Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा में अग्रवाल संगठन कमलानगर द्वारा संचालित किया जा रहा है सत्य प्रकाश विकल चैरिटेबल नेत्रालय (Satya prakash vikal charitable netralaya)। कमलानगर और बल्केश्वर के मध्य में है चांदनी चौक। यहीं पर है नेत्रालय। बाहर से भले ही छोटा सा स्थान प्रतीत हो लेकिन अंदर प्रवेश कीजिए तो यहां की व्यवस्थाएं देखकर दंग रह जाएंगे। दो साल पहले शुरू हुए इस नेत्रालय की खास बात यह है कि यहां 30 रुपये के पर्चे पर आंख की सभी जांचें की जाती हैं। आँख का ऑपरेशन भी फ्री किया जाता है (Eye treatment and operation in 30 rupees only )। अगर कोई कहे कि ‘मैं गरीब हूँ’ तो उसका ऑपरेशन फ्री में होता है। उसकी गरीबी का कोई प्रमाणपत्र नहीं मांगा जाता है। वैसे सिर्फ 3000 रुपये में कोई भी ऑपरेशन करा सकता है।
नेत्रालय में प्रवेश करिए सबसे पहले हाथ सैनीटाइज कराए जाते हैं। फिर पंजीकरण होता है। इसके बाद आंखों की प्रारंभिक जांच के बाद दूसरी मंजिल पर भेज दिया जाता है। वहां ओपीडी ब्लॉक है। वहां आँखों की विस्तृत जांच की जाती है। अंत में चिकित्सक डॉ. अंकिता मित्तल देखती हैं। वे तय करती हैं कि ऑपरेशन होना है या दवा से ही काम चलना है। यह प्रक्रिया स्वयं संचालित हैं। इसमें कोई सिफारिश नहीं चलती है। नेत्रालय के जनक सुनील विकल के कितने ही सगे हों, लेकिन सात दिन बाद नया पर्चा बनवाना ही होगा। तीसरी मंजिल पर ऑपरेशन ब्लॉक है। चौथी मंजिल पर प्रशासनिक कार्यालय है। यहां मीटिंग का भी इंतजाम किया गया है। यहीं से सीसीटीवी के माध्यम से पूरे अस्पताल पर नजर रखी जाती है। खास बात यह है कि स्वागत पटल पर बैठा व्यक्ति भी देख सकता है कि चौथी मंजिल पर क्या हो रहा है।
भूतल पर ही चश्मे का पटल है। बाजार से यहां 40 फीसदी कम दर पर चश्मे बनते हैं। नेत्रालय से बाहर का भी कोई व्यक्ति चश्मा बना सकता है। भूतल पर ही मेडिकल स्टोर है। यहां 20 फीसदी छूट के साथ नामी कंपनियों की दवा मिलती है। मेडिकल स्टोर और चश्मे वाले से कोई किराया नहीं लिया जाता है। बस इतनी गुजारिश की गई है कि बाजार से कम रेट पर गुणवत्ता वाला काम हो।
नेत्रालय का मैंने निरीक्षण किया। दो बार स्वयं गया और तीसरी बार अचानक ही नेत्रालय के जनक सुनील विकल (अध्यक्ष, श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी) के साथ दौरा किया। चैरिटेबल होते हुए भी नेत्रालय में स्वच्छता देखते ही बनती है। ऑपरेशन थियेटर में जाने के लिए रेड कारपेट बिछाया गया है ताकि वे मरीज सर्दी से बच सकें जो मोजे नहीं पहन पाते हैं।
यह नेत्रालय पूरी तरह दानदाताओं पर निर्भर है। 75 लाख रुपये तो उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्व. सत्य प्रकाश विकल के बड़े पुत्र सुरेन्द्र अग्रवाल के पुत्र ने दिए हैं। फिर एक-एक लाख रुपये समाज से एकत्रित किए गए। 163 लोगों से धनराशि लेने के बाद दान बंद कर दिया। इस तरह की व्यवस्था की जा रही है कि अस्पताल अपने पैरों पर खड़ा हो जाए।
मरीजों के मान-सम्मान का खास ध्यान है। प्रत्येक मरीज के नाम के साथ ‘जी’ जोड़कर पुकारा जाता है- जैसे रामलाल जी। इस तरह की व्यवस्था और कहीं नहीं है। निःशुल्क ऑपरेशन कराने वाले मरीज के साथ कोई फोटोग्राफी नहीं कराई जाती ताकि उसमें कोई हीनभावना न आए। एक खास बात यह है कि नेत्रालय की मुहर के बाद आप सीटी, एक्स-रे, पैथालोजी और आँख संबंधी अन्य जांच बाहर से कराते हैं तो आपको 50 फीसदी तक छूट दी जाएगी। यह अपने आप में बड़ा काम है।
नेत्रालय के कर्ता-धर्ता सुनील विकल बताते हैं कि 200 किलोमीटर दूर से मरीज आ रहे हैं। इसका कारण कोई फ्री में इलाज नहीं है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक सेवा है। ऑपरेशन के लिए विश्व में कहीं भी उपलब्ध आधुनिकतम मशीनें स्थापित की गई हैं। लोग अपने जन्मदिवस और वैवाहिक वर्षगांठ पर निःशुल्क ऑपरेशन की धनराशि देकर जाते हैं। यह क्रम लगातार चल रहा है। अगले साल में ग्लोकोमा (काला पानी) की जांच की मशीन स्थापित करेंगे। कालापानी हो जाने के बाद आँख की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है।
उन्होंने बताया कि नेत्रालय में मध्यमवर्ग और उच्च आयवर्ग के मरीज भी आते हैं। उच्च आय वर्ग को फ्री की चिन्ता नहीं है, लेकिन नेत्रालय की गुणवत्ता देखकर यहीं ऑपरेशन कराते हैं। नेत्रालय की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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