शिशुओं के लिए वरदान है ‘मानव दुग्ध बैंक’ जानिए खास बातें

शिशुओं के लिए वरदान है ‘मानव दुग्ध बैंक’ जानिए खास बातें

HEALTH

गाय-भैंस के दूध की तुलना में मां के दूध की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। ह्यूमन मिल्क को संग्रहित कर सुचारु रूप से ज़रूरतमंद शिशुओं तक पहुंचाना किसी बैंक की कार्यप्रणाली से मिलता-जुलता प्रकल्प है। ये मानव दुग्ध बैंक किस तरह से काम करते हैं या किन शिशुओं को इनकी ज़रूरत पड़ती है, इस लेख के ज़रिए जानते हैं।

मानव दुग्ध बैंक है क्या

ह्यूमन मिल्क बैंक एक गै़र-लाभकारी संस्था है जो नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध को पाश्चराइजेशन यूनिट और डीप फ्रीज़ जैसी तकनीक का उपयोग करके, 6 महीने तक उपलब्ध करा सकती है। इससे किसी भी बच्चे, जिसे मां के दूध की आवश्यकता हो, को सुविधानुसार मातृ-दुग्ध प्राप्त हो जाता है।

कब चाहिए ‘बैंक्ड मिल्क’

ऐसे नवजात जिनकी मांएं उन्हें किसी शारीरिक अक्षमता के चलते स्तनपान नहीं करवा पातीं।

प्रसव के उपरांत मां को दूध बिल्कुल नहीं अथवा बेहद कम आना।

समय से पूर्व जन्मे शिशु, जिनकी मांएं उन्हें स्तनपान कराने में अक्षम हों।

ऐसे नवजात शिशु जिनकी मांएं किसी घातक मेडिकेशन के चलते मजबूरीवश उन्हें स्तनपान नहीं करा सकती हों.

इसके अलावा मां की दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर भी नवजात को मातृ दुग्ध उपलब्ध कराया जाता है।

कैसे सुरक्षित रखा जाता है मदर्स मिल्क

सबसे पहले दूध डोनेट करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि कहीं दुग्ध-दान करने वाली महिला को कोई संक्रामक बीमारी तो नहीं है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि मिल्क डोनेट करने वाली स्त्री किसी प्रकार की दवाओं का सेवन नहीं करती या धूम्रपान/मदिरापान की आदी नहीं। इसके बाद दूध को माइनस 20 डिग्री पर प्रिज़र्व किया जाता है, जिससे यह दूध क़रीब छह माह तक ख़राब नहीं होता।

कोविड में ह्यूमन मिल्क बैंक्स की सार्थकता

कोविड के प्रारंभिक दौर में कोरोना-ग्रसित मांओं के शिशु स्तनपान से वंचित रह जाते थे। किंतु ह्यूमन मिल्क बैंक्स की वजह से ऐसे नवजात जिनकी मां उन्हें कोविड पॉज़िटिव होने के कारण ब्रेस्टफ़ीड नहीं करा पा रही थीं, वे भी इस समुचित व सम्पूर्ण आहार का लाभ ले सके। यदि इस ब्रेस्ट मिल्क बैंक प्रथा को अपना लिया जाए, तो निश्चित तौर पर नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी देखी जा सकेगी। लेकिन इसके लिए जागरूकता ज़रूरी है।

ये सिलसिला शुरू कब हुआ

विश्व का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक ऑस्ट्रिया के विएना शहर में स्थापित किया गया, वहीं भारत में यह श्रेय मुंबई महानगर को मिला। इसके पश्चात अमारा मिल्क बैंक, वात्सल्य मातृ कोष (दोनों दिल्ली में स्थित हैं), यशोदा मिल्क बैंक (पुणे) जैसे कई दुग्ध-कोष भारत के विभिन्न शहरों में संचालित किए जा रहे हैं। ब्राज़ील में ब्रेस्ट मिल्क बैंक्स की बहुतायत पूरी दुनिया के समक्ष एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है।

Dr. Bhanu Pratap Singh