devi maheshwari shri ji

वृंदावन से आई देवी माहेश्वरी श्रीजी ने बताया कि भागवत में राधा का नाम क्यों नहीं, अति गोपनीय ‘श्री विद्या’ और महारास का रहस्य खोला

RELIGION/ CULTURE

ठाकुर जी हृदय में हैं तो कई टोना टोटका काम नहीं करता

भोजन बनाते समय भी ठाकुर जी का भाव हृदय में रखो

वृंदावन को डस्टबिना बना रहे, एंटरनेटमेंट के लिए आते हैं

स्त्री शब्द बड़ा मंत्र है, जिसका शत्रु नहीं, उसे नारी कहते हैं

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. वृंदावन से पधारी अंतरराष्ट्रीय कथावाचक देवी माहेश्वरी ‘श्रीजी’ ने षष्ठम दिवस गिरिराज पूजन, शरद पूर्णिमा की रात्रि में महारास, मथुरा गमन, कंस वध, संदीपनी आश्रम में शिक्षा और रुक्मणि विवाह की सरस कथा सुनाई। शिव पैलेस, पश्चिमपुरी, आगरा में श्रीमद भागवत कथा में श्रीजी ने जीवन के सूत्र भी बताए। कथा के मुख्य यजमान लालता प्रसाद सारस्वत और विमलेश सारस्वत हैं। भागवत कथा सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग आ रहे हैं। भावविभोर महिलाएं बीच-बीच में नृत्य करने लगती हैं।

उन्होंने कहा- भागवत कथा हमारे प्रतिदिन के जीवन से जुड़ी हुई है। कथा में बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। भागवत की भागीरथी में डुबकी लगाने वाले जब परमधाम जाएंगे तो ठाकुर जी से संबद्ध हो जाएंगे। जीवन की उपलब्धि प्रभु की कथा, भजन और सुमिरन है। सात फेरे और सात दिन की कथा का बहुत महत्व है। भागवत कथा वीभत्स आपदाओं से रक्षा करती है। आप भागवत कथा में समय दे रहे हैं तो प्रभु भी आपको समय देंगे। जो दरवाजे बंद करके एसी चलाकर सो रहे हैं, वे जब वेंटिलेटर पर होंगे और प्रभु को पुकारेंगे तो वे कहेंगे कि तुम पश्चिमपुरी में चल रही कथा में नहीं आए तो मैं भी नहीं आऊँगा। भागवत कथा सुनने से अनेक लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है और आगरा में ही इसके कई उदाहरण हैं।

Bhagwat katha
भागवत कथा मे भावविभोर नृत्य करती श्रद्धालु।

देवी माहेश्वरी ने कहा कि दुख से बचना है तो प्रभु के शरणागत हो जाओ, समर्पण कर दो और विश्वास रखो कि उनके अलावा और कुछ सत्य है ही नहीं। अपना जीवन दिव्य बनाने के लिए भागवत कथा सुनो। शुकदेव ने जब राजा परीक्षित को कथा सुनाई तो देवता भी सुनने आए थे। तराजू के एक पलड़े में भी वेद, पुराण, उपनिषद और दूसरे पलड़े में भागवत रखकर तौला तो भागवत का पलड़ा भारी था। भागवत को भाव से सुनो।

उन्होंने कहा कि भागवत स्वयं कृष्ण हैं और जहां कृष्ण हैं वहीं पर किशोरी जी हैं। भागवत में राधा नाम नहीं है क्योंकि अगर शुकदेव जी राधा का नाम लेते को समाधि में चले जाते। एक बार वृंदावन में करपात्री जी ने राधा जी का प्रतीक जकार शब्द उच्चारित किया तो आगे नहीं पढ़ पाए क्योंकि समाधि में चले गए थे।

देवी माहेश्वरी ने बताया कि हम भारत के लोग संपन्न हैं, फिर भी दीन-हीन जीवन जाते हैं। भारत के पास श्री विद्या है जो अति गोपनीय है। गुरु अपने शिष्य को श्री विद्या देना नहीं चाहता है। वास्तव में राज राजेश्वरी श्री विद्या श्री किशोरी जी हैं, राधारानी सरकार हैं। इनके ताले की चाबी गोविंद के पास है। राधा और कृष्ण को देखने के लिए भावमयी दृष्टि चाहिए।

Bhagwat katha
भागवत कथा में उपस्थित लोग।

उन्होंने सुनाया कि किस तरह से सात वर्ष के कन्हैया ने गिरिराज के पूजन की बात कही। 56 भोग लगाया। नारद ने यह बात इंद्र को बताई तो उन्होंने भयंकर वर्षा कर दी। गिरिराज को कनिष्ठा पर धारण कर सबकी रक्षा की। फिर इन्द्र ने स्तुति की तो कृष्ण ने कहा कि जहां मेरी भक्ति हो, वहं कोई विघ्न नहीं करना है। संत का निरादर और व्यंग्य प्रभु को बर्दाश्त नहीं होता है।

उन्होंने राजा अंबरीश और दुर्वासा की कथा सुनाते हुए कहा कि ठाकुर जी हृदय में हैं तो कई टोना टोटका काम नहीं करता है। दुर्वासा ने क्रोध में राजा अंबरीश पर कृत्या विद्या का प्रयोग किया था, इस पर ठाकुर जी ने सुदर्शन चक्र चला दिया था। दुर्वासा ने प्रभु की शरणागति की। प्रभु ने कहा कि तुमने जघन्य अपराध किया है। मेरे भक्त के साथ कुछ नकारात्मक हो तो मैं निपटता हूँ।

देवी माहेश्वरी ने कहा कि हम भगवान से स्वार्थपूर्ति की प्रार्थना करते हैं। मंदिर तो सुपर मार्केट की तरह हो गए हैं। अगर हमारा स्वार्थ नहीं है तो भगवान के दरबार में नहीं जाएंगे। जिस मंदिर के बारे में यह प्रसिद्ध हो कि दर्शन से मनोकामना पूरी होती होती है तो वहां भीड़ लगी रहती है। भगवान की स्तुति का आधार श्रीजी के चरण कमल हैं। मेरी भव बाधा हरो राधा नागर सोय।

उन्होंने कहा कि हर वस्तु, पदार्थ को कृष्णमय बना लो। भोजन बनाते समय, वस्त्र साफ करते समय भी ठाकुर जी का भाव हृदय में रखो। 24 घंटे ठाकुर जी का स्मरण करो।

Bhagwat katha
भागवत कथा में उपस्थित महिलाएं।

महारास का वर्णन करते हुए कहा कि गोपिका का अर्थ है भाव और समाधि की आचार्या। गोपी चूल्हे पर रोटी सेकती है या तवा पर रोटी सेकती है तो उन्हें लगता है कि कन्हैया पीठ पर बैठकर नमक की रोटी मांग रहा है। जल भरने जाती हैं तो लगता है कन्हैया मटकी उठाने की कहता है। सबको लगता है कि कन्हैया मेरे पास है। मन को कृष्ण और इंद्रिय को गोपी बनाना ही रासलीला है। रास में परमात्मा हमें अपना पास बुलाते हैं और रस में भक्त प्रभु को अपने पास चाहता है। देह, ज्ञान, विद्या और धन का अभिमान दूर होगा तो रास में प्रवेश कर पाएंगे। रास में अंतरवृत्ति जाती है, शरीर नहीं। कृष्ण ने बंशी बजाई तो सबको स्वर सुनाई दिया और गोपियों ने शब्द सुना।

देवी माहेश्वरी ने कहा कि मातृशक्ति को जितना सम्मान कृष्ण ने दिया, उतना किसी ने नहीं दिया। द्रोपदी की लाज बचाई। पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों की रक्षा की। पर्यावरण के संरक्षक बने। आज हालत यह है कि वृंदावन को डस्टबिना बना रहे हैं। एंटरनेटमेंट के लिए आते हैं। शराब की बोतलें लाते हैं। वृंदावन को तो छोड़ दो।

उन्होंने उन लोगों को आड़े हाथ लिया जो कहते हैं कि व्यास पीठ पर लड़की नहीं बैठ सकती है। उनसे पूछा कि क्या उन्होंने रजस्वला माता का दूध नहीं पिया है। ये भक्ति को लिंगपरक बनाना चाहते हैं जबकि भक्ति में भाव का महत्व है। महादेव बिना शक्ति के कोई काम नहीं करते हैं। स्त्री शब्द बड़ा मंत्र है। जिसका शत्रु नहीं, उसे नारी कहते हैं। उन्होंने माता-पिता का सम्मान करने की बात कही। जहां मा-बाप और बुजुर्गों का सम्मान नहीं, वहां जीवन बिखर जाता है। मां-बाप को तीर्थ ले जाया करो। मां-बाप ने बच्चों के लिए खून-पसीना बहाया है।

दिन एक पत्र आता है जिसमें रुक्मणी जी के द्वारा लिखा गया था कि मैं आपको मन ही मन पति के रूप में वरण कर लिया है, आप आकर के मेरा वरण करिए अन्यथा मैं अपने प्राण त्याग दूंगी। यह सुनकर श्री कृष्ण चल देते हैं और जब रुक्मणि जी मंदिर में पूजन कर रही होती है उसी समय उन्हें वहां से भगा ले जाते हैं। कथा की सजीव झांकियां कथा पांडाल में दिखाई गई। भक्त  मंत्रमुग्ध हो गए।

भागवत कथा में ओम तोमर ने गिरिराज का रूप धारण किया, देखें तस्वीरें

इस अवसर अशोक कुलश्रेष्ठ विशेष संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, महानगर प्रचारक सचिन जी, गिर्राज प्रधानाचार्य, नरेश पाठक, पत्रकार डॉक्टर भानु प्रताप सिंह, पत्रकार अजेंद्र चौहान, सीमा सिंह, प्रतिभा जिंदल, पार्षद प्रवीणा राजावत आगरा कथा समिति अध्यक्ष गोविंद शर्मा, मुकेश नेचुरल, वीरेंद्र अग्रवाल, अजय गोयल, कालीचरण गोयल, मुकुल गोयल, प्रतिभा जिंदल, प्रवीणा राजावत, मंजू वार्ष्णेय, लक्ष्मण चौधरी आदि का सम्मान किया गया। प्रसादी में श्यामसुंदर अग्रवाल (अग्रसेन स्वीट्स) ने भोग लगाया। दीपक तोमर एडवोकेट ने बताया कि दैनिक यजमान बच्चू सिंह सोलंकी, पुष्प देवी सोलंकी, राहुल मिश्रा, रश्मि मिश्रा रही। मुकेश चंद गोयल व्यवस्था में लीन रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh