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गजेन्द्र शर्मा ने 24 करोड़ लोगों को 7000 करोड़ दिलाए, ये काम कोई MP- MLA नहीं कर सकता, तालियां तो बनती हैं

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ये हैं गजेन्द्र शर्मा। धर्मानुरागी। आगरा में दयालबाग सौ फुटा रोड पर रहते हैं। सुबह का पूरा वक्त पूजा-पाठ में निकलता है। परिवार की शादी में धोती-कुर्ता धारण करते हैं। तिलक लगाकर रहते हैं। चाहने वाले ‘पंडिज्जी’ के नाम से संबोधित करते हैं। सभी के प्रिय हैं। फिर चाहे वह भाजपा वाले हों या कांग्रेस वाले। सपा वाले हों या प्रसपा वाले। बसपा वाले हों या जनता दल वाले। संजय प्लेस में प्राइम ऑप्टिकल के नाम से चश्मे का प्रतिष्ठान चलाते हैं। ऐसा प्रतिष्ठान जहां दुनियाभर की चश्मे की नई से नई तकनीक मिलती है। गजेन्द्र शर्मा सबकी आवभगत पूरे जोश से करते हैं। यही गुण उनके पुत्र राहुल शर्मा में आ गए हैं। अच्छी बात है कि पुत्र अपने पिता के चरण चिह्नों को अनुसरण कर रहा है। गजेन्द्र शर्मा इस पर गर्व कर सकते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि मैं गजेन्द्र शर्मा की इतनी तारीफ क्यूं कर रहा हूं? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि आज 25 अक्टूबर, 2020 का अखबार देखिए। पहले पेज पर लीड खबर छपी है। लॉकडाउन अवधि के दौरान बैंक किश्त न चुका पाने वालों को केन्द्र सरकार ने राहत दी है। बैंक जो ब्याज पर ब्याज वसूल रहा था, वह केन्द्र सरकार चुकाएगी। जिन लोगों ने लगातार किश्त चुकाई है, उन्हें कैशबैक मिलेगा। यह राशि ऋणधारक के खाते में जमा की जाएगी। मार्च से अगस्त, 2020 तक की बैंक किस्त में राहत मिली है। बड़ी बात यह है कि दो करोड़ रुपये तक का कर्ज लोने वाले लाभार्थी होंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि किस्त न चुकाने वाले और लगातार किस्त चुकाने वाले, सबको लाभ मिलेगा। इससे 24 करोड़ लोगों को 6500 से 7000 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। भारतीय राजनीति के इतिहास में कोई सांसद और विधायक यह कमाल नहीं कर पाया है, जो सामान्य से गजेन्द्र शर्मा और उनके एडवोकेट पुत्र राहुल शर्मा ने कर दिखाया है।

यूं तो मैं गजेन्द्र शर्मा को दशकों से जानता हूँ, लेकिन ऐसा कमाल का काम कर जाएंगे, कभी सोचा नहीं था। उनके प्रतिष्ठान पर पत्रकारों और राजनेताओं का अड्डा लगा रहता है। भरी गर्मी में पत्रकार एसी में बैठने और ठंडा पानी पीने वहां जाते हैं। चुनाव के समय राजनेता उनके यहां ब्राह्मण वोट के लिए जाते हैं। फतेहाबाद और बाह विधानसभा क्षेत्र में उनके प्रभाव माना जाता है। जिस नेता की बात उन्हें समझ में आ जाती है, वे उसके साथ लग जाते हैं। फिर जी तोड़ मेहनत करते हैं। जीत-हार उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है। वे तो केवल कर्म करते हैं। उनकी इसी प्रवृत्ति ने पूरे देश के कर्जदारों को राहत दिलाई है।

कोरोनावायरस के कारण 25 मार्च, 2020 को देशभर में लॉकडाउन लग गया। कमाई बंद हो गई। बैंक की किस्त रुक गई। बैंक ने ब्याज पर ब्याज वसूलने का नोटिस जारी कर दिया। ऐसा ही नोटिस गजेन्द्र शर्मा को मिला तो माथा ठनका। उन्होंने इसे अन्याय माना और बैंकों को सबक सिखाने की ठानी। जब गजेन्द्र शर्मा ने ‘ब्याज पर ब्याज’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की तो सबने हल्के में लिया। कुछ लोग कहने लगे कि पागल हो गया है। घर में नहीं है दाने और अम्मा चली भुनाने। मतलब इनके पास देने के लिए वकीलों की फीस तो है नहीं और सुप्रीम कोर्ट में चले गए हैं। इस तरह के तानों ने उनका निश्चय और दृढ़ कर दिया। बैंक वालों ने गठबंधन बना लिया। कोर्ट में वकीलों की फौज खड़ी कर दी। गजेन्द्र शर्मा के पास सिर्फ एक वकील। मीडिया में कवरेज हुआ तो पूरे देश में चर्चा होने लगी। लोग साथ आने लगे। बस फिर क्या था, गजेन्द्र शर्मा ने इसे सबकी लड़ाई मानकर मैदान में डटे रहने का संकल्प लिया। देखते ही देखते कारवां बन गया। दुआओं का भी दौर शुरू हो गया। आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिसका इंतजार था। अब वित्त मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। राहत मिल गई है। खुशी मनाइए। आगरावालों को खासतौर पर जश्न मनाना चाहिए क्योंकि गजेन्द्र शर्मा और राहुल शर्मा हमारे आगरा के हैं। उनके लिए तालियां तो बनती हैं। उनके लिए दुआ तो बनती ही है। आखिर जो काम स्वनाम धन्य राजनेता नहीं कर पाए, वह काम जो कर दिखाया है।

मुझे गर्व है इस बात पर कि गजेन्द्र शर्मा मुझे भी जानते हैं। दुष्ट नेताओं की प्रशस्ति तो हर कोई कर लेता है, कर सकता है और करता भी है, लेकिन यह प्रशस्ति ऐसे व्यक्ति के लिए है, जिसने देशभर 24 करोड़ लोगों को राहत दिलाई है। इसलिए इन पंक्तियों को पढ़कर अगर कोई चमचागारी या चापलूसी कहता है तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

प्रसिद्ध कवि दुष्यंत ने जय प्रकाश नारायण के लिए दो पंक्तियां लिखी थीं, वे आज गजेन्द्र शर्मा पर सटीक हैं-

एक बूढ़ा आदमी है इस मुल्क में या यूं कहें

इस अँधेरी कोठरी में एक रौशनदान है।

-डॉ. भानु प्रताप सिंह