Dr Neeraj Awasthy Delhi

बच्चों में हृदय रोगः डॉ. नीरज अवस्थी ने कहा- 90% मामलों में ऑपरेशन की जरूरत नहीं

HEALTH

अभिभावक लक्षणों पर ध्यान दें और बच्चों के डॉक्टर को दिखाएं

केन्द्र सरकार का निर्देश- जन्मजात हृदय रोगी का भी बीमा होगा

सिस्टम  में रूढ़वादिता, सेना में भर्ती कराने के प्रयास किए जा रहे

आगरा विकास मंच का धन्यवाद, यूपी में अच्छा काम हो रहा है

 

Dr Bhanu Pratap Singh

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Agra, Uttar Pradesh, India. एस्कॉर्ट फॉर्टिस, दिल्ली के प्रमुख बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज अवस्थी का कहना है कि बच्चों में हृदय रोग के लक्षण बड़े सामान्य हैं। इन्हें प्रारंभिक अवस्था में पहचान लिया जाए तो 90 फीसदी मामलों में ऑपरेशन की जरूरत नहीं रह जाती है। इलाज के बाद बच्चा सेना में भी भर्ती हो सकता है।

यह बात उन्होंने लाइव स्टोरी टाइम के संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह से बातचीत में दी। उन्होंने आगरा विकास मंच द्वारा खतैना रोड, लोहामंडी, आगरा पर आयोजित निःशुल्क ओपीडी में बच्चों के हृदय की जांच की। साथ में आगरा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण जैन और डॉ. विजय कत्याल रहे। उन्होंने हर सवाल का जवाब खुलकर दिया। अभिभावकों को बार-बार सचेत किया।

बच्चों में हृदय रोग के लक्षण?

डॉ. नीरज अवस्थीः बार-बार निमोनिया होना, नीलापन, मां के दुग्धपान में सांस फूलना, खाने के बाद भी वजन न बढ़ना बच्चों में हृदय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। ये बीमारियां अन्य बीमारियों के साथ ओवरलैप करती हैं। बच्चा हृदय रोग से पीड़ित है या नहीं, इसका निर्णय बाल रोग विशेषज्ञ कर सकते हैं। जैसे मेरे साथ डॉ. अरुण जैन और डॉ. विजय कत्याल हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ क्या करेंगे?

डॉ. नीरज अवस्थीः अगर बाल रोग विशेषज्ञ समझते हैं कि बच्चे में हृदय रोग की समस्या है तो विश्लेषण कराएंगे। ईसीजी और ईको परीक्षण कराएंगे। इससे 90 फीसदी बच्चों में स्पष्ट हो जाएगा कि हृदय रोग है या नहीं। सिर्फ 10 फीसदी बच्चों में सीटी और एमआरआई की जरूरत होती है।

ऑपरेशन कितने मामलों में करना होता है?

डॉ. नीरज अवस्थीः ज्यादातर मामलों में ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होता है। गाइडेंस से ही समुचित इलाज किया जा सकता है। हां, कुछ मामलों में बिना ऑपरेशन के एंजियोग्राफी से इलाज किया जा रहा है। आगरा विकास मंच के माध्यम से बहुत सारे बच्चों का इस तरह से इलाज हो रहा है। कुछ मामलों में अगर शल्य क्रिया की जरूरत पड़ती है तो आगरा विकास मंच के माध्यम से कई वर्षों से इलाज किया जा रहा है। इसके लिए आगरा विकास मंच का धन्यवाद है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः हृदय के इलाज के बाद बच्चा क्या स्पोर्ट्स या अन्य में सामान्य रूप से काम कर सकता है?

डॉ. नीरज अवस्थीः अच्छा सवाल पूछा है। ज्यादातर मामलों में सही समय पर इलाज कर दिया जाए तो बच्चा सामान्य जीवन जीता है। अन्य बच्चों की तरह स्कूल जाता है, सबकी तरह स्कूल की सभी गतिविधियों में भाग लेता है। अन्य बच्चों की तरह ही उसका विकास होता है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या सेना में भर्ती हो सकता है?

डॉ. नीरज अवस्थीः जहां तक आर्मी में भर्ती होने की बात है तो हमारे सिस्टम की मानसिकता में रूढ़िवादिता है। आर्मी में कहा जाता है कि इसका ऑपेरशन हुआ है, जॉब नहीं दे सकते हैं। जबकि एएसडी के बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है। आज ही इस तरह का केस आया, जिसमें एएसडी हुए 20 साल हो गए लेकिन सरकारी सेवा में आने के लिए फिटनेस मांगी जा रही है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः इस तरह के मामलों में क्या आप सरकार को लिख रहे हैं?

डॉ. नीरज अवस्थीः प्रयास जारी है। मैं सरकार का धन्यवाद देना चाहूंगा। सरकार बहुत सी नई नीतियां लाई है, जिसमें सबसे प्रमुख है बीमा। पहले जन्मजात हृदय रोगी का बीमा नहीं किया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सभी बीमा कंपनियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि जन्मजात हृदय रोगी का भी बीमा होना चाहिए। यह अच्छा कदम है। यूपी सरकार भी बच्चों के हृदय रोग के इलाज में मदद कर रही है और इतनी मदद कहीं नहीं हो रही है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जिन बच्चों के हृदय में छेद है, क्या आप उनके विवाह की सलाह देते हैं कि बच्चे नॉर्मल होंगे?

डॉ. नीरज अवस्थीः बच्चा पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है तो विवाह में कोई दिक्कत नहीं है। अदर हृदय के छेद का इलाज में बहुत विलम्ब हो जाता है, स्थिति लाइलाज जैसी बन जाती है यानी फेंफड़े बहुत सख्त हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में गर्भाधान की सलाह नहीं दी जाती है। ऐसी स्थिति रोकने के लिए आगरा विकास मंच जैसी संस्थाएं काम कर रही हैं ताकि जल्दी इलाज हो सके। आईवीएफ, सरोगेसी के माध्यम से माता-पिता बनने का सुख प्राप्त किया जा सकता है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः बच्चों में सांस फूलना, निमोनिया होना जैसे लक्षण बताकर आप अभिभावकों को डरा नहीं रहे हैं?

डॉ. नीरज अवस्थीः बच्चे का सही से विकास न होना, बार-बार निमोनिया होना, बार-बार सर्दी, खांसी, जुकाम, नीलापन आना ये प्रमुख लक्षण हैं। ऐसा होने पर निकट के बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। वह तय करेंगे कि बच्चे में हृदय रोग है या नहीं। थोड़ा बहुत डर होना चाहिए क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ऐसा बच्चा नेगलेक्ट हो जाए कि लाइलाज बन जाए। जरूरी है कि बच्चों के डॉक्टर में संपर्क में आए जो आपका समुचित परीक्षण कर सकें।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या ऐसे बच्चों का दिल्ली जाना आवश्यक है, आगरा में इलाज नहीं हो सकता क्या?
डॉ. नीरज अवस्थीः आगरा विकास मंच ऐसे बच्चों का कई वर्षों से इलाज करा रहा है। इलाज के बाद फॉलोअप भी होता है। इसके लिए दिल्ली जाना आवश्यकता नहीं है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपका आगरा आना ही शुभकारी है। आगरा की ओर से आपका धन्यवाद है।

डॉ. नीरज अवस्थीः मैं आगरा विकास मंच के पार्ट के रूप में आया हूँ। एक इंसान पूरे सिस्टम को नहीं बदल सकता है। सब मिलकर कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर ला सकते हैं। यही काम आगरा विकास मंच कर रहा है।

कौन हैं डॉ. नीरज अवस्थी

बाल चिकित्सा हृदय विज्ञानी हैं। 17 वर्षों का अनुभव है। सीने में दर्द, एंबुलेटरी बीपी (ब्लड प्रेशर) मॉनिटरिंग, एंजियोग्राम और कार्डियोवर्जन और भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी का इलाज करते हैं। बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी बच्चों, शिशुओं, किशोरों और वयस्कों में हृदय रोगों के सभी पहलुओं से संबंधित है। इसमें इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, इकोकार्डियोग्राफी, इन्वेस्टिगेटिव कार्डियोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और फार्माकोलॉजी, भ्रूणविज्ञान और शरीर रचना विज्ञान और कार्डियक सर्जरी शामिल हैं। शल्य क्रिया में 4 से 8 घंटे का समय लगता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh