dr pradeep kumar

होम्योपैथी में डेंगू वायरस का इलाज, प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत नहीं, 100 से अधिक मरीज स्वस्थ

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नेमिनाथ हॉस्पिटल में मिल रही डेंगू से बचाव की दवा

डेंगू पीड़ित मरीज तीन से चार दिन में ठीक हो रहे

Agra, Uttar Pradesh, India. कोरोना की द्वितीय लहर में सैकड़ों मरीजों की जान बचाने वाले नेमिनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कुबेरपुर इस समय डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। डेंगू के कारण गंभीर मरीज भी चार दिन में स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं। छह हजार प्लेटलेट्स वाले को भी प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी है। कोरोना की तरह डेंगू के प्रकोप में भी सामाजिक उत्तरदायित्व की निर्वहन करते हुए सेवा भाव से इलाज किया जा रहा है। इसी कारण किसी भी मरीज का बिल 10 हजार से अधिक नहीं है।

ये दवाइयां उपयोगी

यह कहना है नेमिनाथ हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. प्रदीप गुप्ता का। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि डेंगू एक वायरस है, जिसका एलोपैथी में कोई इलाज नहीं है। यही कारण है कि एलोपैथी इलाज करते समय भी मरीज की हालत चिन्ताजनक हो जाती है। प्लेटलेट गिर जाते हैं। मरीजों की मौत भी हो रही है। आगरा, मथुरा और फिरोजाबाद में हालात भयावह हैं। रोजोना मौतें हो रही हैं। इसके विपरीत होम्योपैथी में डेंगू वायरस को मारने का सफल इलाज है। किसी को भी प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है। डेंगू के इलाज में Eupatorium perforatum,  Ipecac, Arsenic Album,  Bryonia Alba, Crotalus Horridus, Glonoine होम्योपैथिक दवाइयां बहुत अच्छा काम कर रही हैं।

समाजसेवा की नीति

उन्होंने बताया कि नेमिनाथ हॉस्पिटल में अब तक 100 से अधिक डेंगू मरीज स्वस्थ किए जा चुके हैं। मृत्युदर शून्य है। छह हजार प्लेलेट्स का एक, 10 हजार प्लेटलेट्स वाले चार, 20 हजार प्लेटलेट्स वाले छह, 30 हजार प्लेटलेट्स वाले 50 मरीज भर्ती हुए हैं। तीन से चार दिन में छुट्टी दे दी गई। वीआईपी रूम लेने के बाद भी 10 हजार से अधिक बिल नहीं बनाया है, जो नेमिनाथ हॉस्पिटल की समाजसेवा की नीति का हिस्सा है। मरीजों की देखभाल में डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. ऋतु गुप्ता, डॉ. अल्पना रावत, डॉ. सारिका पांडे का महती योगदान है।

होम्योपैथी दवा से स्वस्थ हुए डेंगू पीड़ित से बातचीत करते डॉ. प्रदीप गुप्ता।

यहां से लें बचाव की दवा

डॉ. प्रदीप गुप्ता ने कहा कि डेंगू से बचाव की जरूरत है क्योंकि मच्छरों को समाप्त नहीं किया जा सकता है। नेमिनाथ हॉस्पिटल कुबेरपुर और 44, नेहरू नगर, आगरा पर डेंगू से बचाव की दवा निःशुल्क वितरित की जा रही है। आधार कार्ड दिखाकर दवा ली जा सकती है। अगर किसी को डेंगू हो जाए तो निकटस्थ होम्योपैथ के पास जाएं। फिर भी कोई समस्या है तो नेमिनाथ हॉस्पिटल सेवा के लिए तत्पर है। मेरे फेसबुक पेज से भी जानकारी की जा सकती है। अगर आपको बुखार और उल्टी की समस्या लग रही है तो तत्काल आएं, भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मरीज के खून की सीरोलोजिकल एवं वायलोजिकल परीक्षण केवल रोग को सुनिश्चित करती है तथा इनका होना या ना होना मरीज के उपचार में कोई प्रभाव नहीं डालता क्‍योंकि डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है, इसके लिये कोई दवा या वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं है।

केस नंबर 1

इंद्रावती पुत्री विष्णु सिंह, निवासी आगरा

केस नंबर 2

वैष्णवी पुत्री लोकेश कुमार, निवासी फिरोजाबाद

केस नंबर 3

ओमवती पत्नी प्रेम पाल, निवासी फिरोजाबाद

केस नंबर 4

विपरांशी पत्नी विपिन वशिष्ठ, निवासी फिरोजाबाद

केस नंबर 5

आकाश पुत्र राकेश यादव, निवासी फिरोजाबाद

इन सभी को बुखार, बदन में दर्द, उल्टी और शौच में खून की शिकायत थी, जो डेंगू का आम लक्षण है। सभी स्वस्थ होकर घर गए हैं।

डेंगू के लक्षण

अचानक तेज बुखार। सिर में आगे की और तेज दर्द। आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने  से दर्द में और तेजी। मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द। स्‍वाद का पता न चलना व भूख न लगना। छाती और ऊपरी अंगों पर खसरे जैसे दाने चक्‍कर आना। जी घबराना। उल्‍टी आना। शरीर पर खून के चकते एवं खून की सफेद कोशिकाओं की कमी। बच्‍चों में डेंगू बुखार के लक्षण बड़ों की तुलना में हल्‍के होते हैं।

रक्‍तस्‍त्राव वाला डेंगू (डेंगू हमरेजिक बुखार)

शरीर की चमड़ी पीली तथा ठन्‍डी पड़ जाना। नाक, मुंह और मसूड़ों से खून बहना। प्‍लेटलेट कोशिकाओं की संख्‍या 1,00,000 या इससें कम हो जाना। फेंफड़ों एवं पेट में पानी इकट्ठा हो जाना। चमड़ी में घाव पड जाना। बेचैनी रहना व लगातार कराहना। प्‍यास ज्‍यादा लगना (गला सूख जाना)। खून वाली या बिना खून वाली उल्‍टी आना। सांस लेने में तकलीफ होना।

डेंगू शॉक सिन्‍ड्रोम

नब्‍ज का कमजोर होना व तेजी से चलना। रक्‍तचाप का कम हो जाना व त्‍वचा का ठंडा पड़ जाना। मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसूस करना। पेट में तेज व लगातार दर्द।

Dr. Bhanu Pratap Singh