Dr bhanu Pratap singh

वृंदावन से आईं देवी महेश्वरी श्री जी की आगरा में भागवत कथा और एक पत्रकार की व्यथा

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. विश्व मंगल परिवार सेवा संस्थान वृंदावन की ओर से शिव पैलेस, पश्चिमपुरी, सिकंदरा में 31 मार्च से छह अप्रैल, 2024 तक श्रीमद भागवत कथा आयोजित की गई। मुझे लगातार सात दिन उपस्थित रहना था लेकिन गुजरात जाना पड़ा। मन बड़ा बेचैन था। इसलिए 5 अप्रैल को लौटकर आ गया। दो दिन पूर्ण सक्रियता के साथ भागवत कथा में सपरिवार उपस्थित रहा।

दीदी के नाम से प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास देवी महेश्वरी श्री जी ने शिव पैलेस में ही 2021 में भी कथा सुनाई थी। तब मैंने सातों दिन कथा का श्रवण किया था। उनका साक्षात्कार भी लिया था, जो दोपहर को प्रकाशित होने वाले लोकप्रिय जनसंदेश टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। खैर, पुरानी बातों के फेर में क्यों पड़ा जाए। नई बात होनी चाहिए।

 समापन वाले दिन मैं मुख्य मंच पर गया। ऊपर से कुछ फोटो खींचने थे। मंच की व्यवस्था में रहने वाले दीदी के प्रथम सहयोगी ने मुझे रोका। मंच से नीचे उतारने का प्रयास किया। मैंने कहा कि मीडिया से हूँ। उसने अनसुना कर दिया और कहा कि नीचे जाइए। फिर वह पत्रकार ही क्या जो डर जाए। निर्भीकता तो पत्रकार का पहला गुण होता है। मैंने दीदी को फोकस करते हुए फोटो खींचने का प्रयास किया तो वहां दूसरा सहयोगी सन्नद्ध था। उसने रोक दिया और नीचे जाने को कहा। यह भी कहा कि लाइव चल रहा है, आप उतरो। मुझे बड़ा अजीब लगा कि प्रत्यक्ष कवरेज करने वाले की कोई महत्ता नहीं है। मैंने उनसे कहा कि दीदी तो किसी को रोकती नहीं हैं, सबको बुलाकर सम्मानित भी कर रही हैं लेकिन सहयोगी ने मुझे खा जाने वाली दृष्टि से देखा। फिर भी मैंने कुछ फोटो क्लिक किए और नीचे जाने लगा। मजबूरी थी, वरना धक्के मारने की पूरी तैयारी थी।

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जब मैं मंच से उतर रहा था तो प्रथम सहयोगी अध्यक्ष गोविंद शर्मा को बुला लाया और मेरी शिकायत की। तब तक मैं सीढ़ियों पर था। मैंने सहयोगी की ओर देखकर कहा कि इनसे शिकायत की है मेरी। गोविंद शर्मा ने मेरी ओर मुस्कान भरी दृष्टि से देखा तो उनके नयनों में प्रेम छलक रहा था। मैं अचंभित रह गया कि जिससे शिकायत की गई हो, वह इतना प्रेम प्रदर्शित कर रहा है।

भागवत कथा के समापन पर फूलों की होली हुई। इसके लिए मंच के नीचे ही अत्यंत छोटा मंच बनाया गया था। महिलाएं फूलों की होली कान्हा संग खेलने के लिए आतुर थीं। वे छोटे से मंच पर चढ़ गईं और नृत्य करने लगीं। महिलाओं को लगता है कि कान्हा के स्वरूप संग होली खेल लेंगी तो पुण्य मिलेगा। मुझे कुछ अच्छे से वीडियो बनाने थे सो मैं भी मंच पर आ गया।

दीदी महेश्वरी के साथ मंच पर तैनात वही प्रथम सहयोगी सबको मंच से हाथ जोड़कर नीचे उतारने का आग्रह कर रहे थे। महिलाओं के मंच पर आ जाने से अव्यवस्था फैल रही थी। यहां उनका दूसरा रूप था, विनम्रता और आग्रहता वाला। उन्होंने मुझे भी देखा लेकिन इस बार रोका नहीं। शायद वे समझ गए ते कि यह ढीठ है, मानेगा नहीं। दीदी महेश्वरी वाले मंच पर तो वे खा जाने वाली नजरों से देख रहे थे। मुझे लगता है कि उन्हें यही काम सौंपा गया होगा, इसलिए अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।

बाद में मुझे भागवत कथा के सर्वव्यवस्था प्रमुख मुकेश चंद गोयल मिल गए। मैंने उन्हें अवगत कराया कि आपके अध्यक्ष जी बहुत जोरदार हैं। श्री गोयल ने अवगत कराया कि गोविंद जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शाके संघचालक हैं। फिर मेरे मुख से अनायास ही विकल पड़ा- “अच्छा, इसीलिए इतने व्यवहार कुशल हैं।” मैंने उन्हें भोजन के दौरान भी उनकी विनम्रता को देखा।

मैं यह भी जानता हूँ कि मैंने जो कुछ भी लिखा है, वह किसी को अच्छा नहीं लगेगा। आज के जमाने में कोई फीडबैक नहीं लेना चाहता है। अपनी कमियां कोई न देखना, न सुनना चाहता है। मुझे एक बात अवश्य कहनी है कि अगर दीदी महेश्वरी के साथ होने के बाद भी स्वभाव में विनम्रता नहीं है तो क्या लाभ? जिससे आपका परिचय नहीं, उसके प्रति कठोरता का भाव क्यों? आशा है दीदी महेश्वरी संज्ञान लेंगी। मैं तो कथा का कार्यकर्ता था, लेकिन अगर कोई बाहरी पत्रकार होता तो न जाने क्या-क्या लिख मारता। राधे-राधे।

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Dr. Bhanu Pratap Singh