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800 करोड़ के घोटाले में 28 दिन बाद किसानों ने आगे जिला प्रशासन झुका, भूख हड़ताल समाप्त, यहां देखें पूरी FIR

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Agra, Uttar Pradesh, India. आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर आगरा इनर रिंग रोड एवं लैंड पार्सल घोटाले को लेकर चल रहे आमरण अनशन तथा जिला अस्पताल में इलाजरत किसानों की भूख हड़ताल  सोमवार को समाप्त हो गई। जिला प्रशासन ने भ्रष्टाचार में शामिल आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। अपर जिलाधिकारी नगर प्रभाकांत अवस्थी, अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ विनोद कुमार, कई प्रशासनिक अधिकारियों एवं कई राजनीतिक दलों के नेताओं के माध्यम से जिला अस्पताल में श्याम सिंह चाहर और सोमबीर यादव को जूस पिलाया गया। इसके साथ ही हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की गई। प्रशासन ने राहत की सांस ली है। भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में 800 करोड़ का घोटाला किया गया है। 100 से अधिक अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का मांग को लेकर किसान नेता भूख हडताल कर रहे थे।  

किसान नेताओं ने 28 दिन पूर्व तहसील सदर में धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल शुरू की थी। इस दौरान किसान नेता श्यमा सिंह चाहर की हालत बिगड़ गई। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। तहसील सदर में लगातार 28 दिन से धरना, प्रदर्शन, अनशन की कमान किसान नेता सोमबीर यादव संभालते रहे। अनशन के दौरान 9 सितम्बर को किसान नेता सोमबीर यादव की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें भी जिला प्रशासन ने जिलाअस्पताल में भर्ती करा दिया। और 7 दिन बाद किसान नेता सोमबीर यादव स्वस्थ हो गए तो पुनः धरना स्थल पर पहुंच कर आमरण अनशन की कमान संभाली ली।

पूर्व सांसद चौधरी बाबूलाल, पूर्व विधायक कालीचरण सुमन, पूर्व विधायक मधुसूदन शर्मा, लोकदल की ब्रज क्षेत्र प्रभारी अनीता चाहर, किसान नेता श्याम सिंह चाहर की भांजी सोनिया वरंगल, एसीएमओ अंशुल पारीक, सीएमएस डॉ. गुप्ता, कांग्रेस नेता डॉ. उपेंद्र सिंह सभी ने मिलकर किसान नेता को जूस पिलाया। जिलाधिकारी के फोन पर आश्वासन देने पर किसान नेता ने अनशन को समाप्त किया। देवी सिंह छोंकर, दाताराम तोमर, मुकेश पाठक भी अनशन पर थे। इनका भी अधिकारियों ने अनशन समाप्त कराया।

जिला अस्पताल में सोमबीर यादव, राकेश सोलंकी, अवधेश सोलंकी, बने सिंह पहलवान, कप्तान सिंह, सुधा चौधरी, ममता चौधरी, दीना राम चौधरी, ज्ञान सिंह कुशवाह, रामवीर सिंह, ब्रजेश चाहर, चंद्रमोहन पाराशर, सौरव शर्मा, आमिर भाई, मेहताब सिंह चौहान, जितेन्द्र चौहान, मोहन सिंह चाहर, प्रदीप कुमार, लाखन सिंह त्यागी, अवधेश, हरिओम रावत, रविंद्र सिंह जाटव, वेदो पंडित जी, कल्लू यादव, दब्बू वरंगल, गीता रानी, उमा शंकर उपाध्याय, अजय शर्मा, रविंद्र सिंह, महेश जाटव, जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र सिंह कदम, सुरेंद्र चौधरी, नरेंद्र चाहर, भूपेंद्र रावत, नीरज खंडवा, दीपक तोमर, ओपी वर्मा, शैलराज सिंह एडवोकेट, अजय एडवोकेट, गुड्डू चाहर, दुर्गा प्रसाद, मुकेश रावत, पिंटू यादव, गौरव यादव, पिंकी त्यागी, विनोद शुक्ला, रामगोपाल शर्मा, लाखन सिंह फौजदार, दिगंबर फौजदार, धीरेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, कल्लू यादव, कृष्णा रावत, संजय सिंह, सतवीर, चंद्र शेखर शर्मा, प्रमोद शुक्ला, बासुदेव कुशवाहा आदि के पर थे।

किसान नेता श्याम सिंह चाहर के साथियों ने प्रण कर लिया है कि दोषी अधिकारियों को जेल भिजवा कर ही दम लेंगे। किसानों की जमीन में घोटाला करने वालों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक क्यों न लड़ना पड़े। किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे।

किसान नेता सोमबीर यादव ने कहा है कि  यह जीत किसी एक व्यक्ति विशेष की नहीं है। इस जीत का श्रेय हमारे पूरे किसान संगठन के लिए जाता है। तहसील सदर में आमरण अनशन को उपजिलाधिकारी लक्ष्मी एन ने समाप्त कराया।

इस टीम में मुख्य रूप से मुकेश पाठक, दाताराम तोमर, देवपकाश, वेदप्रकाश शर्मा, रामगोपाल शर्मा, बिशम्बर फ़ौजदार, लाखन फ़ौजदार, लाखन सिंह त्यागी, राकेश सोलंकी, सावित्री चाहर, राधारानी तोमर, राजेन्द्र तोमर, देवी सिंह छोंकर, महेश फ़ौजदार, भोला जाट, लक्ष्मी नारायण बघेल, प्रदीप शर्मा, आमिर ख़ान, अमन चाहर, पप्पू यादव, मेहताब चाहर, गजेन्द्र चाहर, अवधेश सोलंकी, रवींद्र सिंह, द्वारिका प्रसाद एडवोकेट आदि का पूरा सहयोग रहा है।

800 करोड़ रुपये के इनर रिंग रोड भूमि अधिग्रहण घोटाला में कमिश्नर से लेकर चपरासी तक 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी फंसे हुए हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र तक इस घोटाले के तार जुड़े हुए हैं। घोटाले में दोषियों के नाम उजागर करने की लड़ाई लड़ रहे हैं श्याम सिंह चाहर। 2019 में उन्हें दो करोड़ रुपये में खरीदने का प्रयास किया गया। नहर सफाई घोटाला, ट्रैक्टर घोटाला, पंचायत घर घोटाला का भी खुलासा कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस और यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ने के लिए इनर रिंग रोड बना है। इनर रिंग रोड पर सभी किसानों को एक समान मुआवजा देने की मांग को लेकर दो बार आंदोलन किया। रेलवे ट्रैक जाम किया। 10 दिसम्बर, 2013 को ताजमहल घेराव के लिए प्रस्थान किया। पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। 22 किसान जेल गए। फिर ग्वालियर रोड स्थित रोहता पर किसानों की महापंचायत हुई। इसमें भारतीय किसान यूनियन  के राकेश टिकैत  आए। चेतावनी के बाद 14 दिसम्बर, 2013 को किसानों को बिना शर्त रिहा कर दिया गया। वादा किया था कि कोई मुकदमा नहीं लगाया जाएगा, फिर भी दो मुकदमे कायम कर दिए। फिर से मुकदमा वापसी का आदेश हुआ है।

इनर रिंग रोड के लिए 2009 में जमीन का अधिग्रहण शुरू किया। जेपी ग्रुप ने किसानों से करार करा लिया। उसमें न रेट है और न ही डेट है। 2011 में अधिग्रहण हो गया। इसके बाद घोटाला हुआ। अधिकारियों से मिलकर अधिगृहीत भूमि से आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) का नाम हटाकर फिर से किसानों के नाम कर दिया। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के लोगों के नाम किसानों से बैनामे कराए गए। उत्तर प्रदेश के तो सभी 75 जिलों के लोगों ने बैनामे कराए। बैनामे में जमीन को रोड और आबादी से दूर दिखाया गया। मुआवजा लिया रोड के सहारे जमीन दिखाकर। यह काम 2013, 2014 और 2015 में हुआ। चार रेट तय कि गए 648, 1057, 1486 और 1902 रुपये प्रति वर्गमीटर। 1486 और 1902 रुपये प्रति वर्गमीटर वाले सभी बैनामे मुख्य सड़क से दूर हैं, लेकिन मुआवजा निकट का लिया। किसानों को नोटिस भेजे गए कि कि आपकी जमीन पट्टे की है, खादर की है, आप बैनामा कर दो नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा। इस कारण किसान घबरा गया था। सवाल यह है कि जब सरकार के नाम जमीन हो गई तो किसान के नाम दोबारा क्यों की गई? बैनामा कराने में स्टाम्प चोरी की गई। 938.8975 हेक्टेअऱ जमीन छलेसर से लेकर रोहता और जखोदा गांव तक है। कुल 24 गांव हैं। इनरिंग रोड, लैंड पार्सल, इंटरचेंज के लिए एक साथ बसपा के समय जमीन का अधिग्रहण किया गया।

उचित मुआवजे के लिए किसान जनवरी, 2019 में घुटनों के बल चलकर सर्किट हाउस में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के पास गए। जनवरी में ही घुटनों के बल चलकर जिलाधिकारी के पास गए। जांच जल्दी कराने की मांग की क्योंकि जो भी अधिकारी जांच शुरू करता, उसी का ट्रांसफर हो जाता था। 8 जून, 2019 की पहली रिपोर्ट आई कि एडीए, एसएलओ (विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी), तहसील एत्मापुर और तहसील सदर के चपरासी लेकर उच्चाधिकारी तक दोषी हैं। रिपोर्ट में नाम किसी का नहीं था। श्याम सिंह चाहर ने कहा कि नाम खोलो। एडीएम प्रशासन ने कहा कि आप कोर्ट चले जाएं। कई दोषी अधिकारी श्याम सिंह चाहर घर पर कथित किसान नेताओं को लेकर। दबाव में लेने का प्रयास किया। साथियों को लालच दिया। दो करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया। श्याम सिंह चाहर ने कहा- मरना मंजूर है लेकिन झुकना नहीं। दिलाना ही है तो एडीए से मुआवजा दिलवाओ।

9 सितम्बर, 2019 को रावली से कलक्ट्रेट तक लेटकर प्रदर्शन किया। डीएम ने ज्ञापन लिया। दोषियों के नाम खोलने की मांग रखी। प्रदर्शन के बाद सात किसान बुरी तरह से बीमार हो गए। होश आया तो जिला अस्पताल में थे। 10, 2021 सितम्बर को घोषणा की कि या तो दोषियों के नामों का खुलासा करो नहीं तो अस्पताल में ही भूख हड़ताल करेंगे। तत्कालीन एडीएम सिटी केपी सिंह और सिटी मजिस्ट्रेट प्रभाकर अवस्थी ने गोपनीय रिपोर्ट दी। चाहर ने शर्त रखी कि रिपोर्ट जनता के सामने रखें। प्रशासन ने कहा कि शासन से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं मिली है। इसे लेकर 15 सितम्बर को कमिश्नरी का घेराव किया। गेट पर ताला लगाया। तत्कालीन अपर आयुक्त साहब सिंह वर्मा ने कहा कि रिपोर्ट सार्वनजिक नहीं करेंगे लेकिन दोषी बचेगा नहीं। सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल और राजकुमार चाहर तथा यूपी के राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश आए कि भूख हड़ताल समाप्त करो। आश्वासन दिया कि जांच करवाएंगे। डीएम ने कहा कि मेरे स्तर का मामला नहीं है। पूर्व सांसद चौधरी बाबूलाल ने फोन पर पर मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से बात की। तब चाहर का रक्तचाप (बीपी) 55/75 था और भूख हड़ताल तुड़वा दी जबरन। 18 सितम्बर को सर्किट हाउस में डॉ. दिनेश शर्मा से मिले। सीबीआई जांच की मांग की लेकिन उच्चस्तरीय जांच का आश्वासन दिया है।

श्याम सिंह चाहर ने बताया कि 2012 में नहर और माइनर की सफाई को लेकर आंदोलन शुरू किया। आगरा में 620 किलोमीटर का नहर, माइनर और रजवाह है। शासन से तली झाड़ खुदाई और सफाई के लिए पैसा आया था, लेकिन सिर्फ झाड़ियां हटाई जा रही थीं। इसके खिलाफ आवाज उठाई। काम बंद कराया। नहर में धरना दिया। तीन बार भूख हड़ताल की। कोई कार्रवाई न हुई तो 10 दिसम्बर, 2013 को बड़ा आंदोलन हुआ। जेल गए। इसके बाद एसडीएम स्तर से जांच हुई। जांच में मौका मुआयना से पहले ही नहर में पानी छोड़ दिया। तकनीकी जांच हुई तो फिर पानी छोड़ दिया। संयुक्त विकास आयुक्त राम आसरे वर्मा ने जांच की। तीन माह बाद खुलासा हुआ कि करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। तीन साल से एक ही स्थान पर काम दिखाया जा रहा था। लिंक रोड और हाईवे के एक-एक किलोमीटर में नहर की सफाई की गई। 14 अधिकारी दोषी पाए गए। इनके खिलाफ कोर्ट के माध्यम से थाना सदर में रिपोर्ट दर्ज कराई है। कार्रवाई कुछ नहीं हुई है।

Dr. Bhanu Pratap Singh