dr girdhar sharma

अभिभावक नहीं दे रहे फीस, निजी स्कूल बंद होने की ओर, अब योगी से लगाई ये गुहार

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

Agra, Uttar Pradesh, India. कोरोना का कारण निजी स्कूलों के सामने समस्या है। अभिभावक अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा तो दिलवा रहे हैं, लेकिन फीस नहीं दे रहे हैं। इस बारे में कोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से साफ निर्देश हैं, फिर भी अभिभावक फीस नहीं दे रहे हैं। इस मामले को एसोसिएशन ऑफ़ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ़ आगरा (APSA) के सचिव डॉ. गिरधर शर्मा ने उठाया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। हम यहां पत्र को जस का तस प्रकाशित कर रहे हैं।

निजी स्कूलों की पुकार
माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश,

श्री योगी आदित्यनाथ जी,

महोदय,

आपसे निवेदन है कि कृपया निम्नलिखित तथ्यों को संज्ञान में लेने का कष्ट करें l

1.विगत 5-6 महीनों से क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों द्वारा गुणवत्तापरक ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया अनवरत जारी है। सभी अध्यापक परिश्रम कर विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा प्रदान कर रहे है ।

2. हजारों विद्यार्थियों की मार्च/अप्रैल से ही फीस नहीं आ रही है और सक्षम अभिभावक भी राज्य सरकार द्वारा जारी दिनांक 4 जुलाई 2020 के G0 के विपरीत फीस देने के मामले में आमतौर पर उदासीन रुख अपना रहे हैं।

3. उक्त G0 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार हमने अभिभावकों को ईमेल एवं sms के जरिये संपर्क कर फीस जमा करने में आ रही अपनी कठिनाई के बारे में उल्लेख कर उचित प्रमाण /दस्तावेज आदि के साथ आवेदन करने के लिए आग्रह कर चुके हैं l

4. परन्तु हमारे बारम्बार प्रयास के उपरान्त भी सक्षम अभिभावकों से किसी भी प्रकार का जवाब न मिल पाने के कारण विद्यालयों में बकाया फीस की अदायगी न के बराबर हो रही है जिससे कि विद्यालय प्रशासन को वेतन, बिजली बिल एवं अन्य आनुसांगिक खर्च आदि के भुगतान में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कई स्कूल बंदी के समीप आ गए हैंl

5. उक्त GO दिनाँक 4.7.2020 में एवं कालांतर में जारी आदेशों में इस बात की विशेष हिदायत तथा स्पष्ट आदेश है कि सक्षम अभिभावक फीस जमा करेंगे और पीड़ित अभिभावक प्रधानाचार्यों को प्रार्थना‐पत्र प्रस्तुत करेंगे।

6. स्कूल फीस माफी की कम से कम तीन याचिकाएं (रिट) माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद से और तत्पश्चात अपील उच्चतम/सर्वोच्चन्यायालय, नई दिल्ली से खारिज हो चुकी है। इस प्रकार उपरोक्त हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट मंशा और निर्देश (शासनादेश) के विरुद्ध सक्षम अभिभावकों द्वारा स्कूल फीस को रोक देना पूर्णरूप से दुर्भाग्यपूर्ण और अन्यायपूर्ण है।

7. क्या जिन अभिभावकों की इस वर्ष अप्रैल से ही फीस बिलकुल भी नहीं आयी है, उन्हें हम मान लें कि वे अब हमारे विद्यालय में रुचि नहीं रखते, अतः उन्हें अपंजीकृत कर आगे की कार्यवाही की जाए ताकि। हमें कम से कम यह तो पता लग पाए कि हमारे विद्यालय की वर्तमान सत्र में वास्तविक छात्र संख्या क्या है ?

8. CBSE बोर्ड की कक्षा 9 तथा कक्षा 11 के पंजीकरण की अंतिम तिथि सामान्यतः सितंबर माह में होती है और ऐसे में छात्रों का पंजीकरण न होने पर इसका कोई उत्तरदायित्व विद्यालय का नहीं होगा क्योंकि अप्रैल से ही फीस बाकी होने के कारण हमें पता ही नहीं है कि ये विद्यार्थी हमारे विद्यालय से जुड़े हैं या नहीं।

9. सभी केंद्रीय/नवोदय/सरकारी उपक्रम के स्कूलों मे पूरी फीस ली जा रही है जबकि उनके कर्मचारियों का वेतन शासन स्तर से होता है और हमें अपने ख़र्चे और समस्त वेतन पर कहीं कोई अनुदान नहीं मिलता। आपदाकाल में भी निजी स्कूलों को कोई अनुदान मिलने की स्थिति नहीं लगती।

10. हम इन विषम परिस्थितियों में भी अपने स्तर से ही 15/20/25% तक यथा शक्ति शुल्क माफी और 4/6 माह की किश्त पीड़ित पेरेंट्स को दे रहे है।

सत्य तो यह है कि कई निजी स्कूल के टीचर/स्टाफ सबसे अधिक परिश्रम करते हुए भी इस अन्याय के कारण अधिक भयावह/विषम वित्तीय कठिनाइयों में हैं यदि ‘नो स्कूल नो फीस’ करना है तो कक्षायें बिना फीस के चलाने हेतु स्कूलों को स्टाफ सैलरी अनुदान के रूप में मिलनी चाहिए।

कोरोना महामारी वैश्विक संकट होने के नाते इसके व्यापक प्रभाव से कोई भी अछूता नहीं है। विद्यालयों पर लागू होने वाले टैक्स, फिक्स्ड चार्ज, भार एवं अधिभार में किसी भी विभाग से कोई भी छूट या राहत प्राप्त नहीं हो रही है।

ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं संचालित हो रहीं हैं एवं बिना किसी भेद‐भाव के सभी विद्यार्थियों को

विगत अप्रैल माह से अबतक पढ़ाया जा रहा है।

अतः आपसे सविनय निवेदन है कि प्रदेश में संचालित हजारों छोटे‐बड़े गैर वित्तपोषित निजी विद्यालयों के समक्ष उत्पन्न इस अभूतपूर्व आर्थिक संकट के समाधान हेतु कोई क्रियाशील विकल्प प्रदान करने का कष्ट करें। गैर अनुदान प्राप्त निजी विद्यालयों के लिए 5 महीनों से बिना फीस का उल्लेख तक कर, ऑनलाइन अध्यापन की सेवा देना अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण रहा है जोकि बकाया फीस की प्राप्ति के बिना आगे और अधिक सम्भव नहीं हो पाएगा । ऐसे में बच्चों के पठन‐पाठन में व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अवश्यम्भावी है और ऑनलाइन कक्षाएं बंद हो सकती है।

अतः इस पत्र के माध्यम से हम आपसे दिशा-निर्देशन की अपेक्षा करते हैं कि हमें आगे क्या करना चाहिए ?

स्कूलों ने बकाया फीस हेतु G0 दिनाँक 4.7.2020 के अनुसार सक्षम अभिभावकों को फीस जमा करने और पीड़ित अभिभावकों को राहत देने के उद्देश्य से 5.9.20 तक अपना Covid Relief प्रार्थना‐पत्र देने का पुनः अनुरोध किया था। जिन लोगों ने उक्त तिथि तक प्रमाण सहित प्राथना पत्र नहीं दिया है उनके बारे में यह स्पष्ट है कि ऐसे व्यक्ति पीड़ित अभिभावक की श्रेणी में नहीं है और ‘सक्षम” होने पर भी फीस जमा करने की मंशा नहीं रखते। अतः इन अभिभावकों के बारे में यह मान लेना होगा कि इन्हें अपने बच्चों को हमारे विद्यालय में पढ़ाने की रुचि नहीं है।

अत: ऐसे बच्चों को विद्यालय की पंजिका से अपंजीकृतकर आगे की औपचारिकता हेतु सूचित करना ही विकल्प होगा। विद्यालय के लिए ऐसे विद्यार्थियों का न तो बोर्ड में पंजीकरण करा पाना और न ही अपने विद्यालय की सितंबर माह की अर्धवार्षिक/आदि परीक्षाओं में सम्मिलित करना संभव होगा।

डॉ. गिरधर शर्मा

सचिव

एसोसिएशन ऑफ़ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ़ आगरा (APSA)

प्रतिलिपि..

1. आदरणीय उप मुख्य मंत्री श्री दिनेश शर्मा जी

2. श्री मति आराधना शुक्ला, उत्तर प्रदेश शाशन

3. समस्त सम्मानित मीडिया जन