मां का दूध शिशु के लिए अमृत समान

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Hathras (Uttar Pradesh, India) ।  शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। ऐसे में अब जब कोरोना से पूरा देश जंग लड़ रहा है तो मां का दूध शिशु के लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे शिशु को पोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। पहले छह महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। सुपाच्य होने के कारण मां के दूध से शिशु को किसी भी तरह की पेट की गड़बड़ी होने की आशंका नहीं होती है। मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसलिए यह आपके शिशु के जीवन के लिए जरूरी है।इतना ही नहीं स्तनपान सिर्फ आपके शिशु के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी फयदेमंद है। स्तनपान कराने वाली महिलाएं रोगमुक्त रहती है।

जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. रूपेंद्र गोयल का कहना है कि शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का पीला गाढ़ा दूध पिलाना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि वही बच्चों की बीमारियों से रक्षा कर सकता है। उन्होंने बताया कि एक अगस्त से सात अगस्त के बीच स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उनको कोरोना से आसानी से बचाया जा सकता है। शुरू के छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध देना चाहिए।


सीएमएस ने  बताया कि स्तनपान का महत्व कोविड 19 संक्रमण के दौरान और अधिक हो जाता है क्योकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । प्रत्येक माँ को शिशु को अवश्य स्तनपान कराना चाहिए। कोविड-19 से संक्रमित माँ भी बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं। अभी तक किसी भी शोध में यह नहीं साबित हुआ है कि वायरस माँ के दूध से शिशु में पहुँच सकता है।

शिशु को फायदे

– एक साल से कम उम्र के शिशु में डायरिया रोग से लड़ने की क्षमता कम होती है। मां का दूध उन्हें इस रोग से लड़ने की क्षमता देता है। मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला दूध के साथ गाढ़ा पीले रंग का द्रव भी आता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, इसे शिशु को जरूर पिलाएं। इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है।
– मां का दूध शिशु के लिए सुपाच्य होता है। इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।
–  मां का दूध का बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
– स्तनपान कराने वाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है।
– मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है। इससे शिशु को सर्दी नहीं लगती है।

मां को होने वाले फायदे

– स्तनपान कराने से मां को गर्भावस्था के बाद होने वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है। इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
– इससे माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इसके साथ ही स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।
–  खून की कमी से होने वाले रोग एनिमिया का खतरा कम होता है।
–  मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है।
– स्तनपान के लिए आप अधिक कैलोरी का इस्तेमाल करती हैं और यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है।