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दादाजी महाराज ने इस शहर में जब अपना दूसरा रूप दिखाया तो सन्नाटा छा गया

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

20 साल पहले हरियाणा के कालका में राधास्वामी गुरु ने कहा- मैं बात कड़वी कहता हूं लेकिन बड़ी सच्ची…

हूजरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 3 अप्रैल 2000 को पंजोर गार्डन, कालका, पंचकूला (हरियाणा, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- मेरा यहां आना तभी सुकारथ होगा जब तुम लोग प्रतिज्ञा लो कि कालका कोई भी आदमी जो किसी भी तरीके से किसी भी सतसंगी से संबंधित है, वह सुरा की बोतल को नहीं उठाएगा। मेरी इस बात को सारे शहर में बता दीजिए।

कही ये बात

मैं कालका में एक विशेष बात कहने के लिए आया हूं। कालका में उच्च कोटि के प्रेमी हुए और प्रेमी से ज्यादा प्रेमिनें। इसे संयोग ही कहा जाए या फिर कर्म चक्र कि इस शहर के घरों में महिलाओं ने संतमत को माना। राधास्वामी मत के सिद्धांतों को माना, लेकिन पुरुषों ने घोर उदासीनता दिखाई है। एक जमाना था जब कालका में रोजाना सत्संग होता था। उस सत्संग में कम से कम 200 से 300 महिलाएं इकट्ठा होती थीं, लेकिन उनके बच्चों पर और उनके घर वालों पर संतमत के सिद्धांतों का कोई असर पड़ा। इसलिए नहीं कि वह मालिक को नहीं मानते थे या राधास्वामी दयाल को नहीं मानते थे या राधास्वामी नाम को नहीं मानते थे, कठिनाई यह थी कि वह सुरा की बोतल को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। उससे घर के घर चौपट हुए। महिलाओं ने अपने बेटे खो दिए। पत्नियों ने भरी जवानी में अपने पतियों को खो दिया और जो भक्ति घर में कमाई गई थी वह बिल्कुल काफूर हो गई।

मेरी इस बात को सारे शहर में बता दीजिए

भक्ति वह जवाहरात या धन है जो कभी कम नहीं होता, बल्कि जैसे निकम्मे लड़के चोरी के धन को गँवा देते हैं वैसे ही भक्ति के धन को गंवा तो नहीं सकता लेकिन बिना भक्त बने वह बढ़ भी नहीं सकता है। फिर भी कम से कम तिजोरी के उस धन को देखना जरूर चाहिए था। मेरा यहां आना तभी सुकारथ होगा जब तुम लोग प्रतिज्ञा लो कि कालका कोई भी आदमी जो किसी भी तरीके से किसी भी सतसंगी से संबंधित है, वह सुरा की बोतल को नहीं उठाएगा। मेरी इस बात को सारे शहर में बता दीजिए।

इनका तो कुछ बिगाड़ नहीं हो सकता

आप हरियाणा के ऐसे महत्वपूर्ण नुक्कड़ पर रहते हैं जो पंजाब को हरियाणा से मिलाता है और पंजाब -हरियाणा दोनों को हिमाचल प्रदेश से मिलाता है। यह शहर तो कुछ दूसरा रूप ले सकता था लेकिन शराब पी-पी के उसका सत्यानाश लगा दिया है। प्रेमी और प्रेमिनों के घर में तुम लोग एक धब्बा बन गए हो। इसलिए यहां आने से पहले मैंने कई दफा सोचा। यह महिलाएं जो अब जीर्ण हो गई है उन्होंने भक्ति कमाई है, सेवा की है और अभ्यास कमाया है। इनका तो कुछ बिगाड़ नहीं हो सकता, इनका तो सीधा उद्धार होगा, लेकिन उनकी भक्ति के द्वारा तुम लोग भी तर सकते हो। मैं बात कड़वी कहता हूं लेकिन बड़ी सच्ची।