फिल्म का पोस्टर देख हर कोई रोमांचित, सांसद पुत्र कर्मवीर सिंह निभा रहे गोकुला जाट का किरदार
भाजपा सांसद राजकुमार चाहर एसोसिएशन प्रोड्यूसर, रंजीत सामा और विजय सामा प्रोड्यूसर
अवॉर्ड विनर हेमंत वर्मा निर्देशक कर रहे, आगरा के संजय दुबे ने लिखे हैं गीत, दिलीप ताहिर का संगीत
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Agra, Uttar Pradesh, India. औरंगजेब के छक्के छुड़ाने के लिए किसान सेना बनाने वाले वीर गोकुला जाट पर आर.ए. मूवीज द्वारा एक फिल्म का निर्माण किया जा रहा है। इसके प्रथम गीत का लोकार्पण किया गया। यह गीत इतनी बुलंद आवाज में गाया गया है कि उपस्थित जाट और गैर जाटों की रगों का खून गरम हो उठा। वीर गोकुला जाट अमर रहें के नारे लगे। गीत में गोकुला जाट को मुगलों के लिए मौत का यमराज कहा गया है। फिल्म का नाम है- अमर वीर गोकुला जाट। फिल्म के पोस्टर का भी विमोचन हुआ।
गीत के बोल हैं-
जेठमासी सूर्य जैसा दहकता अंगार था
बाजुओं में गज जैसा बल का अम्बार था,
दीवाना था आजादी का मौत का वो शमशीर थे,
एक जियाला हुआ था बृज में नाम गोकुला वीर था…
अमर वीर गोकुला जाट फिल्म के पोस्टर का विमोचन
एक रेस्टोरेंट में आयोजित कार्यक्रम में फिल्म के पोस्टर का विमोचन मुख्य अतिथि मेयर हेमलता दिवाकर, फतेपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाह, फिल्म के निदेशक हेमंत वर्मा, प्रोड्यूसर रंजीत सामा, विजय सामा, गोकुला जाट का किरदार निभा रहे कर्मवीर सिंह, गीतकार संजय दुबे, जाट नेता कुँवर शैलराज सिंह एडवोकेट, कप्तान सिंह चाहर, पवन आगरी, चौधरी गोपीचंद, अशोक चौबे एडवोकेट, गौरी शंकर सिंह सिकरवार, कृपाल महाराज आदि ने किया। फिल्म के एसोसिएट प्रोड्यूसर राजकुमार चाहर व आरए मूवीज के रंजीत सामा ने बताया कि फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई है।

कर्मवीर निभा रहे गोकुला जाट की भूमिका
गोकुला जाट की भूमिका सांसद राजकुमार चाहर के बेटे कर्मवीर चाहर निभा रहे हैं। पोस्टर पर गोकुला जाट के रूप में जंजीरों से बंधे हुए हैं और शेर की तरह दहाड़ रहे हैं। यह दृश्य किसी को भी रोमांचित करने वाला है। फिल्म के संगीत निर्देशक पंडित दिलीप ताहिर और कैमरामैन रमेश सामंत हैं।
गोकुला जाट की वीर गाथा घर-घर पहुंचाने के लिए फिल्म का निर्माण
फिल्म के एसोसिएट प्रोड्यूसर राजकुमार चाहर ने बताया कि गोकुला जाट ने औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ 20 हजार किसानों की सेना तैयार की। औरंगजेब ने जजिया कर लगाया और हिंदुओं के मंदिर तोड़ने का आदेश कर दिया। इसके खिलाफ वीर गोकुला जाट ने किसानों को संगठित किया। कर जमा करने से मना कर दिया। मुगल सेना से तिलपत में तीन दिन तक युद्ध हुआ। वीर गोकुला जाट को धोखे से बंदी बना लिया। आगरा किले में इस्लाम स्वीकार करने पर जान बख्शने की शर्त रखी। गोकुला जाट ने शर्त को स्वीकार नहीं किया तो कोतवाली के पास जनता के सामने उनके शरीर का एक-एक अंग काटा गया। हर अंग कटने पर खून की फुहारें निकलती थी। इसी कारण कोतवाली के पास उस जगह का नाम फुव्वारा पड़ गया। ऐसे महान किसान क्रांतिकारी गोकुला जाट की वीर गाथा घर-घर पहुंचाने के लिए फिल्म का निर्माण किया जा रहा है।

बृज में होगी फिल्म की शूटिंग
फिल्म के निर्माता रंजीत सामा व विजय सामा है। हेमन्त वर्मा के निर्देशन में गीत को फिल्माया जाएगा। संगीत पं. दलीप ताहिर व गीत को शब्दों में संजय दुबे ने संजोया है। मोहम्मद सलामत ने गीत को अपनी आवाज दी है। गीत की शूटिंग बृज क्षेत्र में की जाएगी, जिसमें गोकुला जाट के मुगलों के अत्याचार के खिलाफ साहस, पराक्रम और शौर्य को समाहित लोगों तक पहुंचाने का प्रयास होगा।

‘हिंदू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट’ पुस्तक के लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह का सम्मान
इस अवसर पर ‘हिंदू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट’ पुस्तक के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह का सम्मान किया गया। महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा, सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाहा, रंजीत सामा ने उन्हें गणेश जी की प्रतिमा भेंट की और शॉल ओढ़ाई। पुस्तक लेखन के लिए उन्होंने 1 वर्ष तक शोध किया। 32 पुस्तकों का अध्ययन किया। गोकुल जाट के गांव तिलपत तक दौरा किया।

तिलपत युद्ध में गोकुला के चाचा और बहन का भी बलिदान
डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बताया कि वीर गोकुला जाट के साथ उनके चाचा उदय सिंह और 5000 किसान सैनिकों को भी बंदी बनाया गया था। गोकुला जाट और उदय सिंह को क्रूरतापूर्वक शहीद कर दिया गया इसलिए कि इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया था। किसान सैनिकों के सामने जीवित रहने के लिए इस्लाम स्वीकार करने या मैला उठाने शर्त रखी। जिन किसान सैनिकों ने मैला उठाना स्वीकार किया वही आज वाल्मीकि कहलाते हैं। यह कारण है कि बहुत से किसान अपने नाम के साथ चौहान, तोमर या राजपूत लिखते हैं। मसाअर-ए-आलमगीरी पुस्तक के हवाले से कहा कि मथुरा में हिंदू वीरांगनाओं ने चौथा जौहर किया। युद्ध में वीर गोकुला जाट की बहन भंवरी कौर का भी बलिदान हुआ है। सिहोरा गांव, तिलपत, बिसावर, मथुरा, दाऊ जी मंदिर, आगरा किला, मुगलों की पुरानी कोतवाली आदि स्थान वीर गोकुला जाट के साहस के प्रमाण हैं। पूर्व महापौर नवीन जैन ने आगरा किला के निकट शाहजहां गार्डन के प्रवेश द्वार पर वीर गोकुला जाट की घुड़सवार प्रतिमा स्थापित की है। फतेहपुर सीकरी में तेरह मोरी बांध के सामने राजकीय उद्यान का नाम वीर गोकुला जाट के नाम पर रखा गया है।

उल्लेखनीय उपस्थिति
इस अवसर पर मुख्य रूप से अरविंद शर्मा गुड्डू, शूरवीर सिंह, जयकुमार गुप्ता, उत्तम सिंह काका, सोनू दिवाकर, गुड्डू चाहर, चौधरी भूरी सिंह, डॉ. दीपक सिंह, बहुरन सिंह, भीमसेन, मान सिंह प्रमुख, लोकेन्द्र सिंह, प्रमोद वर्मा, मनीष शर्मा, नीरज तिवारी, प्रदीप सरीन, राहुल आर्य, विजय सहगल, यश गांधी, विनोद शीतलानी, सतेन्द्र तिवारी, नारायण दास आदि उपस्थित थे।

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