Aligarh (Uttar Pradesh, India) । पत्रकारिता के बेहतरीन दिन अब आने वाले हैं। सच की रक्षा करने वालों के लिए सोसाइटी को 50 पैसे खर्च करने में दिक्कत नहीं होने चाहिए। लोग कह रहे हैं कि प्रिंट जगत ख़तम हो रहा है, पर लोग प्रिंट जगत के विकास के लिए आगे नहीं आते। हमें खबरदार करना है कहानी नहीं सुननी। अगर आप खबरदार करेंगे तो दुनिया आपकी कहानी लिखेगी। एक स्क्रीन पर बैठकर पत्रकारिता नहीं होती फील्ड जर्नलिज्म चुनौती है। नए दौर में ये चलती फिरती संस्था है। पत्रकार कॉर्पोरेट के नियंत्रण से निकलकर अच्छा काम कर सकता है। इसलिए संस्थानों को चोला बदलना पड़ेगा। क्योंकि अनावश्यक नियंत्रण में स्वतंत्र पत्रकारिता नहीं हो सकती। आज की पत्रकारिता के लिए आईडिया, स्क्रिप्ट और फोन आवश्यक है। अगर स्मार्ट फोन आपके हाथ में है तो दुनिया आपकी मुट्ठी में है। उन्होंने 80 के दशकों की बातें साझा की। उन्होंने बताया कि उस समय पत्रकारिता अलग रूप में थी, विश्वसनीयता जो पत्रकारिता में दिखनी चाहिए वह उस समय थी। पत्रकारिता ये बातें ‘हिन्दुस्तान’ हिंदी के प्रधान संपादक शशि शेखर ने एक वेबिनार के दौरान कहीं।
एहतियात के साथ कार्य
मंगालायतन विश्वविद्यालय तथा हिमालयन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। जिसका विषय “पोस्ट कोरोना जर्नलिज्म- चेंजेस, प्रॉब्लम एन्ड प्रॉस्पेक्ट्स” था। वेबिनार में देशभर के लोगों ने बढ़चकर हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में संयोजक प्रो. शिवाजी सरकार ने विषय के बारे में बारीकी से बताया। साथ ही उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रहे बदलाव को एक सकारातमक दौर की स्थापना बताया। स्वागत भाषण में मंविवि के कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने कहा कि इस दौर में सभी की कार्यशैली बदली है। प्रजातंत्रिक देश में एक अहम भूमिका मीडिया निभा रहा है। कोविड-19 समस्या बड़ी है, एहतियात के साथ कार्य करना है।
फेक न्यूज पहचानने की जरूरत
मीडिया आम जनता की आवाज है। भारत जैसे विकासशील जनतंत्र में मीडिया जगत की सफलताओं से ही उसके निर्माण को सहायता मिलती रही है। पश्चिम बंगाल के बांकुरा से एमपी डॉ. सुभास सरकार ने कहा कि कुछ दिनों से पत्रकारों का कार्य बदल गया है। न्यूज एकत्र करना एक चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा कि इस दौर में हमें फेक न्यूज को पहचानने की जरूरत है। साथ ही कोरोना के कारण किए गए लॉकडाउन के साथ ही डिजिटल जर्नलिज्म बढ़ा है। नए समय में बड़े परिवर्तन होंगे और मीडिया को इसे स्वीकार करना होगा। साप्ताहिक अखबार संडे गार्जियन की एडिटर जोयिता बसु ने ऑनलाइन पत्रकारिता में निपुण होने के बिंदु बताए। उन्होंने कहा कि यदि किसी पर वॉट्सएप, स्मार्टफोन या इंटरनेट है। तो वह स्वयं में ही एक न्यूजरूम है। नागालैंड पोस्ट के एडिटर इन चीफ ज्योफ्री यादेन ने पत्रकारिता में आ रहे बदलाव पर अपनी बातें रखी। साथ ही उन्होंने कहा कि इंसान समझ नहीं पा रहा क्या करे। बेरोजगारी, सुरक्षा, स्वास्थ्य, अर्थ व्यवस्था जैसी समस्या और चुनौतियां सामने होंगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने लाइफ स्टाइल को पूरी तरह बदल दिया है।
पत्रकारिता का कार्य तीन स्तम्भों को प्रदूषण मुक्त रखना
पत्रकार कल्याण न्यास के ट्रस्टी लक्ष्मी नारायण भाला, ने कहा कि पत्रकारिता को प्रदूषण मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का कार्य तीन स्तम्भों को प्रदूषण मुक्त रखना है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कानून होना चाहिए। प्रो. विपलोब लोहो चौधरी ने ऑनलाइन पत्रकारिता की तकनीकियों पर बल देते हुए आधुनिक काल में डिजिटल कनेक्टिविटी का महत्व बताया। उन्होंने ई- पत्रकारिता के भीतरी अंशों को गिनाया। एनयूजे के अध्यक्ष अशोक मलिक ने कहा कि एक रेगुलेटरी बॉडी हो जो पत्रकारों का नियमन और सुरक्षा करें। पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर महत्वपूर्ण बिंदु रखे। उन्होंने बताया कि पत्रकार की विश्वनीयता ही उसकी पत्रकारिता की पहचान है। वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद प्रो. प्रदीप माथुर ने कहा कि नकारात्मक पत्रकारिता कुछ नहीं होती पत्रकारिता सकारत्मक होती है।
कोरोना ने निभाई शिक्षक की भूमिका
हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच.एस शर्मा ने कहा कि सभी को स्वतंत्रता ऑनलाइन जर्नलिज्म ने दी है। कोरोना ने एक शिक्षक की भूमिका निभाई है। कोरोना ने हमारी जीवन शैली को बदल दिया है। यहीं नहीं इस वायरस ने दुनिया की सोच को भी बदला है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता सच को उजागर करने का सादन है। नवीन मूल्यों की स्थापना करनी होगी। मंविवि जबलपुर के कुलपति डॉ. एके मिश्रा ने पत्रकारों को कोरोना वारियर कहते हुए सैल्यूट किया। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की अध्यक्ष मनीषा उपाध्याय ने छात्रों को वरिष्ठ अतिथियों की बात जीवन में अपनाने का संदेश दिया।
ये थे मौजूद
संयुक्त निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डॉ. धीरज कुमार गर्ग ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.विवेक मित्तल, टीपीओ लव मित्तल, प्रो. आरके शर्मा, डॉ. दीपशिखा सक्सेना, डॉ. शगुफ्ता परवीन, मयंक जैन, कुंदन शर्मा, नेहा चौधरी, मंजीत सिंह, कृपा अरोरा आदि मौजूद थे।
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