केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के माध्यम से केन्द्र सरकार तक बात पहुंचाई
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Agra, Uttar Pradesh, India. सम्मेद शिखर जी जैन समाज के अलावा अन्य धर्मों की भी आस्था का केंद्र है। यह एक बड़ा तीर्थस्थल, और तीर्थस्थल कभी पर्यटन क्षेत्र घोषित नहीं हो सकता। हमारी आस्था के इस केंद्र को पर्यटन स्थल घोषित करना स्वीकार नहीं है। सम्मेद प्रकरण पर पूरे देश में आक्रोश है। दिल्ली के लाल किले से गाँधीवादी, अहिंसक, आक्रोश से सरकार को चेतावनी देने वाले राष्ट्रसंत प्रमुख जैन मुनि श्री विहर्ष सागर जी ने जयपुर हाउस स्थित संत भवन में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए यह बात कही। साथ ही उन्होंने केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के माध्यम से केन्द्र सरकार तक बात पहुंचाई है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को आशीर्वाद भी दिया।
गुरुदेव ने कहा कि 9 जनवरी, 2023 को आगरा में एक विशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है। शिखर जी में जैनों के तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है। इस भूमि से 20 तीर्थंकर निर्वाण को प्राप्त हुए हैं, जिससे यहाँ का कण कण पावन, पुनीत और पवित्र है। पर्यटन के नाम पर क्षेत्र को अपवित्र करने की मंशा पूरी नहीं होने दी जाएगी। तीर्थस्थल किसी भी धर्म का हो, वह कभी पर्यटन क्षेत्र नहीं बनाया जा सकता है। ऐसे ही कोई भी पर्यटन स्थल, तीर्थ स्थल घोषित नहीं हो सकता।
मुनिराज विहर्ष सागर जी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुग़ल शासकों और अंग्रेजों ने देश पर सैकड़ों साल सत्ता संभाली लेकिन उन्होंने भी सम्मेद शिखर जी को कभी नहीं छुआ और न खिलवाड़ किया। मुनिराज ने कहा सरकार को सोचना चाहिए जैन समाज अहिंसक समाज है। सरकार को वित्तीय रूप से मदद करता है। आत्मनिर्भर समाज के रूप में सरकार को मजबूत करता है।
मुनि विजयेश सागर ने कहा कि सम्मेद शिखर तीर्थ की अलख आगरा में जग गई है। 9 जनवरी को ऐतिहासिक रूप से हजारों लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे।
पत्रकार वार्ता में मुनिराज विहर्ष सागर जी महाराज, मुनि विजयेश सागर जी महाराज, विश्वहर्ष सागर जी महाराज, आगरा जैन समाज के प्रमुख प्रदीप जैन पी. एन सी, मनोज जैन, राहुल जैन, धीरज जैन, सुशील जैन भी उपस्तिथ थे।
विकिपीडिया के अनुसार, शिखरजी या श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की
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