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91वें जन्मोत्सव पर राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज का Exclusive Interview, देखें वीडियो

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE साक्षात्कार

डॉ. भानु प्रताप सिंह

हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर)  हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं, जो एक रिकॉर्ड है। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज का जन्म 27 जुलाई, 1930 को हजूरी भवन में हुआ था। उन्होंने आगरा कॉलेज में 30 साल नौकरी की। उन्होंने अंग्रेजी की दो और हिन्दी की 15 पुस्तकें हैं। दादाजी ने अपने जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह से ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत की।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः देश में धर्मांतरण चल रहा है। हिन्दुओं को मुसलमान बनाया जा रहा है। पूरा पूर्वोत्तर ईसाई हो गया है?

दादाजी महाराजः ये सब नहीं चलेगा।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लालच देकर धर्मांतरण हो रहा है?

दादाजी महाराजः ये सब रुकना चाहिए।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः धर्मांतरण का मतलब है हिन्दू धर्म कमजोर हो रहा है, इसीलिए लोग छोड़ रहे हैं?

दादाजी महाराजः अपना धर्म कभी कमजोर नहीं हो सकता है। इतने झंझावात झेल लिए और ज्यों का त्यों मौजूद है। हम किसी पर दबाव नहीं डालते औऱ हम किसी के दबाव में नहीं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके दरबार में सैकड़ों लोग आते हैं और आप किसी से नहीं कहते कि राधास्वामी मत में आ जाओ, क्यों?

दादाजी महाराजः हम क्या कहेंगे, जिसकी तबियत हो, वो आवे। हमारे यहां कोई जबरदस्ती नहीं है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जो जबरदस्ती कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि उनका धर्म कमजोर है?
दादाजी महाराजः मैं धर्म को कमजोर नहीं मानता हूँ। धर्म का संचालन करने वालों को कमजोर मानता हूँ।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः मुझे लगता है कि आप जैसे 10 गुरु और हो जाएं तो देश का उद्धार हो जाएगा?
दादाजी महाराजः मैं तो गुरु हूँ नहीं और मैं अपना जैसा किसी को नहीं चाहता। सब अपने-अपने ढंग से रहो, मैं अपने ढंग से रहूँ। जो काम किया है, वह सबके सामने है। उसका आंकलन कीजिए।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जिनकी सभाओं और कथाओं मे हजारों लोग आते हैं, वे सब बाद में जेल में दिखाई देते हैं?
दादाजी महाराजः हमारा अंतिम स्थान सतलोक में ऊपर है, जो राधास्वामी धाम है। हमको यहां से क्या मतलब है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सतलोक के दर्शन कैसे हो सकते हैं?
दादाजी महाराजः ऐसे नहीं होंगे। प्रेम और भक्ति जरूरी है। विशुद्ध मानवता का पालन करना चाहिए।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः राधास्वामी मत में मांसाहार वर्जित है लेकिन एशिया और यूरोप आदि का यह भोजन है?

दादाजी महाराजः भोजन है तो वे खाएं। इतने जानवरों का भोजन है तो क्या किया जाए। आदमियों से ज्यादा जानवर नहीं हैं क्या, वो भी तो भोजन करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं किसी को जानवर कह रहा हूँ। मैं तो सबको इंसान मानता हूँ और किसी के भोजन पर मुझे कुछ कहना नहीं है। मैं यह समझता हूँ कि शाकाहारी होना चाहिए और अपने-अपने मत के सिद्धांतों पर चलना चाहिए। चरित्रवान होना चाहिए। दूसरे को तंग न करो। छीनाछानी मत करो। अच्छा चरित्र है भारतवर्ष का। ‘मेरे विचार’ पुस्तक में मैंने लिखा भी है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः अगर सब लोग राधास्वामी मत में आ जाएं तो क्या देश का उद्धार हो जाएगा?

दादाजी महाराजः ये जो प्रोब्लोमेटिक चीजें हैं कि क्या हो जाएगा, क्या नहीं हो जाएगा, इन चीजों में मैं विश्वास नहीं करता। आकर देखो। सबको हो जाए न हो जाए, जो भी एक आएगा, वह तरेगा। इसीलिए हमारे यहां दबाव नहीं है। हमारे यहां किसी को जबरन सतसंगी नहीं बनाया जाता। घर में बैठे कर रहे हैं। जिसको आना है आ जाओ।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जिस पर आपकी कृपा होगी, वह यहां आ जाएगा?

दादाजी महाराजः मेरी कृपा नहीं, मैं कोई कृपा नहीं करता हूँ। हुजूर महाराज की, राधास्वामी दयाल की दया होगी, वह आ जाएगा।