नाटो देशों ने अपना ब्‍लू प्र‍िंट जारी कर पहली बार कहा, चुनौती बन गई हैं चीन की महत्‍वाकांक्षा और पीड़ा देने वाली नीतियां

नाटो देशों ने अपना ब्‍लू प्र‍िंट जारी कर पहली बार कहा, चुनौती बन गई हैं चीन की महत्‍वाकांक्षा और पीड़ा देने वाली नीतियां

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ताइवान को लेकर बढ़ते तनाव के बीच नाटो देशों ने पहली बार चीन को रणनीतिक प्राथमिकता में शामिल किया है। मैड्रिड में आयोजित बैठक में नाटो ने कहा कि चीन की महत्‍वाकांक्षा और पीड़ा देने वाली नीतियां पश्चिमी देशों के हितों, सुरक्षा और मूल्‍यों के लिए चुनौती बन गई हैं। नाटो ने अगले दशक के लिए अपना ब्‍लू प्र‍िंट जारी किया है और इसमें चीन को लेकर चेतावनी दी गई है। इस दस्‍तावेज में रूस के खिलाफ सबसे कठोर भाषा का इस्‍तेमाल किया गया है।
नाटो ने रूस को सैन्‍य संगठन के शांति और सुरक्षा के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण और सीधा खतरा बताया है। इसमें नाटो देशों ने यह भी कहा है कि चीन की सैन्‍य महत्‍वाकांक्षा, उसका ताइवान को लेकर टकराव वाला बयान और उसका मास्‍को के साथ बढ़ता संबंध ‘व्‍यवस्थित चुनौती’ बन गया है। नाटो के महासचिव जेंस स्‍टोल्‍टबर्ग ने कहा, ‘चीन बड़े पैमाने पर अपनी सेना को बना रहा है। इसमें परमाणु हथियार, पड़ोसियों को डराना और ताइवान को धमकी…आधुनिक तकनीक की मदद से अपने नागरिकों की निगरानी और उनका नियंत्रण, रूस के झूठ को फैलाना शामिल है।’
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि ने नाटो को चेतावनी दी
नाटो महासचिव ने यह भी कहा क‍ि चीन हमारा दुश्‍मन नहीं है लेकिन हमें उसकी ओर से पेश की गई गंभीर चुनौतियों को लेकर स्‍पष्‍ट होना होगा। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि ने नाटो को चेतावनी दी है कि वह यूक्रेन संकट को बहाना बनाकर गुटों में टकराव या नए शीतयुद्ध को बढ़ावा न दे। झांग जून ने मंगलवार को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा, ‘यूक्रेन संकट ने एक बार फिर दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।’ झांग ने कहा, ‘सुरक्षा अविभाज्य है। सैन्य गठबंधन का विस्तार और अन्य देशों की सुरक्षा की कीमत पर अपनी सुरक्षा की खोज अनिवार्य रूप से दुविधा को जन्म देगी।’
झांग ने उल्लेख किया कि शीतयुद्ध के बाद नाटो के पांच पूर्व की ओर विस्तार न केवल यूरोप को सुरक्षित बनाने में विफल रहा है बल्कि संघर्ष का बीज भी बोया है, जिस पर विचार करने योग्य सबक है। उन्होंने कहा, ‘शीतयुद्ध बहुत पहले खत्म हो गया। नाटो के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी स्थिति और अपनी जिम्मेदारियों पर पुनर्विचार करे, टकराव पर आधारित शीतयुद्ध की मानसिकता को पूरी तरह से त्याग दे और एक संतुलित, प्रभावी और टिकाऊ यूरोपीय सुरक्षा ढांचा बनाने का प्रयास करे।’
एशिया प्रशांत में नाटो की भागीदारी का विरोध करते हैं: चीन
झांग ने कहा कि यह स्वयं नाटो है, जिसने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में परेशानी पैदा की है। उन्होंने कहा, ‘हम नाटो से अपने सबक सीखने का आग्रह करते हैं और दुनियाभर में ब्लॉक टकराव या एक नए शीतयुद्ध को भड़काने के लिए यूक्रेन संकट का उपयोग नहीं करते हैं और एशिया प्रशांत में काल्पनिक दुश्मनों की तलाश नहीं करते हैं या कृत्रिम रूप से विरोधाभास और विभाजन पैदा करते हैं।’ झांग ने जोर देकर कहा कि चीन एशिया प्रशांत में नाटो की भागीदारी के लिए या सैन्य गठबंधनों के पीछे नाटो के एशिया प्रशांत संस्करण के लिए कुछ तत्वों का दृढ़ता से विरोध करता है।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh