त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर का वैदिक सूत्रम चेयरमैन पं प्रमोद गौतम के जन्म-दिवस, रवि-पुष्यामृत योग में हुआ शुभारंभ

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Agra, Uttar Pradesh, India. वैदिक सूत्रम चेयरमैन विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मथुरा जिले के बृज क्षेत्र में सादाबाद दाऊजी मार्ग पर विसावर कस्बे से 3 किलोमीटर दूरी पर रदोई ग्राम में उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उनके पिता श्री महेश बाबू गौतम ने जो कि वन विभाग के आगरा मण्डल के पैनल एडवोकेट हैं, उन्होंने रदोई ग्राम में अपने पैतृक फार्म हाउस पर एक शिव मंदिर का निर्माण कराया जिसका शुभारंभ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर गुप्त नवरात्रि की अवधि में 21 जून 2004 सोमवार के दिन 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में सोम-पुष्यामृत महासिद्ध योग में सम्पन्न हुआ, दिव्य अक्षय पुष्य नक्षत्र में प्राण-प्रतिष्ठित त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग इसलिए रहस्मयी शक्तियों युक्त है, क्योंकि उस दिव्य शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के धार्मिक कार्यक्रम का शुभारंभ भी सूर्य की 6 माह की उत्तरायण अवधि में 20 जून 2004 की शाम को 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग के महूर्त के दोपहर 3 बजे बाद आरम्भ होने पर आरम्भ हो गया था, जिसका समापन 21 जून 2004 को सोम-पुष्यामृत के महासिद्ध योग में वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम के निर्देशानुसार वैदिक विधि विधान, 11 कुण्डलीय यज्ञ एवम कलश यात्रा के साथ संम्पन हुआ था। जून 2004 से शिव मंदिर के शुभारम्भ के बाद से ही एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ही पिछले 18 वर्षों से इस शिव मंदिर के महंत हैं।

पूजा करने से धनवान हुए लोग
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस दिव्य शिवलिंग की विशेष खासियत है जिसने भी एक अटूट विश्वास के साथ हृदय के समर्पण भाव से इस मंदिर के शिवलिंग की पिछले 18 वर्षों के दौरान पूजा की वो व्यक्ति जो भी अपने मन में भावना लेकर उस दिव्य शिवलिंग के समक्ष आया उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण हुई है, क्योंकि पंडित गौतम ने पिछले 18 वर्षों के दौरान कुछ परिचित व्यक्तियों को इस शिवलिंग की पूजा करने के बाद रातों रात दरिद्र से धनवान बनते हुए स्वयं देखा है।

पंडित प्रमोद गौतम ने कही ये बात
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने शिव मंदिर के निर्माण और पुष्यामृत योग में ही शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा का संयोग देवकृपा से क्यों बना इस महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्य के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि क्योंकि संयोग से पं प्रमोद गौतम का जन्म सूर्य के उत्तरायण की 6 माह की देव अवधि में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गुप्त नवरात्रि की रहस्यमयी अवधि में 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में रवि-पुष्यामृत में विशेष महासिद्ध योग में पूर्व जन्म की दिव्य कृपा से इस पृथ्वी लोक पर किसी विशेष पूर्व निर्धारित उद्देश्य को पूरा करने के लिए विधि के विधान के द्वारा शिवजी की कृपा से हुआ है क्योंकि एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम का जन्म जिस दिन हुआ था उससे कुछ मिनट पहले ही उनकी पूज्य माताजी को जो कि अब इस भौतिक मायावी दुनिया में नहीं हैं, उन्हें देवों के देव महादेव ने साक्षात दर्शन दिए थे और शिवजी के दर्शन के तुरंत बाद ही पंडित प्रमोद गौतम का रवि-पुष्यामृत के महासिद्ध काल की अवधि में इस पृथ्वी लोक पर जन्म हो गया, इस महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्य को उनकी पूज्य माताजी योग-गुरु स्व श्रीमती दिनेश वती गौतम जो कि वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की संस्थापिका हैं, उन्होंने बचपन में एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम को बताया था, आज उन्होंने अपने जन्म के इस महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्य को सार्वजनिक रूप से मीडिया के माध्यम से व्यक्त किया।