डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा जिले में फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार चाहर चुनाव जीत गए हैं। घोषणा होना बाकी है। चुनाव आयोग द्वार जारी आंकड़ों के अनुसार, राजकुमार चाहर की 43405 मतों से जीत होनी है।
सब जानते हैं कि राजकुमार चाहर का फतेहपुर सीकरी के गांवों में खासा विरोध था। उन पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं था बल्कि सतत संपर्क न करने से लोग नाराज थे। इस बात को हवा दी गई। चुनाव में यह बात मुद्दा बन गई। इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें दूसरी बार टिकट दिया। फतेहपुर सीकरी से विधायक चौ. बाबूलाल भी विरोध में खड़े हो गए। फिर भी प्रत्याशी नहीं बदला गया। इसके बाद विधायक पुत्र डॉ. रामेश्वर सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भर दिया। फिर भी प्रत्याशी नहीं बदला गया। अंततः उन्होंने चुनाव लड़ा और अपनी स्थिति के बारे में जानकारी मिल गई।
इस बीच गठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी रामनाथ सिंह सिकरवार के पक्ष में हवा बहने लगी। प्रियंका गांधी ने रोड शो किया तो लोग कहने लगे कि यहां से तो रामनाथ ही चुनाव जीतेंगे। बसपा प्रत्याशी रामनिवास शर्मा को तो कोई गिनती में ही नहीं ले रहा था। जब प्रत्याशियों की स्थिति स्पष्ट हो गई तो यूपी तक चैनल ने परिचर्चा रखी। इसमें सभी पत्रकारों ने कहा कि चुनाव तो राजकुमार चाहर ही जीतेंगे। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भाजपा का हर बूथ पर वोट है। बाकी प्रत्याशियों को निश्चिति इलाकों में ही वोट है।
राजकुमार चाहर की जीत के पीछे असली कारण जानने से पहले जानते हैं कि अब तक किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले हैं-
राजकुमार चाहर, भाजपा 4,45,657
रामनाथ सिंह सिकरवार, कांग्रेस 4,02,252
रामनिवास शर्मा, बसपा 1,20,539
डॉ. रामेश्वर सिंह, निर्दलीय 48,606
कल्लन कुंभकार, निर्दलीय 3,463
होतम सिंह निषाद, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी 1,810
गिर्राज सिंह धाकरे,प्राउटिस्ट ब्लॉक उत्तर प्रदेश 1,564
संगीता तोमर भारतीय मजदूर जनता पार्टी 1,433
वेद प्रकाश, राष्ट्रीय जनसंचार दल 1,038
नोटा (नन ऑफ द एबव) 7,793
जीत का अंतरः 43,405
आपका बता दूँ कि राजकुमार चाहर की जीत के पीछे असली कारण डॉ. रामेश्वर सिंह हैं। मैंने कहा था कि जितने वोट डॉ. रामेश्वर सिंह ले आएंगे, उतने ही वोट से राजकुमार चाहर जीत जाएंगे। यही हो रहा है। जीत के अंतर से सिर्फ 5000 वोट अधिक हैं डॉ. रामेश्वर सिंह के। बता दें कि 2019 के चुनाव में राजकुमार चाहर की जीत 4.95 लाख से अधिक वोटों से हुई थी।
रामेश्वर सिंह को अपने कट्टर समर्थकों के साथ उनका भी वोट मिला है जो राजकुमार चाहर के विरोध में थे। अगर रामेश्वर सिंह चुनाव न लड़ रहे होते तो राजकुमार चाहर से व्यक्तिगत खुन्नस रखने वाले लोग रामनाथ सिकरवार को वोट करते। ऐसे में परिणाम क्या होता, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इसलिए भाजपा और राजकुमार चाहर को रामेश्वर सिंह को आभार प्रकट करना चाहिए कि उन्होंने बगावत की और चुनाव लड़ा।
राजकुमार चाहर की जीत इस मायने में महत्वपूर्ण है कि भाजपा के कई कद्दावर नेता उनका विरोध कर रहे थे। यहां तक कि मंच से ही विरोध कर दिया था। अंतिम समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक आनंद जी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ता जुटे थे।
नीचे वह खबर पढ़िए, जिसके कारण राजकुमार चाहर को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था।
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