेश्वर महादेव शिव मंदिर पर विगत वर्षों की भांति भगवान महादेव की पूजा अर्चना की। साथ ही लंकेश के स्वरूप महाराज दशानन की आरती की गई। लंकापति दशानन रावण महाराज पूजा समिति के डॉ. मदन मोहन शर्मा व एडवोकेट उमाकांत सारस्वत ने इस अवसर पर कहा कि भगवान राम ने स्वयं सेतु बंधु रामेश्वरम की स्थापना स्वयं रावण से कराई थी और लंका पर विजयश्री का आशीर्वाद लिया था। इस समय रावण स्वयं सीताजी को अपने साथ लेकर आए थे। बाद में जब रावण विष्णु लोक को अपना शरीर त्याग कर जा रहे थे उस समय भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को राजनीति एवं ज्ञान की शिक्षा लेने के लिए रावण के पास भेजा था।

रावण का पुतला दहन राम का अपमान

उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकांड विद्वान व्यक्ति का प्रतिवर्ष पुतला दहन भगवान राम का अपमान है। चूंकि भगवान राम ने लंकेश को अपना आचार्य माना था और भगवान के आचार्य का प्रतिवर्ष पुतला दहन एक कुरीति है, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है और आने वाली नई पीढ़ी को गलत संदेश मिलता है। हिन्दू संस्कृति में एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार एक बार ही होता है और उसका बार-बार पुतला दहन करना एक अपमान है।

पुतला दहन की कुप्रथा पर रोक लगे

महंत गौरव गिरी और शिवप्रसाद शर्मा ने  कहा कि रावणकी शक्ति और उनके पराक्रम से हमें सीख लेनी चाहिए और भगवान राम का भक्त होने के नाते रावण का अपमान नहीं करना चाहिए। दशहरा पर राम और रावण का मंच पर युद्ध हो और हिन्दू संस्कृति को बढ़ाने के लिए इसका प्रचार प्रसार हो,लेकिन पुतला दहन की कुप्रथा पर रोक लगनी चाहिए, जिससे पुतला दहन के दौरान होने वाले हादसों से बचा जा सके और पर्यावरण को बचाया जा सके। और दशहरे पर्व को शुभ संकल्प दिवस के रूप में बनाने का संकल्प लें।

ये रहे मौजूद

एडवोकेट उमाकांत सारस्वत, दीपक सारस्वत, विनय शर्मा, शिव प्रसाद शर्मा, सूर्य प्रकाश सारस्वत, गौरव चौहान, कमल सिंह चंदेल, हेमंत सारस्वत, अमित सारस्वत, ध्रुव सारस्वत, सोनू शर्मा, नीरज सारस्वत, नारायण हरि सारस्वत, नकुल सारस्वत, अमन सारस्वत आदि उपस्थित थे