सुख-दुख के लिए किसी को दोष न दें, कर्मों का फल भोगना पड़ता है
जैन स्थानक राजामंडी आगरा में हो रहा भक्तामर स्रोत का अनुष्ठान
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Agra, Uttar Pradesh, India. एस.एस. जैन युवा संगठन के तत्वाधान में रविवार को महावीर भवन राजा की मंडी में “अहिंसा एवं पर्यावरण” विषय पर नेपाल केसरी, मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि, बाल संस्कारक पुनीत मुनि एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के सान्निध्य में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और अपनी तूलिका से रंग बिखेरे। चित्रकला प्रतियोगिता में गरिमा सुराना,चेतना सुराना, राखी सुराना, भावना जैन, हिना सकलेचा, अंकिता सकलेचा ने सभी व्यवस्थाएं संभाली।
इससे पूर्व दैनिक प्रवचन में नेपाल केसरी जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा है कि सुख और दुख के लिए किसी को दोष नहीं देना चाहिए। ये तो अपने-अपने कर्मों के फल हैं। जो जैसा करता है, वैसा ही फल भोगना पड़ता है। इसलिए अच्छे कर्म करके मोक्ष की प्राप्ति करें।
जैन स्थानक, राजामंडी में इन दिनों भक्तामर स्रोत का पाठ हो रहा है। जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज आचार्य मांगतुंग द्वारा की गई भगवान आदिनाथ की स्तुति का वर्णन कर रहे हैं। जैन मुनि ने कहा कि आचार्य मांगतुंग कहते हैं कि संसार तो सभी को प्रेम, दया, करुणा, वात्सल्य देता है। हर संत, महात्मा, परमात्मा, जगत का कल्याण चाहता है। हर मानव को सुख मिले, उसकी यही भावना रहती है, लेकिन मानव मन बहुत विचित्र है। वह तो जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति नहीं चाहता। उसकी चाहत होती है कि वह हमेशा इस धरती पर जन्म लेता रहा और सांसारिक सुखों का लाभ ले। मर कर भी देवलोक जाकर वहां का सुख लेना चाहता है। पर किसी तरह से भी कर्म नहीं करना चाहता। मोक्ष को प्राप्त नहीं करना चाहता।

जैन मुनि ने कहा कि आज के मनुष्य को राग-द्वेष में ही आनंद आता है। भारत-पाकिस्तान में क्रिकेट मैच होगा तो हार-जीत पर ही खुशी मनाई जाएगी, जब कि किसी को कुछ नहीं मिल रहा। टीवी सीरियल या फिल्म देखेंगे, भावनाओं में बह कर सुख-दुख का आनंद लेंगे। पर जो वास्तविक आनंद है, उससे वह दूर रहते हैं।
सौभाग्य की चर्चा करते हुए जैन मुनि ने कहा कि आचार्य मांगतुंग कहते हैं कि जिस प्रकार पूरब दिशा को सौभाग्य मिला है कि वहीं सूर्य को उदय करेगा। वैसे ही सौभाग्यशाली भगवान आदिनाथ की मां है, जिन्होंने ऐसे पुत्र को जन्म दिया। इसलिए हम बारंबर आपको नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी भूख मिट जाने पर कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती। इसी प्रकार भगवान आदिनाथ की शरण में जाने के बाद अन्य किसी की उपासना का मन नहीं करता। वे ही सर्वोपरि हो जाते हैं। इसलिए हम उनकी स्तुति करके अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।

नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि, बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में रविवार को इकीसवी एवम बाइसवीं गाथा का लाभ अनिल अंजली जैन एवम मनोज इंदु जैन परिवार लोहामंडी ने लिया। नवकार मंत्र जाप की आराधना मंजू सुनील जैन परिवार कमला नगर ने की। रविवार की धर्मसभा में पोखरा नेपाल के वित्त प्रमुख जयराम पौडेल ,श्यामराज पांडे,उज्जवल पराजीले एवम कानपुर से राजीव जैन पधारे थे जिनका ट्रस्ट की तरफ से नरेंद्र सिंह जैन ने स्वागत किया।कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के मंत्री राजेश सकलेचा ने किया।
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