Agra, Uttar Pradesh, India. मां ब्रह्मांड के चक्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। आगरा में एक अनूठी सेवा स्थापित होने जा रही है। उद्देश्य है धर्म शास्त्रों में वर्णित विज्ञान सम्मत क्रियाओं, आचार -विचार व आहार- विहार के अनुसरण से मां के गर्भ से ही विलक्षण, शौर्य, तीव्र मेधा और अदभुत संपन्न शिशुओं का जन्म हो। साथ ही अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त केन्द्र पर सकारात्मक वातावरण में चेरिटेबल सेवा दरों पर डिलीवरी की समुचित व्यवस्था हो।
श्रीचंद्रभान साबुन वाले सेवा ट्रस्ट द्वारा जयपुर हाउस, प्रताप नगर, खतैना रोड पर एक प्लॉट में यह केंद्र बनाया जाएगा। यह संकल्प क्षेत्र बजाजा कमेटी के अध्यक्ष अशोक गोयल का है, जो इससे पहले अज्ञात मृतकों के दाह संस्कार, उनकी अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन व्यवस्था, आकस्मिक दुर्घटना वाहन, चेरीटेबिल डायलिसिस सेवा, पीपीपी माडल के तहत विद्युत शवदाह गृह का संचालन, हेल्प आगरा की स्थापना, सूरत में सेवा फाउंडेशन व सेवा हास्पिटल की शुरुआत करा चुके हैं। उनका कहना है कि यदि हम सकारात्मक माहौल में शिशुओं क जन्म कराएंगे तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। इसी का प्रयास किया जा रहा है।
भवन का नींव पूजन वेदमंत्रों के साथ किया गया। नींव पूजन अपना घर, भरतपुर के संचालक डॉ. बीएम भारद्वाज व समाजसेवी मधु बघेल ने किया। ट्रस्ट के प्रेरणास्रोत अशोक गोयल ने बताया कि इस प्रकल्प में श्री अरविंद सोसायटी पुंडूचेरी, श्री अरहम गर्भ संस्कार, वेद शास्त्र एवं मंत्र विशेषज्ञ संपदानंद का मार्गदर्शन मिलेगा।
केंद्र की निदेशक डॉ. सुनीता गर्ग ने बताया कि हम सकारात्मक माहौल में शिशुओं क जन्म कराएंगे तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। इसी का प्रयास किया जा रहा है। पुष्पा अग्रवाल, कांता माहेश्वरी, अशोक अग्रवाल, इंजीनियर सुधांशु जैन ने इस संस्कार केंद्र की योजना पर प्रकाश डाला। भिक्की मल, मोहनलाल, घनश्यामदास, महावीर मंगल, किशन कुमार अग्रवाल, रामेश्वर दयाल आदि मौजूद रहे।
इससे पूर्भ इसभवन के भूमि पूजन के अवसर पर उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल भाजपा की उपाध्यक्ष श्रीमती बेबीरानी मौर्या बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुई थी। इस सेवा प्रकल्प की सराहना करते हुये उन्होंने कहा कि गर्भ संस्कार के असर से ही अभिमन्यु -प्रहलाद जैसे चरित्र अपनी मां के गर्भ से ही ज्ञान अर्जित करके आये थे। उसी प्रकार आज भी गर्भवती महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करने से जन्मे शिशु संस्कारवान ही होंगे। उन्होंने इसके लिए जागरुकता सेमिनार आयोजित करने की जरूरत भी बताई।
श्री चंद्रभान सेवा ट्रस्ट के संस्थापक अशोक कुमार गोयल, अध्यक्ष श्री अशोक कुमार अग्रवाल (एडवोकेट), सचिव मनोज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल (सी.ए.) ने बताया कि हमारे शास्त्रों में गर्भ संस्कार कोई नई धारणा नहीं है।”विज्ञान के बिना धर्म अंधा है।” धर्म और विज्ञान के बीच संबंध निरंतर बहस का विषय रहा है। यह हमारे यहां दो सबसे मजबूत सामान्य ताकतें हैं जो मनुष्य को प्रभावित करती हैं और वे एक दूसरे के खिलाफ स्थापित प्रतीत होती हैं। पुराने जमाने में मां अपने बच्चे की देखभाल करती थी, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अब कई माएं बेफिक्र हो गई हैं। क्या इसे प्रगति कहा जा सकता है? यदि हाँ, तो वर्षों बाद जब उनके बच्चे उन्हें वृद्धाश्रम में अकेला छोड़ देते हैं तो वे दुखी क्यों होते हैं? आखिरकार, उन्होंने ही तो इस तरह के व्यवहार के बीज बोए हैं।
विज्ञान कहता है कि मस्तिष्क का विकास जीवन भर चलता रहता है लेकिन मस्तिष्क का भावनात्मक पक्ष बचपन में विकसित होता है लेकिन युवावस्था में भावनाओं को सर्वोत्तम रूप से ग्रहण किया जाता है। गर्भ संस्कार एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तथ्य है जो अजन्मे बच्चे को सिखाने, शिक्षित करने और संबंध बनाने का एक अद्भुत तरीका है।
बच्चे के मां के गर्भ में होने से ही संस्कार की अवधारणा करना महत्वपूर्ण है। यह प्रलेखित किया गया है कि गर्भावस्था के दौरान प्रार्थना, अच्छे विचार, सकारात्मक भावनाओं और भ्रूण के साथ बातचीत के रूप में मां की गतिविधि को व्यक्त करने वाली भावनाओं को न केवल अजन्मे बच्चे द्वारा पहचाना जाता है, बल्कि इसका उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अजन्मे बच्चे के स्वागत के लिए ‘माता-पिता’ को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना चाहिए। बच्चे के जन्म के बाद उसके विकास और वृद्धि के लिए माता-पिता बहुत सारा पैसा, समय और ऊर्जा खर्च करते हैं। लेकिन यह 9 महीने की महत्वपूर्ण अवधि है जब अपेक्षित बच्चे की बेहतरी के लिए अधिकतम प्रयास किए जाने हैं
क्या होता है गर्भ संस्कार- गर्भ संस्कार का अर्थ है ‘गर्भ में शिक्षा’। सामान्य रूप से यह माना जाता है कि गर्भधारण करने के साथ ही बच्चे के मानसिक विकास की शुरुआत हो जाती है। यह भी कहा जाता है कि बच्चे का व्यक्तित्व गर्भ में आकार लेना शुरू कर देता है और यह गर्भावस्था में माँ की मनोदशा से प्रभावित हो सकता है। इसका उल्लेख शास्त्रों और वेदों में ही है।
गर्भ संस्कार के अनुसार, गर्भस्थ शिशु संगीत और अन्य आवाजों के साथ-साथ आपके विचारों और भावनाओं को पहचानने और इनके प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम होता है। परिवार के बुजुर्ग जोर देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक और तनावमुक्त रहना जरूरी है।
गर्भावस्था में माँ जितना खुश और सकारात्मक रहे, उतना शिशु के लिए अच्छा है। इसमें मदद करने के लिए गर्भ संस्कार में बहुत से अभ्यास और तरीके बताए गए हैं। इसमें ऐसी चीजें पढ़ना या देखना शामिल है जो आपको खुशी देती हैं, अपने गर्भस्थ शिशु से बातचीत करना, पूजा-पाठ करना, ध्यान लगाना (मेडिटेशन) और स्वस्थ भोजन करना।
हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि गर्भ में शिशु का मस्तिष्क 60 प्रतिशत तक विकसित हो जाता है। यह बात भी अब और अधिक स्पष्ट होती जा रही है कि अजन्मा शिशु आवाज, रोशनी और हलचल जैसे बाहरी प्रभावों के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम है।
- आगरा में बोले यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, राम की पूजा को पाखंड बताने वालों का हुक्का-पानी बंद कर दें - April 18, 2024
- फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने दाखिल किया नामांकन पत्र, कई दिग्गज नेता रहे मौजूद - April 18, 2024
- विदेशी अवैध सट्टेबाजी तथा जुए से जुड़ी कंपनियों पर तत्काल रोक लगे: AIGF - April 18, 2024