अनिल शुक्ला

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री के साहित्य पर हमले से नाराजगी, प्राइवेट लाइफ का मंचन, देखें वीडियो

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Agra, Uttar Pradesh, India ‘अन्तराष्टीय’ बुकर पुरस्कार से नवाजी गई हिन्दी कथाकार गीतांजलि श्री के प्रस्तावित आगरा नागरिक अभिनन्दन न हो पाने के अफसोस में डूबे आगरावासियों ने आज यहां एक संगोष्ठी में उपस्थित होकर गहरा दुख व्यक्त किया। नागरी प्रचारिणी सभा के मानस भवन में एक़ित्रत भीड़ के रूप में उन्होंने अपने उद्गार व्यक्त किए और साहित्य और संस्कृति पर किसी भी प्रकार के हमलों के प्रति नाराजगी व्यक्त की। इस सभा की अध्यक्षता साहित्य की बड़ी पत्रिका कथादेश के संपादक हरनारायण (नई दिल्ली) ने की। युवा रंगकर्मी मनु शर्मा ने गीतांजलि श्री की प्राइवेट लाइफ का स्तब्धकारी मंचन किया। उनकी प्रतिभा  को हर किसी ने सराहा।

 

गोष्ठी को संबोधित करते हुए इतिहास के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो आरसी शर्मा ने कहा कि मिथिकीय तथ्यों का वर्णन पुरातन समय से आजतक चला आ रहा है। इतिहास न तो इनके सच को चुनौती दे सकता है न तो झूठ। मिथक और इतिहास दोनों अलग अलग अर्थ रखते हैं आप इनमें से किसी को भी चुनौती नहीं दे सकते। गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ में वर्णित शिव-पार्वती के संबंध में मिथकीय विवरण है उन पर विवाद उठाने का कोई औचित्य नहीं।

 

हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक प्रियम अंकित ने गीतांजलि श्री के उपन्यास की विस्तार में मrमांसा की। सन् 47 के विभाजन के समय के परिवेश के चित्रण की बातचीत करते हुए उन्होंने गीतांजली श्री की भाषा को विस्फोटक शक्ति का वर्णन किया।

 

प्रो. नसरीन बेगम में कहा कि गीतांजलि श्री प्रेमचंद और इस्मत चुगताई की परंपरा की लेखक हैं। आधुनिक जमाने की हिन्दी लिखती हैं जिसको पढ़ने के बाद पाठक ठगा सा रह जाता है। यह नए संस्कारों की तरफ संकेत करती है।

इसी क्रम में हिन्दी के वरिष्ठ कवि रमेश पंडित ने गीतांजलि श्री की रचना धर्मिता की भूरि- भूरि प्रशंसा की। वक्तव्यों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए हिन्दी प्राध्यापिका डॉ. ज्योत्सना रधुवंशी ने कहा कि गीतांजली श्री स्त्री विमर्श से जुड़े लेखन को क्रांतिकारी रूप में प्रकट करती हैं। उनका रेत समाधि न सिर्फ काल इतिहास और घटना क्रम को वर्णित करता है बल्कि ये स्त्रियों की तीन पीढ़ि़यों को पाठक के समक्ष जिस तरह से लाता है उससे वो स्तब्ध सा रह जाता है।

 

वरिष्ठ राजनेता और साहित्य रसिक डॉ. सीपी राय ने अभिनन्दन समारोह जैसी शानदार सांस्कृतिक संघटना के न हो पाने पर गहरा दुख व्यक्त किया।

 

कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए रंगलीला के संस्थापक निदेशक और वरिष्ठ पत्रकार अनिल शुक्ल उन संदर्भों का उल्लेख किया जिसके चलते गीतांजलि श्री पहले अक्टूबर में आगरा आई थी और अब दोबारा अभिनन्दन के लिए आना था जो दुर्भाग्य से स्थगित करना पड़ा।

 

कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रेमशंकर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार डॉ. महेश धाकड़ ने किया। कार्यक्रम में मुख्यतः प्रो आरके भारती, वरिष्ठ पत्रकार सुनयन शर्मा, डॉ. भानु प्रताप सिंह, डॉ. पीएस कुशवाह, भावना रघुवंशी, हरीश चिमटी, राजीव रंजन, डॉ. उमाकांत चैबे, डॉ. बृजराज सिंह, खलीफा राकेश यादव, रामभरत उपाध्याय, कमलदीप, रवि प्रजापति, सुरेन्द्र यादव, आशीष शुक्ल, मनीषा शुक्ला आदि मौजूद थे।

कथावाचन में प्राइवेट लाइफ

समूचे कार्यक्रम का बेहद रोमांचक अंश था रंगलीला की कथावाचन शैली में प्रस्तुत गीतांजली श्री की मशहूर कहानी प्राइवेट लाइफ। पीढ़ियों के अन्तराल और लिंगभेद को गहरे से उजागर करने वाली ये कहानी चाचा और भतीजी के बीच के विभेद को उजागर करती है। ये दिखाती है कि कैसे पितृसत्तात्मक समाज के निकलने की चाह में एक युवा लड़की फड़फड़ाती रहती है। कथावाचन एक एंकागी अभिनय की कथापाठ शैली है। युवा अभिनेत्री मनु शर्मा ने चालीस मिनट के अपने कथा पाठ और अभिनय से  वहां बैठे दर्शकों को अभिभूत कर दिया। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद भी दर्शक अभिनेत्री की भूरि- भूरि प्रशंसा करते रहे।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh