Agra, Uttar Pradesh, India. कोरोना महामारी में अप्रैल माह दुखदायी रहा। ऑक्सीजन के लिए मारामारी रही। ऑक्सीजन के अभाव में अनेक लोगों ने दम तोड़ दिया। अन्य राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए वायु सेना की मदद लेनी पड़ी। दूसरी ओर आगरा में ही इतनी ऑक्सीजन उत्पादित हो रही है कि बिना किसी उपयोग के वायुमंडल में छोड़ दी जाती है। इस ऑक्सीजन का उपयोग किया जा सकता है।
हम बात कर रहे हैं आगरा में ग्वालियर रोड स्थित हाइड्रोजन फैक्ट्री की। इसका संचालन मौसम विज्ञान विभाग करता है। यह हाइड्रोजन गैस निर्माण करने की प्रमुख इकाई है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहां हाइड्रोजन गैस का उत्पादन इलेक्ट्रोलायसिस ऑफ वॉटर (ELECTROLYSIS OF WATER) प्रक्रिया द्वारा होता है। इस प्रकार द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन गैस 100 प्रतिशत शुद्ध होती है। पानी के विघटन से ऑक्सीजन गैस भी निकलती है। पूर्व में ऑक्सीजन गैस को इकट्ठा कर इसका वाणिज्यिक उपयोग होता था। वर्तमान में लगभग 18,000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन प्रतिदिन होता है, जिसे वायुमण्डल में ऐसे ही छोड़ दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के समय भारत सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए हवाई जहाज और रेल का प्रयोग किया। विदेशों से आयात की गई। ऐसे समय में 18,000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का वायुमण्डल में बिना किसी उपयोग के छोड़ी जा रही है।
इस संबंध में भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री (संगठन) एवं पूर्व विधायक केशो मेहरा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है। उन्होंने मांग की है कि वायुमंडल में छोड़ी जा रही 18,000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का एकत्रीकरण कर सिलेंडर भरने में उपयोग किया जाए।
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