govardhan puja

सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा को लेकर भ्रम, 25 या 26 अक्टूबर को, यहां पढ़िए संपूर्ण जानकारी

Horoscope RELIGION/ CULTURE लेख

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने विवेचन के बाद बताई सही तारीख

यह भी जानिए कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट कैसे करें ताकि पूरा लाभ प्राप्त हो सके

डॉ. भानु प्रताप सिंह

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। यानी दीवाली के अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल 24 अक्टूबर, 2022 को दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। इस हिसाब से गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को होनी चाहिए, लेकिन इस बार दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच में सूर्य ग्रहण लग रहा है। ऐसे में सूर्य ग्रहण के कारण इस साल दीवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा नहीं होगी। सूर्य ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर, 2022 को है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्ष 2022 में 26 अक्टूबर दिन बुधवार को गोवर्धन पूजा मान्य होगी क्योंकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है, ये तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सूर्योदय की उदित अवस्था में 26 अक्टूबर दिन बुधवार को है, इसलिये गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर 2022 को ही शास्त्रों के अनुसार मान्य है। 26 अक्टूबर बुधवार के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

 

वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की प्रबंधक आध्यात्मिक हीलर श्रीमती निधि शर्मा ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की घर के अंदर खुले स्थान में गाय के गोबर से आकृति बनाएं और साथ ही उसमें पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी उसमें बनाएं। इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान श्री कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

govardhan mount
govardhan mount

श्रीमती निधि शर्मा ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उँगुली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज-वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज पर्वत के साथ-साथ श्रीकृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने गोवर्धन पूजा के नियमों और उसकी विधि के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है, पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, नैवेद्य, दीप फूल और फल आदि चढ़ाए जाते हैं। इस दिन गोबर से गोवर्धन जी को लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाया जाता है। नाभि की जगह पर मिट्टी का दीया रखा जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद और बताशे आदि डाले जाते हैं, फिर इसे बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। सांयकाल विधि विधान से पूजा करने के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा लगाई जाती है। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से कच्चा दूध मिश्रित जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा की जाती है।

 

पंडित गौतम ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। इस अवसर पर मशीनों और कारखानों की पूजा भी की जाती है। इसके साथ ही गोवर्धन पूजा के अवसर पर अन्नकूट का आयोजन भी किया जाता है। अन्नकूट का मतलब है अन्न का मिश्रण, इसे भोग के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाया जाता है, कुछ जगहों पर इस दिन बाजरे की खिचड़ी और पूड़ी भी बनाई जाती है और गोवर्धन पूजा के बाद इन सभी चीजों को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh