Agra, Uttar Pradesh, India. पिछले चार वर्षों से आगरा में गैर प्रदूषणकारी उद्योगों पर लगी रोक के कारण विकास का पहिया पूरी तरह से थम गया है। उद्यमी और श्रमशक्ति हताश है। गैर औद्योगिक गतिविधियां जैसे- होटल, हॉस्पीटल, प्रधानमंत्री आवास योजना, वेस्ट टु एनर्जी प्लान्ट आदि की अनुमति भी नहीं दी जा रही है जो कि स्वास्थ्य, पर्यटन व पर्यावरण के क्षेत्र में हानिकारक है। यही नहीं, केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड ने गैर औद्योगिक गतिविधियों को पृथक से वर्गीकृत कर दिया है। इन सबको देखते हुए शहर की अग्रणी औद्योगिक व व्यवसायिक संस्था नेशनल चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में एमसी मेहता के लम्बित मामले में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए वर्चुअल मीटिंग में तय किया।
नेशनल चैम्बर की आज एक वर्चुअल बैठक में आगरा के औद्योगिक परिदृश्य को लेकर गहन चर्चा हुयी। मुद्दा यही था कि पिछले चार वर्षों से गैर प्रदूषणकारी औद्योगिक एवं गैर औद्योगिक गतिविधियों पर लगी रोक आखिर शहर को कहां ले जायेगी। पर्यटन नगरी के होते हुए भी पिछले चार वर्षों से किसी होटल की अनुमति नहीं दी गयी है। एक ओर केन्द्र सरकार आयुष्मान योजना चलाये हुये है तो वहीं दूसरी ओर नये अस्पतालों को चलाने या उनके विस्तार पर रोक लगी हुई है। कोरोना महामारी में जहां चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी है, वहीं दूसरी ओर नये अस्पतालों को अनुमति न देना उचित नहीं है। अस्पताल बने खड़े हुए हैं
नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल द्वारा पूरे टीटीजेड के औद्योगिक जगत में व्याप्त निराशा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यदि गैर प्रदूषणकारी औद्योगिक गतिविधियां ही अनुमन्य नहीं होंगी तो आत्मनिर्भर भारत की बात एक सपना ही बनकर रह जायेगी। रोजगार की कमी के चलते आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ गई हैं और युवा शक्ति भी निराश है। ऐसे में जो भी कानूनी अड़चनें गैर प्रदूषणकारी उद्योगों और गैर औद्योगिक गतिविधयों के रास्ते में आ रही हैं, उनको शहरहित में दूर करना होगा अन्यथा युवा शक्ति शहर से पलायन कर जायेगी।
के0सी0 जैन अधिवक्ता द्वारा वर्चुअल मीटिंग में यह बताया गया कि आगरा की ओर से कोई भी संस्था या गैर सरकारी संगठन (एन0जी0ओ0) एम0सी0 मेहता के प्रकरण में पक्षकार नहीं हैं। केवल नेशनल चैम्बर ही गैर सरकारी पक्षकार है। आगरा की आवाज और मुद्दे उठाने के लिए चैम्बर जैसी संस्था प्रभावी भूमिका निभा सकती है। प्रायः यह देखा जाता है कि आगरा के हित की बातों को सुप्रीम कोर्ट में उठाने के लिए कोई नहीं होता है।
चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी कार्यवाही और चैम्बर के प्रतिनिधित्व के द्वारा सही स्थिति को आगरा के हित में रखा जाये कहा गया। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि चैम्बर एम0सी0 मेहता के प्रकरण में प्रतिपक्षी सं0 9 है और उसे यह अधिकार है कि वह अपनी बात को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे।
चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल द्वारा भी चैम्बर की ओर से उचित पैरवी करने की बात का समर्थन किया। अनिल वर्मा अधिवक्ता द्वारा किन-किन प्रकरणों पर चैम्बर के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला रखा जाये इसको लेकर सभी स्टेक होल्डर्स के साथ में मंत्रणां करने की बात रखी गयी।
पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल व अशोक कुमार गोयल ने भी सुप्रीम कोर्ट में चैम्बर की ओर से पैरवी की बात का समर्थन किया। न केवल उद्योग अपितु यमुना डिसील्टिंग, एग्रोफोरेस्ट्री आदि अनेक ऐसे मामले हैं जिन्हे हमें आगे बढ़ाना चाहिए। ऐसी परियोजनाऐं भी जो पर्यावरण में सुधार ला सकेंगी वे भी कार्यान्वित नहीं हो सकी हैं, चाहें वे यमुना नदी पर बैराज बनाने की हो या नगर निगम द्वारा वेस्ट टु एनर्जी प्लान्ट लगाने की बात हो। गरीबों के लिए प्रधानमन्त्री आवास योजना के भवन भी आगरा में नहीं बन पा रहे हैं
इस वर्चुअल मीटिंग में सभी इस बात के लिए सहमत हुये कि एम0सी0 मेहता के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में नेशनल चैम्बर की ओर से प्रभावी पैरवी की जाये और वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त किया जाये। वर्चुअल मीटिंग में अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र गर्ग, उपाध्यक्ष योगेश जिंदल, कोषाध्यक्ष मयंक मित्तल,मयंक मित्तल, राजेन्द्र गर्ग, एडवाइजरी कमैटी के सदस्य पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल, अनिल वर्मा, मुकेष कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार गोयल, राजीव तिवारी तथा आरटीआई एवं लीगल सैल के चेयरमैन केसी जैन ने प्रतिभाग किये।
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