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राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज ने कहा- डरो पर आतंकवादियों से नहीं

NATIONAL REGIONAL RELIGION/ CULTURE

हूजरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 31 मार्च, 2000 को अग्रसेन भवन, हिसार (हरियाणा, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- विज्ञान के आधार पर यह बात साबित हो चुकी है कि इस रचना का कोई कुल मालिक है और इस बात को हजूर महाराज ने पहले ही साबित कर दिया था इस रचना के मालिक कुल मालिक राधास्वामी दयाल हैं।

आवाज का माध्यम बदला
पिछले कुछ 50 सालों में आवाज का माध्यम बदल गया है। लोग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव के जरिए कृत्रिम आवाज पहुंचा रहे हैं। इंटरनेट के जरिए भी आवाज को सुना देते हैं। यह ऐसी आवाज चल रही है जो अच्छे भले सुजाके को अंधा बना देती है और सुनते हुए को बहरा बना देती है। एक ऐसी भी आवाज है जो राष्ट्रीयता का जामा ओढ़कर अपने देश, अपनी सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर होती है। यह एक दूसरे की आवाज को दबाने के लिए उठती है और जैविक हथियारों से लेकर हाइड्रोजन एवं आणविक विस्पोट तक का दुरुपयोग प्रारंभ हो जाता है।

एकता को तोड़ने की आवाज

इसके अतिरिक्त माया के नए करतब से एक और आवाज गूंजी जिसने भौगोलिक एकता को तोड़ दिया और हिन्दुस्तान, पाकिस्तान व खालिस्तान की बातें होने लगी, जिसमें हिन्दुओं, मुसलमानों, सिक्खों और ईसाइयों आदि में सांप्रदायिकता और भेदभाव का विष घोल दिया। सब एक दूसरे से अपने को बड़ा कहने लगे फलस्वरूप देश टूट गया।

कलयुग का प्रकोप

एक आवाज दूसरे ही रूप में अस्त्र शस्त्र का प्रयोग करके डराने की थी जिसे आतंकवाद कहा जाता है, जिसके कारण निर्दोषों का खून खराबा हो रहा है। इस माया की कठोर गर्जना ने सारे विश्व की शांति और व्यवस्था को खत्म कर मानवता को विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है। यह सब कलयुग का प्रकोप है।

चेतावनी

मैं उन सब को विशेष रूप से चेतावनी देना चाहता हूं जो परमार्थ और धर्म को आज भी सही तौर पर मानने को तैयार नहीं है और न ही मालिक की हस्ती में विश्वास करना चाहते हैं। जान लेना चाहिए कि मौत आएगी। अगर इन सब चीजों से अपनी सुरक्षा करना चाहते हो तो थोड़ा सा डरो। इन आतंकियों से नहीं. इन सांप्रदायिक ताकतों से नहीं, इन विध्वंशकारी शक्तियों से नहीं, बल्कि मालिक से डरो और मालिक से प्रेम करो। वह बातें अब किताबों में छपकर खत्म हो गई कि मालिक है या नहीं। विज्ञान के आधार पर यह बात साबित हो चुकी है कि इस रचना का कोई कुल मालिक है और इस बात को हजूर महाराज ने पहले ही साबित कर दिया था इस रचना के मालिक कुल मालिक राधास्वामी दयाल हैं और कोई दूसरा नहीं है। (क्रमशः)