दादाजी महाराज

राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज से जानिए श्रेष्ठ मानवता किसमें है

NATIONAL REGIONAL RELIGION/ CULTURE

हजूरी भवन, पीपलमंडी, आगरा राधास्वामी मत (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं, जो आगरा विश्वविद्यालय )  Agra University)के दो बार कुलपति रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan) में हर वक्त राधास्वामी नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 25 अक्टूबर, 1999 को दादाजी महाराज अर्चित केमिकल्स लि. अजमेर रोड, ग्राम- बेरां, जिला भीलवाड़ा (राजस्थान) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- जो व्यक्ति राधास्वामी नाम का उच्चारण छोड़कर और किसी नाम का उच्चारण करेंगे उनका उद्धार नहीं हो सकता।

शिकार करने के लिए तैयार है काल

आपने मानव सेवा को आडम्बर बना रखा है। कौन मानव है, किस मानवता की बात करते हो। इन दानवों में किसको श्रेष्ठ बनाना चाहते हो। जब तक मन तुम्हारे पीछे लगा हुआ है, क्या यह तुमको श्रेष्ठ बनने देगा। काल जो तुम्हारा शिकारी है और शिकार करने के लिए अभी तैयार है क्या वह तुम्हें बचने देगा। अगर कोई श्रेष्ठ मानवता है तो वह भक्ति में, दीनता में, दासानुदासता में, झुकने में और जोड़ने में है न कि विलग होने, टूटने और बिखरने में।

जो मानेगा वह फायदा उठाएगा

कुलमालिक राधास्वामी दयाल ने तो जितने बिखरे हुए फूल हैं, उन सबको एकत्रित किया है और प्रेम का एक गुलदस्ता सजाया है। कौन से बिखरे हुए फूल- वे जो कि भक्ति के थे, जिनके कुछ अगले-पिछले संस्कार थे और जिन्होंने संतों का दर्शन किया था। उन्हीं को खींचते हैं, किसी और से उनकी गरज नहीं है। जो मानेगा वह फायदा उठाएगा और जो नहीं मानेगा वह अपना नुकसान कराएगा। मैं तो यहां यह बताने के लिए आया हूं कि कहीं वह नुकसान इतना भारी न पड़ जाए कि उस समय कोई मददगार तुमको न मिले। कोई मानव सेवा, कोई मानवता का सिद्धांत काम नहीं आएगा और जो तीन लोक का नाथ है, वह भी मदद नहीं दे सकेगा।

मरुस्थल के अंदर कहीं प्रेम की बूंद छिड़की

अगर किसी ने समानता के सिद्धांत को व्यवस्थित किया है तो राधास्वामी मत के आचार्यों ने किया है। अगर इस सूखे मरुस्थल के अंदर कहीं प्रेम की बूंद छिड़की है तो वह राधास्वामी दयाल ने स्वामीजी महाराज और हजूर महाराज के रूप में छिड़की है। जब तक उनको नहीं ध्याओगे और उनको मानोगे नहीं, तो कौन सा ऐसा व्यक्ति है जो तुम्हारी उस सूखी पौध को सिंचित कर दे और उसमें हरियाली पैदा कर दे। मुश्किल यह है कि समझाने वाला आता, थोड़ी देर के लिए वह बात समझ में आती है, लेकिन उससे ज्यादा भुलाने वाले और भरमाने वाले भी बहुत हैं। जो जरा सी निष्ठा और विश्वास आता है वे उलटे सीधे तर्क देकर उसको हटा देते हैं। इसलिए तुम्हारी बेबसी को भी समझा जा सकता है, लेकिन दाना इंसान वह है जो किसी भुलावे और भटकावे में नहीं आता है। (क्रमशः)

(अमृत बचन राधास्वामी तीसरा भाग, आध्यात्मिक परिभ्रमण विशेषांक से साभार)