Kalpadrum Parshvanath Jinalaya Mathura

सबसे पहले मथुरा में लिखे गए जैन आगम, कंकाली टीला से आज भी निकलती हैं जैन प्रतिमाएं

RELIGION/ CULTURE
  • श्वेतांबर जैन साधु बनने से पूर्व कल्पद्रुम पार्श्वनाथ जिनालय मथुरा आना अनिवार्य
  • पुण्याम-पुण्याम की गूंज के मध्य कल्पद्रुम पार्श्वनाथ मंदिर का ध्वजा परिवर्तन
  • मंदिर का संचालन कर रहे आगरा वाले, बड़ी संख्या में आए श्रावक और श्राविकाएं  

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Mathura, Uttar Pradesh, India, Bharat. 108 पार्श्वनाथ तीर्थ श्रृंखला में कल्पद्रुम पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर मथुरा में है। मंदिर का संचालन श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ ट्रस्ट आगरा करता है। इस मंदिर का वार्षिक ध्वजा परिवर्तन वैशाख सुदि 7 को धूमधाम के किया गया।

 

ध्वजा परिवर्तन के दौरान पुण्याम-पुण्याम की गूंज होती रही। इससे पूर्व स्नात्र पूजा हुई। आगरा से बड़ी संख्या मे श्रावक और श्राविकाएं मथुरा पहुंचे। अशोक कोठारी परिवार ने ध्वजा परिवर्तन का लाभ लिया।

श्री संघ के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि मथुरा का जैन धर्म में अपना अलग ही महत्व है। जैन धर्म के आगम अर्थात शास्त्रों का लेखन मथुरा में ही हुआ है। कंकाली टीला से प्राचीन जैन मूर्तियां निकलती रहती हैं। इससे पहले परमात्मा की वाणी प्रवचन के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाई जाती थी। इस मंदिर का इतना बड़ा महत्व है कि श्वेतांबर जैन धर्म के साधु साध्वी का दीक्षा के पूर्व यहां आकर दर्शन करना आवश्यक है। कल्पद्रुम पार्श्वनाथ जिनालय मथुरा का एकमात्र जिनालय है जिसमें सप्तफण मंडित पद्मासनस्थ 23 इंच ऊंचे और 21 इंच चौड़े पाषाण पर श्री कल्पद्रुम पार्श्वनाथ प्रभु विराजमान हैं।

 

इस अवसर पर आगरा से ट्रस्ट के अध्यक्ष अजय चौरड़िया, राजकुमार धारीवाल, दिनेश चौरड़िया, विपिन बरड़िया, राहुल ललवानी, राजदीप बरमेचा, अशोक ललवानी, मुकुंद, अशोक कोठरी, प्रकाश वेद, दीपक धारीवाल, प्रमोद ललवानी, केके कोठारी, दुष्यंत लोढ़ा, अमित कोठारी, मोंटू बुरड़, रीटा ललवानी, सुमन ललवानी, जयश्री वेद, ममता धारीवाल, रुचि लोढ़ा, सविता चौरड़िया, मंजू कोठारी ने ध्वजा परिवर्तन में शामिल होकर धर्म लाभ लिया।

Dr. Bhanu Pratap Singh