डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. लोकसभा चुनाव 2024 में फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र इस समय चर्चा में है। चर्चा में इसलिए कि फतेहपुर सीकरी से विधायक चौ. बाबूलाल ने भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर के खिलाफ अपने पुत्र डॉ. रामेश्वर सिंह को खड़ा कर दिया है। लोग सोच रहे थे कि अगर डॉ. रामेश्वर ने नामांकन से नाम वापस नहीं लिया तो चौ. बाबूलाल के खिलाफ भाजपा कठोर कार्रवाई करेगी। ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इस कारण लोगों के मन में सवाल है कि भाजपा आखिर कर क्या रही है? हमने इसी सवाल का उत्तर खोजने का प्रयास किया है।
पहले चौ. बाबूलाल के बारे में जान लें। उनका राजनीतिक इतिहास तो लम्बा है लेकिन हम सिर्फ भाजपा में शामिल होने के बाद की बात करेंगे। चौ. बाबूलाल भाजपा में आए तो पार्टी ने उन्हें फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाया और सांसद बनाया। उन्हें 4,26,589 मत मिले। यह बात 2014 की है। यहां से टिकट के दावेदार रहे चौ. उदयभान सिंह सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि उनकी टिकट काटकर चौ. बाबूलाल को दी गई। चौ. बाबूलाल कहते रहे हैं कि मौसा जी (चौ. उदयभान सिंह) ने चुनाव में उनका विरोध किया था। चौ. उदयभान सिंह कहते हैं कि हमने पूरा सपोर्ट किया।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चौ. उदयभान सिंह को टिकट दिया। इस दौरान भी घात-प्रतिघात के आरोप लगते रहे। आरोप लगाया कि चौ. बाबूलाल ने हराने का प्रयास किया लेकिन जीत गए। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चौ. उदयभान सिंह का टिकट काटकर चौ. बाबूलाल को दे दिया। बाबूलाल सांसद से विधायक बन गए। इस चुनाव के बाद भी वही पुराने हराने-जिताने के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे।
2019 के चुनाव में भाजपा ने राजकुमार चाहर को टिकट दिया। चाहर के नाम बड़ी जीत रही। 4,95,065 मतों से जीत हुई जो एक रिकॉर्ड है। उन्होंने सिने स्टार और कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को हराया। राज बब्बर को इस हार का ऐसा गम बैठा कि आगरा की ओर मुड़कर नहीं देखा। पार्टी ने इसका इनाम दिया और राजकुमार चाहर को भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। पूरे देश में दौरा करने लगे। इसके साथ ही राजकुमार चाहर की ख्याति राष्ट्रीय नेता के रूप में हो गई।
2024 में लोकसभा चुनाव आ गए। भाजपा ने सांसद राजकुमार चाहर पर फिर से विश्वास जताया और टिकट दिया। इसके साथ ही चौधरी बाबूलाल बिगड़ गए। उनके पुत्र डॉ. रामेश्वर सिंह ने पंचायत की। खुलेआम मांग की कि प्रत्याशी बदला जाए। आशा थी कि पार्टी सुनेगी लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। फिर चौ. बाबूलाल खुलकर विरोध में आ गए। फिर भी पार्टी ने अनसुनी कर दी।
चौ. बाबूलाल के समर्थकों को लग रहा था कि नाम वापसी के दिन पार्टी प्रत्याशी बदल सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा को लग रहा था कि डॉ. रामेश्वर सिंह नाम वापस ले लेंगे लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। मतलब राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता खुलकर सामने आ गई। बिलकुल शत्रुता भाव के साथ। डॉ. रामेश्वर अपने पिता चौ. बाबूलाल का फोटो लगाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी है कि कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
हमने इस बारे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से बात की। सबने छूटते ही कहा- आप इतनी गंभीरता से क्यों ले रहे हैं। देखते जाइए, क्या होने वाला है। चौ. बाबूलाल को लग रहा है कि वे पार्टी से ऊपर हैं, यही भ्रम दूर करना है। पार्टी अपने प्लान के अनुसार काम कर रही है। आखिर यह प्लान क्या है, सवाल सुनकर कहा कि चुनाव परिणाम वाले दिन पता चल जाएगा।
इन बातों का यह मतलब निकलता है कि पार्टी चाहती है कि चौ. बाबूलाल अपने पुत्र को चुनाव लड़ाएं ताकि जमीनी हकीकत सबके सामने आ सके। पार्टी का इरादा तो राजकुमार चाहर को पहले से भी अधिक मतों से जीत दिलाने का है।
दूसरी ओर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि भाजपा चौ. बाबूलाल के दबाव में है और इसी कारण कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
इस बारे में हमने भाजपा के जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाहा को फोन किया। उन्होंने कहा कि हमने रिपोर्ट भेज दी है। विधायक के बारे में फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा।