janmashtami in mathura

श्रीकृष्ण जन्माष्टमीः 5248 साल बाद फिर संगीनों के साये में जन्मेंगे श्रीकृष्ण, पढ़िए मथुरा, वृंदावन और गोकुल से संपूर्ण जानकारी

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Mathura, Uttar Pradesh, India. 5248 साल बाद एक श्रीकृष्ण मथुरा में संगीनों के साये में जन्मेंगे। अद्भुत संगोग है कि वही ग्रह नक्षत्र के संयोग हैं। भक्तों को कान्हा के आगमन का अद्भुत और सुखद अहसास हो रहा है। समूचा ब्रज कान्हा के जन्मोत्सव की खुमारी में डूब गया है। अपने आराध्य के आगमन खुशी में नरनारी उल्लालित हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मनोहारी छटा ऐसी है कि बखनी नहीं जा सकती।

90 मिनट रहेंगे मुख्यंमत्री
मथुरा के रामलीला मैदान में रविवार से तीन दिवसीय कृष्णोत्सव कार्यक्रम का आयोजन होगा और सोमवार को जन्माष्टमी के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप ने यह जानकारी दी।  यह आयोजन परिषद, राज्य के पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा ने बताया, सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोपहर साढ़े तीन बजे मथुरा आएंगे। वह कृष्णोत्सव का उद्घाटन करने के लिए रामलीला मैदान जाएंगे। मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री का मथुरा में करीब 90 मिनट ठहरने का कार्यक्रम है इस दौरान वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिरों में दर्शन भी करेंगे।

सज गए हैं मंदिर
ब्रज के मठ-मंदिर ही नहीं घर घर में अजन्मे के जन्म की तैयारी पूरी हो चुकी है। पालने से लेकर खिलोने तक खरीद लिए हैं। यह ब्रज ही है जहां श्रीकृष्ण से लाडले लाल जैसा लाड़ लड़ाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर सुरक्षा के पुख्ता और अचूक बंदोबस्त को देख कर श्रद्धालुओं को कंस काल की अभेद्य जैल जैसा आभास अनायास हो ही जाता है। वृंदावन में इस्कॉन, ठाकुर बांकेबिहारी, प्रेम मंदिर, राधाकांतजू मंदिर, टेढ़े खम्भों वाला मंदिर हो या रंगजी मंदिर, बल्देव में दाऊजी मंदिर, गोकुल में नंदभवन, महावन में चौरासी खम्भा मंदिर हो या नंदगांव का नंदभवन, गोवर्धन की दानघाटी हो, मथुरा का द्वारिकाधीश मंदिर, भक्तों की भीड़ से पटे पड़े हैं। सड़क के फुटपाथ से लेकर धर्मशाला और होटल सब एक दिन पहले ही फुल हो गये हैं। शहर में जगह जगह जूता चप्पल घर बनाये गये हैं जिससे लोगों को असुविधा नहीं हो।

दोपहर 3.15 बजे मथुरा पहुचेंगे मुख्यमंत्री
सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोपहर 3.15 बजे मथुरा पहुंचे। वह श्रीकृष्णोत्सव का उद्घाटन करने के लिए रामलीला मैदान जाएंगे। मुख्यमंत्री सोमवार दोपहर 3.15 से 5.00 बजे तक मथुरा में रहेंगे। वह करीब एक घंटा मंच और एक घंटा श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर गुजारेंगे। संतों से भी मुलाकात का वक्त रखा गया है।



ये हैं मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम
– 1.35 बजे लखनऊ से मथुरा के लिए रवाना होंगे। 
– 3.15 बजे मथुरा के ओम पैराडाइज हैलीपैड पर पहुंचेंगे। 
– 3.20 बजे मथुरा के हैलीपैड से कार से कार्यक्रम स्थल के लिए रवानगी।
– 3.30 बजे रामलीला मैदान पर पहुंचेंगे। यहां एक घंटे रुकेंगे। इस दौरान संतों का स्वागत सम्मान होगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 
– 4.25 बजे रामलीला मैदान से श्रीकृष्ण जन्मस्थान जाएंगे। 
– 4.30 बजे श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचेंगे। यहां कान्हा के दर्शन करेंगे। 
– 4.50 बजे पर हैलीपैड पर पहुंचेंगे। 
– 5.00 बजे लखनऊ रवाना होंगे। 




सड़क से मठ मंदिरों तक बिखर रही है अनूठी छटा

अजन्मा भाद्रपद की अष्टमी की मध्यरात्रि को अजन्मा जन्म लेने जा रहा है। इस क्षण का साक्षी बनने के लिए भक्तों के समूह तेजी से श्रीकृष्ण जन्मस्थान की तरफ बढ़ रहे हैं। आसपास के इलाकों में तीर्थयात्रियों ने डेरा तंबू तान लिए हैं। रविवार को तीन हजार से अधिक जवान सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात कर दिए गए। मंदिरों में जन्मोत्सव के कार्यक्रम को लेकर तैयारी कर ली गई है। प्रसाद के लिए मंदिर, मठ, आश्रमों की रसोई दिन-रात चल रही हैं। तय मुहूर्त पर पूजा-अर्चना होगी। संपूर्ण ब्रज मंडल में कन्हैया के जन्म की खुशियों का उल्लास छा रहा है।


 5248 वां जन्मोत्सव

ज्योतिष आचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुवेर्दी ने बताया श्रीमद भागवत के अनुसार द्वाद्वश स्कंध के दूसरे अध्याय अनुसार भगवान श्रीकृष्ण धरती पर 125 वर्ष रहे। उनके धराधाम से जाने के बाद से ही कलियुग लग गया। सभी पंचागों में कलियुग की आयु 5119 वर्ष है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण के धरा पर रहने की अवधि और कलियुग की आयु का योग 5247 वर्ष बैठता है। जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के वर्ष को पुष्ट करता है। ऐसे में इस बार 5248 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

व्यापारियों से प्रतिष्ठान सजाने की अपील

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आ रहे हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ही राज्य सरकार इस बार मथुरा में कान्हा के जन्मोत्सव को तीन दिवसीय आयोजन के रूप में मना रही है। सभी मंदिरों को सजाया गया है। प्रवेश द्वार बनाए गये हैं। इस आयोजन में सरकार के साथ मथुरावासियों की भागेदारी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के सहयोग लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने शहर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को सजाने की अपील की है। उनका कहना है कि व्यापारी और दुकानदार दीवाली की तरह ही अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बिजली की झालरों से सजाएं, जिससे मथुरा आने वाले कृष्ण भक्तों को मथुरा की अद्भुत चमक दिखाई दे। इसके विभिन्न व्यापारी संगठनों ने सहमति भी जताई है और इसका असर देखने को मिल रहा है। व्यापारियों के द्वारा अपने प्रतिष्ठानों पर सजावट की जा रही है।
 डिवाइडरों पर भगवा रंग

कृष्ण जन्माष्टमी से पूर्व ही प्रेम मंदिर रंगबिरंगी रोशनी से जगमगा रहा है। वहीं, हजारों श्रद्धालु जन्माष्टमी से पूर्व लाला के दर्शन के साथ ही रोशनी से नहाए मंदिर को देखने के लिए उमड़ रहे हैं। मंदिर की भव्यता को देखने के लिए दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा सहित देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आ रहे हैं। नंदगांव के नंदबाबा मंदिर, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को आकर्षक विद्युत सजावटों से सजाया जा रहा है। वहीं मथुरा शहर की डिवाइडरों पर भगवा रंग चढाया जा रहा है।



ठाकुर जी का जन्म और मुस्लिम

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी से जुडी कई बातें लोगों तक पहुंचती नहीं हैं। धर्म नगरी आपसी भाईचारे और सौहार्द का संदेश वर्षों से देंती आ रही है। भगवान श्रीकृष्ण की पोषाक यहां मुसलमान सिलते हैं। इस बार जन्मदिन पर भगवान जिस मुकुट को धारण करेंगे वह भी मुसलमान कारीगर ने तैयार किया है। यहां तक कि गोकुल में जन्माष्टमी के अगले दिन मनाए जाने वाले नंदोत्सव में बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं। यह काम मुस्लिम परिवार वर्षों से पीढी दर पीढी करते आ रहे हैं।

मुस्लिम तैयार करते हैं पोशाक
 मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर सभी तैयारियों में में कारीगर और कलाकार महीनों पहले से जुट जाते हैं। इसके पीछे उनकी आस्था ही है। मुस्लिम कारीगरों ने भगवान श्रीकृष्ण की आकर्षक पोशाक तैयार की हैं। मथुरा में पोशाक और मुकुट श्रृंगार का व्यवसाय फैला हुआ है। 100 से अधिक कारखानों में अधिकांश कारीगर मुस्लिम समाज के हैं, जो दिन-रात भगवान श्रीकृष्ण के पोशाक और श्रृंगार का सामान तैयार करने में जुटे रहते हैं। वह इन लोगों की रोजी-रोटी का भी एक साधन है। कान्हा के जन्मोत्सव का इंतजार इन्हें बेसब्री से रहता है। जन्माष्टमी से महीनों पहले से ही ये भगवान श्रीकृष्ण की पोशाकों को तैयार करने में लग जाते हैं। भगवान के मुकुट, गले का हार, पायजेब, बगल बंदी, चूड़ियां, कान के कुंडल जैसे आभूषणों को तैयार किया जाता है। तैयार होने के बाद इन्हें विदेशों में भी भेजा जाता है। इन लोगों पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड कनाडा, नेपाल और अफ्रीका से भी ऑर्डर आते हैं।

भाईचारा सीखें वृंदावन में

मुस्लिम कारीगरों ने बताया कि 40 साल हो गये काम करते, विदेशों में भी जाती हैं हमारी पोशाक, फख्र महसूस करता हूं, हमारी किस्मत है कि ठाकुर जी ने हमें अपने कपडों को सिलने पर लगा रखा है। यह संदेश यह पूरे भारत में जाना चाहिए, भाईचारा सीखना है तो हमारे वृंदावन से सीखें जो हमें लडाते हैं वह गलत आदमी है। हम बांकेबिहारी जी मंदिर भी जाते हैं वृंदावन में। पांच फुट के ठाकुर जी होंगे तो पोशाक सिलने में पूरा एक महीना लगात है। एक पोशाक में करीब पांच आदमी लगते हैं। हमें अच्छा लगता है, दिल को सुकून मिलता है, ठाकुर जी की पोशाक बनने में, भारत और भारत के बाहर के मंदिरों में हमारी पोशाक पहनाई जाती है।


600 कलाकारों की 50 टोली बिखेर रहीं श्रीकृष्ण लीला के रंग
भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रमों का आगाज रविवार को हो गया। ब्रज में जन्मोत्सव की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। बस कान्हा के आने का इंतजार है। श्रीकृष्णोत्सव के अंतर्गत मुख्य मंच रामलीला मैदान और छोटे मंचों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम श्रद्धालुओं के तन-मन को झंकृत कर रहे हैं। करीब 600 कलाकार इन आयोजनों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं जीवंत कर रहे हैं। छह सौ कलाकार के 50 ग्रुप बनाए गए हैं। रविवार से सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गए। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग, जिला प्रशासन द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 29 व 30 अगस्त को सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे हैं। मुख्य आयोजन रामलीला मैदान पर चल रहा है। इसके अलावा शहर में 11 मंच और वृंदावन, गोकुल में भी मंच तैयार किए गए हैं। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु जगह-जगह भगवान की लीलाओं के दर्शन कर खुद को धन्य कर रहे हैं।

आज दो बजे से कार्यक्रम

रविवार को दोपहर दो बजे से शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम सोमवार को रात्रि तक अनवरत जारी रहेंगे।  30 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से जन्मभूमि से शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। 31 अगस्त को गोकुल में द्वापर युग जीवंत होगा। इन आयोजनों में 600 कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। इन कलाकारों के 50 ग्रुप बनाए गए हैं। करीब 550 कलाकार ब्रज और 50 कलाकार बाहर से आएंगे। झांसी, आंबेडकर नगर, हरियाणा के कलाकार बुलाए गए हैं। इसके अलावा शहर में  प्रमुख 70 स्थानों पर बडी स्क्रीन पर कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण देखा जा सकता है।



गोकुल में हुआ छठी पूजन

भगवान श्रीकृष्ण का जनमोत्सव भद्रमास की अष्टमी को मनाया जाता है। जबकि कान्हा के गांव गोकुल में उल्लसा नवमी को यानी नंदोत्सव के दिन पूरी तरह छा जाता है। लेकिन गोकुल में श्रीकृष्ण के जन्म से ठीक पहले यानी जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर नंदभवन में कान्हा की छठी पूजन का कार्यक्रम पूरे विधिविधान से हुआ। इस कार्यक्रम को नंदोत्सव और जन्माष्टमी जितनी ख्यात प्राप्त नहीं हुई है लेकिन छठी पूजन की कथा लोगों को हमेशां आकर्षित करती रही है। गोकुल के नंदभवन में जन्माष्टमी के एक दिन पहले भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन का कार्यक्रम विधिविधान से पूरा हुआ। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कृष्ण का छठी पूजन उनके जन्म के 364 दिन बाद हुआ था। इसकी वजह यह थी कि उनके जन्म के बाद कंस ने छह दिन के बच्चों को मारने का आदेश दिया था। इससे डरकर माता यशोदा ने छठी पूजन नहीं किया। अगले साल जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले ये समारोह धूमधाम से मनाया गया था।

एक साल बाद हुआ छठी पूजन
गोकुल के चेयरमैन संजय दीक्षित ने बताया कि कंस के कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंदभवन पहुंचा दिया था। इसके बाद योगमाया जेल में आ गई थीं। जब कंस उन्हें मारने आया तो आकाशवाणी हुई कि उसे मारने वाला जन्म ले चुका है। इसके बाद कंस ने बौखलाकर राक्षसी पूतना को आदेश दिया कि छह दिन के बच्चों को मार दिया जाए। जब राक्षसी पूतना गोकुल पहुंची तो माता यशोदा ने बालकृष्ण को छिपा लिया। उन्होंने उनकी छठ पूजा भी नहीं की। कुछ दिनों बाद वे इस बात को भूल गईं। अगले साल जब श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाने की बात हुई तो सखी चंद्रावली ने यशोदा से कहा कि कन्हैया का छठी पूजन नहीं हुआ है, इसलिए कोई भी घर पर नहीं आएगा। इसके बाद मां यशोदा ने कन्हैया के जन्म के 364 दिन बाद सप्तमी को छठी पूजन किया।




Dr. Bhanu Pratap Singh