नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक CAG ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठाए हैं। एक रिपोर्ट में सीएजी ने कहा कि अम्फान साइक्लोन से प्रभावित हुए गरीबों को घर बनाने के लिए जो 2,000 करोड़ रुपये ममता बनर्जी सरकार ने बांटे, उसमें ‘बहुत बड़ी संख्या में अनियमितताएं’ मिली हैं। यह रुपये मई 2020 से जनवरी 2021 के बाद बीच बांटे गए थे। सीएजी ने ‘हाई रिस्क’ फ्रॉड की जांच करने को कहा है। केंद्रीय ऑडिटर की ओर से गृह मंत्रालय से यह भी बताया गया कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार की ओर से राहत वितरण के ऑडिट में सहयोग नहीं मिला। सीएजी ने पाया कि ‘लाभार्थियों का चयन पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया। इसके अलावा फंड भी अनुचित तरीकों से बांटे गए।’ सीएजी ने पाया कि 1,500 से ज्यादा केसेज में लोगों को 94 लाख रुपये का भुगतान किया जबकि उनके दावे इस आधार पर खारिज हो चुके थे कि मौके पर कोई नुकसान नहीं मिला।
CAG रिपोर्ट के हवाले से एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अम्फान राहत में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं जो दिखाती हैं कि न केवल लाभार्थियों का चयन पारदर्शी नहीं था, बल्कि राहत भी अनुचित तरीके से बांटी गई और भुगतान में धांधली का ज्यादा खतरा था।’
गृह मंत्रालय से जांच की सिफारिश
केंद्रीय ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी है। मामले में जवाबदेही तय करने के लिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ ‘जरूरी जांच’ की सिफारिश सीएजी ने की है। राहत की रकम किस तरह बांटी गई, सीएजी उस पूरी प्रक्रिया की जांच चाहते हैं। सीएजी ने यह ऑडिट कलकत्ता HC के निर्देश पर किया था। फरवरी-सितंबर 2021 के बीच ऑडिट किया गया।
-एजेंसियां
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